Monday, May 22, 2017

अलसी और लौंग से मोटापा दूर करें

अलसी और लौंग से मोटापा दूर करें 



आप में से बहुत सारे लोगों के रसोई घर में अलसी और लौंग पहले से ही मौजूद होंगी | इन दोनों को मिलाने से हेरान करने वाले नतीजे देखने को मिलते हैं| ये चर्बी को पिघला देगा वो भी चमत्कारी ढंग से |आम तौर पर लोगों को लगता है शरीर में जमा उर्जा हे शारीरिक वसा है जिसको पिघलाने के लिए एक आहार का पालन करना ज़रूरी है|जब के हकीक़त में और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है |शरीर में उर्जा के और भी स्रोत होते हैं जो चर्बी के जमा होने या पिघलने में ख़ास भूमिका निभाते हैं|शरीर में उर्जा दो मुख्य स्रोत होते हैं प्रोटीन और स्टार्च |शरीर के इनको इस्तेमाल करने के तरीके से ही ये पता चलता है के शरीर में चर्बी किस तरह इस्तेमाल हो रही है | अगर आपको कभी कभी मीठा खाने के इच्छा होती है तो उसको ख़त्म किया जा सकता है लेकिन अगर आपको बार बार मीठा खाने के चाहत हो और मीठा खाने से भी चाहत कम न हो तो इसका मतलब या तो आपको उच्च स्तर का तनाव है या फिर आपके शरीर में परजीवी हैं| बार बार होने वाली cravings इन अनचाहे परजीवी की वजह से हे होती है|
आवश्यक सामग्री :
100 ग्राम अलसी10 ग्राम सूखे लौंग
बनाने की विधि और सेवन :

ग्राइंडर की मदद से दोनों चीज़ों को पीस कर पाउडर बना लें | 3 दिन तक सुबह 1 चमच इस मिश्रण के लें | आप इसे पानी या नाश्ते में मिला कर भी ले सकते हैं|आपको ये औषधि 3 दिन तक लेनी है फिर 3 दिन तक अन्तराल डालना है | 3 दिन बाद दोबारा इसे लेना शुरू करें और एक महीने में आपको इसका असर दिखाई देने लगे गा |इसके साथ साथ विटामिन्स और खनिज भी सही मात्रा में लेना बेहद ज़रूरी है | इनकी सही मात्रा आपको आपको कसरत करने और सक्रिय रहने में मदद करती है|

लार के महत्त्वपूर्ण फायदे

 लार के  महत्त्वपूर्ण फायदे 

चाहे चश्मा 👓 कितने भी नंबर का हो वो भी उतरेगा, चाहे कैसा भी दाद हो वो भी ठीक होगा निशुल्क इस चमत्कारिक उपाय से
➡ मित्रो आज मैं आपको मुह की लार का महत्व बता रहा हूँ
ये सभी उपाय रात्रि में सोने से पहले दातों को साफ करके सोएँ और फिर सुबह उठकर बीना कुल्ला किये बिना थूके प्रयोग करे। ये मुह की लार हमारे शरीर की सर्वोत्तम अमृत तुल्य औषिधि है। जो केसा भी चश्मा हो उसको उतारने का गुण रखती है केसा भी दाद हो उसको ठीक करने का गन रखती है, लार बाज़ार में नही मिलती यह सभी के मुँह में भगवान ने उपहार स्वरुप दी है। आइये जाने लार क्या क्या कर सकती है।

➡ लार के 5 महत्त्वपूर्ण फायदे :
1. यदि किसी भाई बहन के आखों 😵 के नीचे काले घेरे हो गये हैं । वो सुबह मे मुह की लार से मालिश करें धीरे धीरे, तो ये काले घेरे ठीक हो जायेंगे लेकिन प्रयोग 1-2 महीने करना पड़ेगा।
2. जिनको भी चाहे कितने भी नंबर के मोटे 👓😎  चश्मे लगे हो वे भाई बहन सुबह उठकर पानी का कुल्ला किये बिना जो लार रात भर में इकट्ठी हुई वो आखों में काजल या गुलाब जल की तरह लगानी है यह आप रात को सोते समय और  सुबह 5 बजे उठकर बेड पर लगाये ताकि मुँह 1-2 घंटे बाद धोये तो लार का अपना काम कर सके। यकीन मानिये यह प्रयोग अद्भुत चमत्कारिक है श्री राजीव भाई जी दीक्षित कहते है की कैसा भी चश्मा हो उतरने के 100% आसार रहते है लेकिन आपको प्रयोग तब तक जारी रखना पड़ेगा जब तक आपके चश्मे का नंबर धीरे धीरे कम होकर शून्य हो जाये परिणाम 100%  मिलेगा लेकिन कुछ वक़्त लगेगा और लार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही है लार से तो आँखों की रौशनी (6/6) भी बढ़ती है।
3.  डायबिटीज 🍇 के रोगियों को जहाँ चोट लगी है वहां सुबह की लार लगाये घाव भरने लगेगा।
4. जिन लोगों के जलने 🔥 से शरीर के किसी भी भाग में कोई दाग हो और नही जा रहा हो वे इसी लार की मालिश करें दाग त्वचा के रंग का होने लगेगा।
5. जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये रात भर की इकट्ठी मूंह की लार लगाये दाद देखते ही देखते छूमंतर हो जायेगा।
➡ ऐसी कई बीमारी का इलाज है ये मुह की लार आइये जानते है मुँह की लार में होता क्या है?
मुँह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है और जो मित्र गुटखा खाते हैं या थूकते रहते हैं धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुँह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस लार का PH मान 8.3 होता है। और आप ये सभी सुबह जो टूथपेस्ट करते हो वो करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं।इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे। ये दातुन करने से लार सर्वाधिक लार बनती है और जिससे दातुन किया उस भाग को काट कर निकाल दे और पानी मे भिगोकर रखें अगले दिन फिर उसी दातुन के अगले हिस्से को प्रयोग में ले सकते है।

पार्किंसन रोग Parkinson’s disease or PD

पार्किंसन रोग Parkinson’s disease or PD

हाथ-पैर कंपकंपाते हैं? तो आपको पार्किंसन रोग हो गया है, इसका सबसे आसान घरेलू उपाय

पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease or PD) में शरीर में कंपन होता है। रोगी के हाथ-पैर कंपकंपाने लगते हैं। पूरे विश्व विश्व में पार्किंसन रोगियों की संख्या 60 लाख से ज़्यादा है, अकेले अमेरिका में इस रोग से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग दस लाख है। आमतौर पर यह बीमारी 50 वर्ष की उम्र के बाद होती है। वृद्धावस्था में भी हाथ-पैर हिलने लगते हैं, लेकिन यह पता कर पाना कि यह पार्किंसन है या उम्र का असर, सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल है। पार्किंसन यदि है तो शरीर की सक्रियता कम हो जाती हैं, मस्तिष्क ठीक ढंग से काम नहीं करता है। यह बीमारी होती इसीलिए है कि मस्तिष्क में बहुत गहरे केंद्रीय भाग में स्थित सेल्स डैमेज हो जाते हैं। दिमाग़ के ख़ास हिस्से बैसल गैंग्लिया ( Basal ganglia disease) में स्ट्रायटोनायग्रल नामक सेल्स होते हैं। सब्सटेंशिया निग्रा ( Substantia nigra ) की न्यूरान कोशिकाओं की क्षति होने से उनकी संख्या कम होने लगती है। आकार छोटा हो जाता है। स्ट्राएटम तथा सब्सटेंशिया निग्रा नामक हिस्सों में स्थित इन न्यूरान कोशिकाओं द्वारा रिसने वाले रासायनिक पदार्थों (न्यूरोट्रांसमिटर) का आपसी संतुलन बिगड़ जाता है। इस वजह से शरीर का भी संतुलन बिगड़ जाता है। कुछ शोधों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह बीमारी वंशानुगत भी हो सकती है। इस रोग को ख़त्म करने वाली दवाइयां अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन दवाइयों से इसकी रोकथाम संभव है। इस बीमारी के लिए एम्स में अब डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन सर्जरी (Deep brain stimulation surgery, AIIMS, India) होने लगी है।
➡ पार्किंसन रोग के लक्षण :
पार्किंसन रोग में पूरा शरीर ख़ासतौर से हाथ-पैर तेज़ी से कंपकंपाने लगते हैं। कभी कंपन ख़त्म हो जाता है, लेकिन जब भी रोगी व्यक्ति कुछ लिखने या कोई काम करने बैठेगा तो पुन: हाथ कांपने लगते हैं। भोजन करने में भी दिक्कत होती है। कभी-कभी रोगी के जबड़े, जीभ व आंखे भी कंपकंपाने लगती हैं। इसमें शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। रोगी सीधा नहीं खड़ा हो पाता। कप या गिलास हाथ में पकड़ नहीं पाता। ठीक से बोल नहीं पाता, हकलाने लगता है। चेहरा भाव शून्य हो जाता है। बैठे हैं तो उठने में दिक्कत होती है। चलने में बाँहों की गतिशीलता नहीं दिखती, वे स्थिर बनी रहती हैं। जब यह रोग बढ़ता है तो नींद नहीं आती है, वज़न गिरने लगता है, सांस लेने में तकलीफ़, कब्ज़, रुक-रुक कर पेशाब होना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना व सेक्स में कमी जैसी कई समस्याएं घेर लेती हैं। साथ ही मांसपेशियों में तनाव व कड़ापन, हाथ-पैरों में जकड़न होने लगती है, ऐसी अवस्था में किसी योग्य चिकित्सा से परामर्श लेना ज़रूरी होता है।
➡ पार्किंसन रोग के कारण :

अधिक सोचने, नकारात्मक सोच व मानसिक तनाव इसका प्रमुख कारण है। दिमाग़ में चोट, नींद की दवाइयों, नशीली दवाइयों व तनाव कम करने वाली दवाइयों का ज़्यादा प्रयोग, विटामिन ई की कमी, ज़्यादा धूम्रपान, तंबाकू, शराब व फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करने से भी पार्किंसन हो सकता है। प्रदूषण भी इसका एक कारण है। मस्तिष्क तक जाने वाली रक्त वाहिनी नलियों का अवरुद्ध होना व मैंगनीज़ की विषाक्तता भी इसका एक कारण है।
➡ पार्किंसन रोग के घरेलू उपचार :
– 4-5 दिन नियमित पानी में नींबू का रस मिलाकर पियें। नारियल का पानी भी इसमें बहुत लाभकारी है।
– नियमित दस दिन तक बिना पका हुआ भोजन करें और फलों तथा सब्ज़ियों का जूस पियें तो कुछ ही दिन में यह बीमारी दूर भाग जाती है।
– पार्किंसन रोग में सोयाबीन को दूध में मिलाकर पिया जा सकता है। तिल के साथ दूध व बकरी के दूध के सेवन से इस रोग में काफ़ी आराम मिलता है।
– हरी पत्तेदार सब्ज़ियों का सलाद खाएं।
– विटामिन ई वाले खाद्य पदार्थों से ज़्यादा सेवन करें।
– प्रतिदिन कुछ हल्के व्यायाम ज़रूर करें।
– विचारों को सकारात्मक रखें और ख़ुश रहें।
– धूप का सेवन करें ताकि विटामिन डी मिल सके।
➡ परहेज़ :
पार्किंसन के रोगी को कॉफ़ी, चाय, नशीली चीज़ें, नमक, चीनी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार कॉफ़ी पीने वालों में इस बीमारी के होने की आशंका 14 प्रतिशत कम हो जाती है। लेकिन बीमारी हो जाने पर कॉफ़ी से परहेज़ करना चाहिए।

कैसे पहचानें चीन से आ रहा प्‍लास्‍टिक वाला चावल !

कैसे पहचानें चीन से आ रहा प्‍लास्‍टिक वाला चावल !


चंद रुपयों के लालच में मिलावटखोर व्‍यापारी आपकी जान से खेल रहे हैं। दिल्‍ली हाईकोर्ट में एक पिटीशन के जरिए दिल्‍ली में नकली चावल की बात रखी गई है। पिटीशन देने वाले सुग्रीव दुबे ने कोर्ट से कहा कि वह सरकार को दुकानों से सैंपल लेने का र्निदेश दें। इस मामले पर अब 20 जुलाई को सुनवाई होनी है।

यह चावल देखने में बिल्‍कुल असली लगता है पर बना प्‍लास्‍टिक का होता है। इसे असली के साथ मिला देने पर पहचान करना और मुश्‍िकल हो जाता है। जरा सोचिए कि प्‍लास्‍टिक खाने के बाद पेट की क्‍या हालत होती होगी।

कैसे करें नकली चावल की पहचान 
1- नकली चावल देखने में काफी चमकीला नजर आता है।
2- अगर दो तरह के नकली चावलों को आपस में मिलाया नहीं गया है तो सारे चावलों का आकार और मोटाई एक जैसी होगी।
3- तौल कर लेंगे तो असली चावल के मुकाबले यह कुछ ज्यादा मिलेगा क्योंकि इसका वजन हल्का होता है।
4- असली चावल में धान की भूसी मिल ही जाती है, नकली में नहीं।
5- पकते वक्त इसे सूंघने पर आपको अंतर पता लग सकता है। यह प्लास्टिक की तरह ही महकता है।
6- काफी देर पकाने के बाद भी यह ठीक से पकता नहीं है।
8- इस चावल के माड (पकने के बाद बचा चावल का पानी) पर सफेद रंग की परत जम जाती है।
9- अगर इस परत को धूप में रख दिया जाए तो ये प्लास्टिक बन जाएगी, जिसे जलाया जा सकता है।
10- यह चावल पानी में तैरता नहीं है क्‍योंकि यह सौ फीसदी प्‍लास्‍टिक नहीं होता इसमें आलू और शकरकंद भी मिला होता है।

कैसे बनता है यह चावल
बिल्कुल सही जानकारी तो हासिल नहीं हो पाई मगर कहा जाता है कि यह चावल आलू, शकरकंद और प्लास्टिक को मिलाकर बनाया जाता है। यू ट्यूब पर कुछ वीडियो हैं, जिनमें दिखाया जा रहा है नकली चावल कैसे बनता है मगर यह वीडियो कितने सच्चे हैं कहना मुश्किल है।

बादाम खाएं होंगे फायदे

बादाम खाएं होंगे फायदे

सुबह खालीपेट खाएं 5 भीगे बादाम, होंगे ये 10 फायदे

बादाम को ऐसे ही खाने के बजाय इसे रात में पानी में भिगो दें और सुबह इसका छिलका निकालकर खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। सादे बादाम में टैनिन होता है जो बादाम में मौजूद न्यूट्रिएंट्स के अब्जॉर्बशन को रोकता है।

अगर बादाम को रात में पानी में भिगो दें और सुबह खाएं तो टैनिन दूर होता है। इसे खाने से बादाम में मौजूद न्यूट्रिएंट्स का बॉडी में अब्जॉर्बशन पूरी तरह होने लगता है। ये है पानी में भीगी हुई बादाम खाने के 10 फायदे।

डायबिटीज – इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल कण्ट्रोल रहता है और डायबिटीज से बचाव रहता है
बढती ऊपर का असर कम – भीगे हुए बादाम में एंटीओक्सिडेंट होते है जो बढती उम्र का असर कम करते है
मजबूत मसल्स – भीगे हुए बादाम में प्रोटीन अधिक होती है जिससे मसल्स मजबूत होते है
हार्ट प्रॉब्लम – भीगे हुए बादाम खाने से बैड कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होता है जो हार्ट प्रॉब्लम से बचाने में मदद करता है
डाईजेशन – इसमे मौजूद फाइबर डाईजेशन मजबूत करता है ओर कब्ज दूर करने में मदद करता है
हेल्दी स्किन – रात को पानी में भीगे हुए बादाम में विटामिन ‘इ’ होता है जिससे स्किन सॉफ्ट एंड शाइनी होती है
कैंसर – इसमे मौजूद फ्लेवोनाइडस कैंसर से बचाने में मदद करता है
प्रेगनेंसी – इसमे ओमेगा 3 फैट्टी एसिड होते है जो प्रेगनेंसी में मदद करते है
मजबूत दांत – इसमे फास्फोरस होता है जिससे दन्त मजबूत होते है ओर गम प्रॉब्लम से बचाव होता है
इनफर्टिलिटी- इसमे फोलिक एसिड होता है जो इनफर्टिलिटी बढ़ाने में मदद करता है

अलसी की चाय

अलसी की चाय

खांसी को दूर भगाने का रामबाण घरेलू नुस्खा,अलसी की चाय | जानिए बनाने की विधि

सर्दियों का मौसम ऐसा मौसम है कि जिसमें सर्दी- जुकाम जैसी समस्या होना आम बात है। अगर आप इस मौसम में जरा सी सावधानी न बरती तो आपको भी यह समस्या हो सकती है। अगर आप खांसी या फिर दमा की समस्या से परेशाने है तो आपके लिए अलसी की चाय काफी फायदेमंद लाभकारी हो सकता है। चौकिएं मत सच में अलसी की चाय भी बन सकती है।

आपने इसके लड़्डू खाए होगे, लेकिन क्या आप जानते है कि इसकी चाय भी बन सकती है। जानिए इसकी चाय कैसे बनती है ? और इसे किस तरह पीना चाहिए। अलसी की चाय बनाने के लिए आपको इसके पाउडर या फिर पीसी हुई अलसी का इस्तेमाल करना होगा।
बनाने की विधि सामग्री
1. दो कप पानी
2. एक चम्मच अलसी पाउडर
3. स्वादानुसार शहद या फिर गुड
ऐसे बनाए अलसी की चाय
सबसे पहले एक पैन में पानी रखे और उसे गैस में उबालने के लिए रख दे। इसके बाद इसमें अलसी का पाउडर डालें और धीमी आंच में पकाए। जब तक कि पानी एक कप न रह जाए। इसके बाद इसे गैंस से उतारकर थोडा ठंडा करें और फिर इसमें अपने अनुसार शहद या गुड मिलाकर हल्का गुनगुना धीरे-धीरे पीएं।
इसका सेवन दिन में 2-3 बार करें। इससे आपकी सर्दी-जुकाम गायब हो जाएगा।

अपामार्ग

अपामार्ग


अपामार्ग है अनेक असाध्य रोगों को ठीक करने वाली ग़ज़ब की औषिधि

अपामार्ग के अन्य भाषाओँ में नाम.

संस्कृत – शिखरी, अध्:शल्य, मयूरक, दुर्ग्रहा, किणही, खरमंजरी, प्रत्यकपुष्पी,

हिंदी – चिरचिटा, लटजीरा, चिरचिरा, चिचड़ा

उर्दू – चिरचिटा

असमिया – अपंग

कन्नड़ – उतरनी

कोंकणी – कांटमोगरो

गुजरती – अघेड़ो

तमिल – नायु रूवी

तेलुगु – अपमार्गम

बंगाली – अपांग, चिरचिटा

नेपाली – दतिवन

पंजाबी – कुत्री, पुठकंडा

मराठी – अघाडा

मलयालम – वनकटलकी, कटलकी

अंग्रेजी – Washerman’s Plant, rough chaff flower

अरबी – अत्कुमह

फारसी – खरेवाज्हुम

अपामार्ग श्वेत, रक्त, अपमर्गी, गिरी अपामार्ग, रक्त्पुश्पमार्ग, पक्षपत्रापामार्ग आदि किस्मो में पाया जाता है. यह अनेक रोगों में काम में लिया जाता है, यह छोटे मोटे सिरदर्द से लेकर मोटापा मिर्गी बवासीर आदि रोगों में रामबाण की तरह काम करता है. आइये जाने.

श्वेत अपामार्ग –

यह अपामार्ग कफ वात नाशक तथा कफपितसंशोधक होती है .श्वेत अपामार्ग ,भारंगी,अपराजिता ये सभी कफ,मेद एव विष के नाशक होते है.

लाल अपामार्ग –

इसके पत्र रक्तपित शामक होते है .इसकी मूल कटु,शीत,कषाय,वामक ,विबन्धकारक,म्रदुकारी,क्षतिविरोहक,वेदानाशामक तथा विषनाशक होती है .

अपमर्गी, गिरी अपामार्ग-

इसका पंचांग आमवात नाशक ,तिक्त,पाचक,मूत्रल,आर्त्ववर्धक,तथा प्रदर नाशक होता है.

रक्त्पुश्पमार्ग-

कई स्थानों पर अपामार्ग के स्थानो पर इसका प्रयोग होता है .इसके पंचांग में सूक्ष्म जीवाणुरोधी क्रिया होती है.

पक्षपत्रापामार्ग-

इस पोधे में प्रचुर मात्रा में पोटाश पाया जाता है .

क्या आपने एक ऐसी औषधि के बारे में जाना है ? जिसे दोषों का संशोधन करने वाली,भूख बढानेवाली एवं असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है और यह औषधि प्रायः सम्पूर्ण भारत में पायी जाती है नाम है “अपामार्ग ” मयूरक ,खरमंजरी,मर्कटी ,शिखरी आदि नामों से प्रचलित यह वनस्पति समस्त भारत में पायी जाती है ,इसके फूल हरे या गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं तथा बीजों का आकार चावल की तरह होता है !बाहर से देखने में इसका पौधा 1 से 3 फुट उंचा होता है ,शाखाएं पतली,पत्ते अंडाकार एक से पांच इंच लम्बे होते हैं ,फूल मंजरियों में पत्तों के बीच से निकलते हैं. अपामार्ग क़ी क्षार का प्रयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में बहुतायात से किया जाता है. अपामार्ग कफ़-वात शामक तथा कफ़-पित्त का संशोधन करने वाले गुणों से युक्त होता है. इसे रेचन ,दीपन ,पाचन ,कृमिघ्न,रक्तशोधक ,रक्तवर्धक ,शोथहर,डायुरेटिक गुणों से युक्त माना जाता है.

आइये अब इसके कुछ औषधीय प्रयोगों क़ी चर्चा करें :-
आधासीसी
यदि आप आधे सिर के दर्द से परेशान हों तो इसके बीजों के पाउडर को सूंघने मात्र से दर्द में आराम मिलता है I-यदि साइनस में सूजन (साईनोसाईटीस) जैसी समस्या से आप परेशान हो रहे हों जिस कारण नाक हमेशा बंद रहती हो और सिर में अक्सर भारीपन बना रहता हो तो इसके चूर्ण को सूंघने मात्र से लाभ मिलता है

ओषधिय प्रयोग ,मात्रा एवं विधि –

नेत्र रोग :-

2 ग्राम अपामार्ग मूल चूर्ण में मधु मिलाकर 2-2 बूंद आँख में डालने से आँखों के सभी विकारो में लाभ होता है .

मुह के रोगों में उपयोग :-

अपामार्ग कि जड़ से प्रतिदिन दातुन करने से दन्त चमकने लगते है तथा दांतों का हिलना ,मसुडो कि कमजोरी ,तथा मुंह कि दुर्गन्ध को दूर करता है .

दांत दर्द में.
दांतों के दर्द में इसके पत्तों का स्वरस रूई में लगाकर स्थानिक रुप से दांत पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है . यदि अपामार्ग की ताज़ी जड़ का प्रयोग दातून के रूप में कराया जाय तो दांतों क़ी चमक बरकार रहेगी और दाँतों क़ी विभिन्न समस्याओं जैसे दाँतों का हिलना,मसूड़ों क़ी दुर्गन्ध एवं दाँतों के हिलने जैसे स्थितियों में लाभ मिलता है.

कानो के रोग के लिए.
अपामार्ग क़ी जड़ को साफ़ से धो कर इसका रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पकाकर ,तेल शेष रहने पर छानकर किसी शीशी या बोतल में भरकर रख लें,हो गया ईयर ड्राप तैयार ,अब इसे दो-दो बूँद कानों में डालने से कान के विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है

खांसी और दमा
अपामार्ग क़ी जड़ को बलगमयुक्त खांसी और दमे जैसी स्थितियों में चमत्कारिक रूप से प्रभावी पाया गया है. ]

अपामार्ग क़ी क्षार क़ी 500 मिलीग्राम क़ी मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने मात्र से कफ़उत्क्लेषित होकर बाहर आ जाता है, यह योग बच्चों में विशेष रूप से फायदेमंद होता है.


यदि आप बार- बार आनेवाली खांसी से परेशान हों या कफ़ बाहर निकलने में परेशानी हो रही हो तो कफ़ गाढा निकल रहा हो तो अपामार्ग के क्षार को 250 मिलीग्राम एव 250 मिलीग्राम मिश्री के साथ मिलाकर गुनगुने पानी से देने से काफी लाभ मिलता है.


यदि रोगी सांस (दमे ) के कारण सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा हो तो अपामार्ग क़ी जड़ का पाउडर पांच ग्राम, ढाई ग्राम काली मिर्च के पाउडर के साथ प्रातः सायं लेने से लाभ मिलता है.

बवासीर.
अपामार्ग के बीजों को पीस लें और प्राप्त चूर्ण को 2.5 ग्राम क़ी मात्रा में सुबह-शाम चावल को धोने के बाद शेष बचे पानी के साथ प्रातः सायं देने से खूनी बबासीर (ब्लीडिंग पाइल्स ) में लाभ मिलता है.

अपामार्ग क़ी पत्तियों को 5 क़ी संख्या में लेकर इसे काली मिर्च के पांच टुकड़ों के साथ पानी में पीसकर सुबह-शाम लेने से पाइल्स (अर्श ) में लाभ मिलता है और इस कारण निकलने वाला खून भी बंद हो जाता है.

पेट दर्द में.
यदि रोगी पेट के दर्द से परेशान हो तो अपामार्ग की पंचांग को दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में लेकर इसे आधा लीटर पानी में पकाने के बाद चार भाग शेष रहे तो इसमें 250 मिलीग्राम नौसादर का पाउडर और लगभग 2.5 ग्राम काली मिर्च पाउडर मिलाकर दिन में दो बार सात से दस दिन तक लगातार देने से लाभ मिलता है.

भूख ना लगना – अरुचि
यदि आप भूख न लगने जैसी समस्या से परेशान हों तो घबराएं नहीं बस अपामार्ग की पंचांग (जड़,तने,पत्ती,फूल एवं फल ) का क्वाथ बनाकर इसे बीस से पच्चीस मिली की मात्रा में खाली पेट सेवन करें तो इससे पाचक रसों की वृद्धि होकर भूख लगने लगती है तथा हायपरएसिडिटी में भी लाभ मिलता है.

मासिक की समस्याएँ.
स्त्रियों में अनियमित मासिक चक्र ,अधिक रक्तस्राव आदि कारणों से गर्भ धारण में हो रही समस्या में भी अपामार्ग अत्यंत ही लाभकारी औषधि के रूप में जानी जाती है ..बस इसके बीजों के पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में या इसकी जड़ को साफकर सुखाकर बनाए गए पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ पिलाने से लाभ मिलता है.

सुखी प्रसव के लिए – Easy Delivery
अपामार्ग,वासा ,पाठा ,कनेर इनमें से किसी एक औषधि की जड़ को स्त्री की नाभि,मूत्र प्रदेश या योनि के आसपास लेपन करने मात्र से सुख-प्रसव होना विदित है …!

अपामार्ग की जड़ को पीसकर योनि के आसपास रुई में मिलाकर योनि में रखने मात्र से योनिशूल और मासिक धर्म की रुकावर दूर होती है.

जोड़ों की सूजन में इसके ताजे पत्तों को पीसकर लेप करने मात्र से सूजन घटने लग जाती है.

एंटी वायरल
अपामार्ग की ताज़ी पत्तियों को आठ से दस की संख्या में लेकर काली मिर्च के पांच से आठ टुकड़े एवं तीन से पांच ग्राम लह्शुन के साथ एक साथ पीसकर गोली बनाकर ..एक गोली बुखार आने से पूर्व सेवन करने पर यह ज्वर मुक्त करने में मदद करता है I-हल्दी के साथ अपामार्ग की जड़ का प्रयोग बराबर मात्रा में नियमित रूप से करने पर एंटीवाइरल प्रभाव प्राप्त होता है.

मिर्गी
इसके हरे पौधे का रस भूरी मिर्च और सौफ के पाउडर के साथ गोली बना कर देने से मिर्गी के रोगी को बहुत आराम मिलता है.

इसके लिए आप हमारी ये पोस्ट भी पढ़ सकते हैं.
मोटापा.
मोटापा कम करने के लिए भी यह एक ग़ज़ब की औषिधि है, इसके लिए आपको अपामार्ग के पत्तों को दूध में उबाल कर पीना होता है. इसके लिए आप हमारी ये पोस्ट पढ़ सकते हैं

धूम्रपान करनेवालों के लिए घरेलू नुख्सा

धूम्रपान करनेवालों के लिए घरेलू नुख्सा

धूम्रपान करनेवालों के लिए उनकी जिंदगी बचाने का साधन बन सकता है यह घरेलू नुख्सा
जैसे के हम सब बचपन से सुनते आ रहे है , हमे नशीले पदार्थों का सेवन न तो करना चाहिए और ना ही किसी को करने देना चाहिए | नशीले पदार्थो का सेवन जैसे के धूम्रपान करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है | धूम्रपान से कई जानलेवा बीमारिया उत्पन होती है जैसे के फेफड़ों का कैंसर |
लेकिन कभी – कभी ह्लातो से परेशान या शोंक से इंसान धूम्रपान जैसे रोग शरीर को लगा बैठता है | जिसका हरजाना पीडत को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है | धूम्रपान आपको या आपके करीबी लोगों को बिमारियों के इलावा कुछ नहीं देगा |
जो लोग काफी समय से धूम्रपान कर रहे है उनके फेफड़ों में टोक्सिन (Toxin) जमा होने लगता है | अगर यह टोक्सिन ज्यादा समय आपके फेफड़ों में रहता है तो इससे कैंसर पैदा होगा जो बोहत जल्दी सारे शरीर में फ़ैल जायेगा | आप अपने फेफड़ों को टोक्सिन मुक्त कर सकते है तथा फेफड़ों की सफाई कर सकते हो |

सामग्री :-
2 चमच हल्दी (पाउडर)
400 गर्म लहसुन
छोटा टुकड़ा अदरक
400 गर्म ब्राउन सुगर
1 ltr पानी
विधि :-
ब्राउन सुगर को किसी बर्तन में डाल कर धीमी आग पर रख दें और उसमे बाकी सामग्री मिक्स कर दें | कुछ समय के लिए इस मिश्रण को धीमी आग पर रखे रहने दें | फिर इसे उतार कर किसी गिलास में डाल लें और इसे ठंडा होने तक वेसे ही रहने दें | ठंडा होने के बाद आप इसको फ्रिज में स्टोर कर के रख सकते हो |

इस्तेमाल  :-
इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करना है – दो चमच सुबह नाश्ते से पहले और  दो चमच रात को खाना खाने के 2 घंटे बाद
इस विधि को अपनाने के साथ साथ कसरत को भी मह्त्ता दें | फेफड़ों को साफ़ करने में कसरत भी एहम रोल अदा करती है |
सलाह
सिगरेट या बीडी में सिर्फ तम्बाकू ही नहीं जलता साथ में धूम्रपान करने वालों के चेहरे की रोनक , घर-बार तथा रिश्ते नाते भी जल जाते है |
धूम्रपान ना करें और ना किसी को करने की सलाह दें |

अदरक के पेस्ट से दर्द दूर हो जाएंगे

अदरक के पेस्ट से दर्द दूर हो जाएंगे

How To Make Ginger Plaster For Various Pains And Rheumatic Problems
बाजार में आजकल सैकडों दर्दनिवारक तेल (Pain Relief Oils) बिक रहे हैं और इनको टेलेविज़न पर प्रचारित कर ग्राहकों से मोटी रकम ऐंठी जाती है ।जब के इनके पल्ले कुछ भी नहीं होता |कई अध्ययनों में पाया गया है कि अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो लिपिड पेरोक्सिडेशन और डीएनए (DNA) क्षति को रोकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि ये फ्री रेडिकल्स से हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं।

यूं तो सभी मसालों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, लेकिन अदरक (Ginger) इनमें सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है। अदरक को इसके स्वास्थ्य व चिकित्सकीय लाभ (Health Benefits) के लिए कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, जैसे इसके रस का सेवन, इसका कच्चा सेवन। लेकिन अदरक का एक इस्तेमाल ऐसा भी है जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। जिंजर पेस्ट (Ginger Paste) अर्थात अदरक को कूट कर इसका प्लास्टर लगाने से कई प्रकार का दर्द ठीक हो जाता है। तो चलिए आज आपको अदरक के प्लास्टर के फायदे और इसे बनाने व लगाने के तरीकों के बारे में बताते हैं।

कच्चे अदरक को कूट कर इसका पैक लगाने से मांसपेशियों की सूजन, नसों में सूजन, मोच और यहां तक कि गठिया के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है। हालांकि इस पेस्ट को लगाने के बाद आपको त्वचा पर थोड़ी जलन ज़रूर महसूस हो सकती है, लेकिन आपको इसकी वजह से घबराने की ज़रूरत नहीं हैं। थोड़ी जलन होने का मतलब है कि यह आपना काम कर रहा है। जिंजर पेस्ट त्वचा की गहराई में असर कर दर्द को जड़ से दूर करता है।

सामग्री :-

1 अदरक
4 लहसुन की गंडी
2 चम्मच मोटा समुंद्री नमक
विधि :-

लहसुन को छील लें और अदरक को पीस लें |
अब सारी सामग्री को एक साथ मिक्स करें |
जब पेस्ट बन कर तयार हो जाए तो इस पेस्ट को प्लास्टिक फिल्म पर लगा कर प्रभावित जगेह पर 6 घंटो के लिए लगा कर रखें |
आप इसे कवर करने के लिए किसी बैंडेज का भी इस्तेमाल कर सकते हो तांकि यह अपनी जगेह पर टिका रहे |
इस प्रयोग से आपके शरीर के कई तरेह के दर्द, शु- मन्त्र हो जाएंगे|

नाशपाती खाने के फायदे – The benefits of eating pear

नाशपाती खाने के फायदे – The benefits of eating pear

नाशपाती (Pear) हरे सेब (Green Apple) की तरह दिखने वाला मीठा (sweet) और स्वादिष्ट फल (Delicious fruit) है। भारत (India) के मुकाबले दूसरे देशो (Other countries) में लोग (People) नाशपाती (Pear) का बड़े पैमाने पर सेवन (Consumption) करते है। भारत (India) के लोगो (People) को नाशपाती (Pear) के गुणों (Properties) के बारे में जानकारी (Information) नहीं है, इसीलिए यहाँ के लोग (People) दूसरे फलो (Fruit) की तुलना में नाशपाती (Pear) कम खाते है।
जो लोग नाशपाती (Pear) खाते है, उनमे से अधिकतर लोग (People) नाशपाती (Pear) को छीलकर खाते है, हम आपको बता दे कि नाशपाती के छिलके (Pear peel) में नाशपाती (Pear) के गूदे से तीन गुना अधिक फीटोनुट्रिएंट्स (Phytonutrients) पाये जाते है, जो हमारे शरीर (Body) के लिए बहुत अधिक फायदेमंद (Beneficial) होते है। आज हम आपको नाशपाती (Pear) खाने से होने वाले फायदों (Benefits) के बारे में बतायेगे, इन फायदों (Benefits) को जानकर आप नाशपाती (Pear) जरूर खायेगे।
नाशपाती खाने के फायदे – The benefits of eating pear
1. नाशपाती (Pear) आयरन (Iron) का अच्छा स्त्रोत (Good source) है, जिसके कारण शरीर (Body) में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) का स्तर बढ़ता है। शरीर (Body) में खून (Blood) की कमी होने के कारण एनीमिया रोग (Anemia Disease) हो जाता है, नाशपाती (Pear) खाने से खून (Blood) की कमी दूर हो जाती है।
2. नाशपाती (Pear) खाने से शरीर (Body) की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है, जिससे शरीर (Body) अनेक रोगों (Diseases) से आसानी से लड़ सकता है।
3. नाशपाती (Pear) में बोरोन(Boron) नामक तत्व (Element) होता है। जो हड्डियों (Bones) को कैल्शियम (Calcium) देता है, इसीलिए नाशपाती (Pear) खाने से हड्डियां (Bones) मजबूत (strong) होती है।
4. एक गिलास नाशपाती का जूस (Pear juice) पीने से तेज फीवर (High fever) भी ठीक हो जाता है।
नाशपाती (Pear) के रोजाना सेवन करने से ब्लड प्रेशर (Blood pressure) कण्ट्रोल में रहता है, और हार्ट अटैक (Heart attack) आने का खतरा (Danger) भी कम हो जाता है।
5. रोजाना नाशपाती (Pear) खाने से Face पर Glow आता है।
6. शरीर (Body) के किसी भी हिस्से में सूजन (swelling) आ जाने पर, नाशपाती (Pear) या नाशपाती के जूस (Pear juice) का इस्तेमाल करे। इससे सूजन (swelling) में होने वाला दर और सूजन (swelling) धीरे धीरे कम हो जाती है।
7. नाशपाती (Pear) में अधिक मात्रा में ग्लूकोज़ (Glucose) और फ्रक्टोज (Fructose) पाया जाता है, जिससे नाशपाती का जूस (Pear juice) पीने से शरीर (Body) को एनर्जी (Energy) मिलती है।
8. नाशपाती (Pear) या नाशपाती (Pear) का जूस पीने से शरीर (Body) में पाया जाने वाला गन्दा कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) बाहर निकल जाता है।
9. जो लोग कब्ज (Constipation) की समस्या (Problem) से परेशान (worried) है, और घंटो तक वाशरूम (Washroom) में बिता देते है, उनके लिए नाशपाती (Pear) खाना बहुत फायदेमंद (Beneficial) है। रोजाना नाशपाती (Pear) खाने से पाचन किर्या (Digestion process) सही से काम करती है, जिसके कारण (Reason) कब्ज (Constipation) की समस्या (Problem) नहीं होती।
10. फाइबर (Fiber) अधिक होने के कारण नाशपाती (Pear) मधुमेह (Diabetes) के मरीज (patient) के लिए काफी फायदेमंद (Beneficial) होती है। नाशपाती (Pear) में पाए जाने वाले फाइबर (Fiber) शुगर को धीरे धीरे सोख लेते है।
11. गला (Throat) ख़राब होने पर नाशपाती का जूस (Pear juice) पिए।
12. रोजाना नाशपाती (Pear) खाने से शरीर (Body) में कैंसर (Cancer) पैदा करने वाले Free Radicals तत्व नष्ट हो जाते है, इससे कैंसर (Cancer) होने का खतरा (Danger) बहुत कम हो जाता है।

Saturday, May 20, 2017

रोजाना 1 लौंग चबाने से होते है आपको ये 150 अद्भुत फायदे

रोजाना 1 लौंग चबाने से होते है आपको ये 150 अद्भुत फायदे

➡ लौंग (Clove) :

सिर्फ 1 लौंग का सेवन आपके जीवन में कितना महत्त्वपूर्ण हो सकता है जिसकी आपने कभी कल्पना नही की होगी, आज हम आपको Allayurvedic के माध्यम से बताएँगे इसके सेवन से 150 अद्भुत फायदों के बारे में, लौंग में यूजेनॉल होता है जो साइनस और दांद दर्द जैसी हेल्थ प्रॉब्लम को ठीक करने में मदद करता है। लौंग की तासीर गर्म होती है। इसलिए सर्दी-जुकाम होने पर लौंग खाएं या इसकी चाय बनाकर पीना फायदेमंद है। अगर आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर उपयोग करें ताकि इसकी गर्म तासीर से सेहत को नुकसान न हो। लौंग जीवनी शक्ति के कोशो का पोषण करता है। इसी कारण लौंग टी.बी और बुखार में एंटीबायोटिक का काम करता है। यह रक्तशोधक और कीटाणुनाशक होता है। लौंग में मुंह, आते और आमाशय में रहने वाले सूक्ष्म कीटाणुओं व सड़न को रोकने के गुण पाये जाते है।
लौंग का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है क्योंकि किसी पूजा अनुष्ठान में लौंग का जोड़ा अर्पित किया जाता है। लौंग को घी के साथ मिलाकर दीपक के साथ मिलाकर पूजा करते है।
लौंग का रंग काला होता है। यह एक खुशबूदार मसाला है। जिसे भोजन में स्वाद के लिए डाला जाता है। लौंग दो प्रकार की होती है। एक तेज सुगन्ध वाली दूसरी नीले रंग की जिसका तेल मशीनों के द्वारा निकाला जाता है जो लौंग सुगन्ध में तेज, स्वाद में तीखी हो और दबाने में तेल का आभास हो उसी लौंग का अच्छा मानना चाहिए।
लौंग का तेल पानी की तुलना में भारी होता है। इसका रंग लाल होता है। सिगरेट की तम्बाकू को सुगन्धित बनाने के लिए लौंग के तेल का उपयोग होता है। लौंग के तेल को औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। इसके तेल को त्वचा पर लगाने से त्वचा के कीड़े नष्ट होते हैं।
आयुर्वेद में लौंग को तीखा, लघु, आंखों के लिए लाभकारी, शीतल, पाचनशक्तिवर्द्धक, पाचक और रुचिकारक होता है। यह प्यास, हिचकी, खांसी, रक्तविकार, टी.बी आदि रोगों को दूर करती है। लौंग का उपयोग मुंह से लार का अधिक आना, दर्द और विभिन्न रोगों में किया जाता है। यह दांतों के दर्द में भी लाभकारी है। यूनानी में लौंग को खुश्क, उत्तेजक और गर्म है। इसको खाने से सिर दर्द होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है। दांतों और मसूढ़ों को मजबूत बनाता है। इसको पीसकर मालिश करने से जहर दूर होता है। www.allayurvedic.org
असली लौंग की पहचान : दुकानदार बेचने वाले लौंग में तेल निकला हुआ लौंग मिला देते है। अगर लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो समझे कि यह तेल निकाली हुई लौंग है। उसे ना खरीदे। लौंग से बहुत सी प्राकृतिक औषधीयाँ बनती है। आज हम आपको बताएँगे की 1 लौंग कितना कमाल का होता है, आइये जाने लौंग के फायदों के बारे में।

➡ लौंग (Clove) के 150 चमत्कारी फायदे :


लौंग को मुंह में रख कर उसका रस चूसने से खांसी ख़त्म होती है। जब तक मुंह में लोंग रहती है तब तक खांसी बंद ही रहती है।
लौंग को मुंह में रख कर चूसने से मुंह और श्वास की बदबू दूर हो जाती है।
लौंग के तेल की कुछ बुंदे किसी स्वच्छ कपडे के टुकड़े पर टपकाकर, उस कपडे को बार-बार सूंघने से प्रतिषय (जुकाम) की समस्या ठीक हो जाता है साथ ही नाक भी बंद नहीं होती है, और नाक अगर बंद हो तो खुल जाती है।
लौंग को पानी के साथ पीसकर 100 ग्राम पानी में मिलाकर, छानकर मिश्री मिलाकर पिने से ह्रदय की जलन विकृति दूर होती है। पेट में जलन होना बंद हो जाती है।
वात विकार व सन्धिशुल (जोड़ों के दर्द) में लौंग का तेल मलने से पीड़ा ख़त्म होती है।
लौंग को पानी के साथ पीसकर हलके गर्म पानी में मिलाकर पिने से जी मचलना बंद हो जाता है और ज्यादा प्यास लगना भी बंद हो जाती है।
लौंग के तेल की एक दो बुंदे बताशे पर डालकर खाने से हैजे की विकृति दूर हो जाती है।
लौंग को बकरी के दूध में घीसकर, नेत्रों में काजल की तरह लगाने से रतोंधी रोग ठीक हो जाता है।
लौंग और चिरायता दोनों बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर पिलाने से बुखार (ज्वर) ख़त्म हो जाता है।
एक रत्ती लौंग को पीसकर, मिश्री की चाशनी में मिलाकर चाटकर खिलाने से गर्भवती स्त्री की उल्टियां बंद हो जाती है।
लौंग को पानी के साथ पीसकर, shahad मिलाकर चाटने से खसरे के रोग में बहुत लाभ होता है।
लौंग और हरड़ को पानी में खूब देर तक उबालकर कवाथ (काढ़ा) बनाकर थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पिने से अजीर्ण में बहुत फायदा होता है।
लौंग को पानी के साथ पीसकर सिर और कनपटियों पर लेप करने से स्नायविक (मस्तक शूल) ख़त्म होता है।
बस व रेल के लम्बे सफर में जी मचलने व उलटी होने की स्थिति में लौंग मुंह में रखकर चूसने से बहुत फायदा होता है।
लौंग (clove) को 200 ग्राम पानी में देर तक उबालें। 50 ग्राम पानी बाकी रह जाने पर उसे छानकर पिने से वायु विकार (गैस) और पेट दर्द खत्म हो जाता है।
लौंग के तेल की सिर पर मालिश करने से सिरदर्द ख़त्म हो जाता है।
लौंग और हल्दी को पिसकर लगाने से नासूर में बहुत फायदा होता है।
लौंग को जल में उबालकर, छानकर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाने से हैजे की विकृति में उलटी का प्रकोप शांत होता है। मूत्र अधिक निष्कासित होता है।
लौंग को आग पर भूनकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर मधु मिलाकर चटाने से कुक्कुर (काली) खांसी में बहुत लाभ होता है।
शरीर के किसी भी भाग पर शोध होने पर लौंग का तेल मलने से भी चमत्कारी लाभ होता है।
पाचन क्रिया का खराब होना : लौंग 10 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह पीसकर इसमें एक ग्राम सेंधानमक मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को एक स्टील के बर्तन में रखकर ऊपर से नींबू का रस डाल दें। जब यह सख्त हो तब इसे छाया में सुखाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद सुबह और शाम पानी के साथ लें।
शीतपित्त : चार लौंग पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से तेज बुखार और पित्त के कारण उत्पन्न बुखार दूर होता है।
नाक के रोग : लौंग को गर्म पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिर दर्द और जुकाम ठीक हो जाता है।
आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी : लगभग 5 ग्राम लौंग को पानी के साथ पीसकर उसको हल्का सा गर्म करके कनपटियों पर लेप करने से आधे सिर का दर्द मिट जाता है।        
10 ग्राम लौंग और लगभग 10 ग्राम तम्बाकू के पत्तों को पानी के साथ पीसकर माथे पर लेप की तरह लगाने से आधासीसी का रोग दूर हो जाता है।
पेट में दर्द : लौंग का चूर्ण 120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
1 लौंग को दिन में 2 बार (सुबह-शाम) खाना खाने के बाद चूसने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) की बीमारी और उससे होने वाली बीमारियों में लाभ होता है। लौंग के उपयोग से आमाशय शक्तिशाली होता है तथा यह, भूख न लगना, पेट के कीड़े, बलगम, श्वास (सांस) की बीमारी और वात आदि के रोगों में लाभकारी है।
लौंग का तेल 1 से 3 बूंद मिश्री में डालकर या गोंद में मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
10 लौंग, 2 चुटकी कालानमक, आधी चुटकी हींग को पीसकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
गठिया रोग : लौंग, भुना सुहागा, एलुवा एवं कालीमिर्च 5-5 ग्राम को कूट-पीस लें और घीग्वार के रस में मिलाकर चने के आकार के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। उसके बाद एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से गठिया का रोग नष्ट हो जाता है।
यो*नि रोग : लौंग को पीसकर घोड़ी के दूध में मिलाकर सुखा लें। इसके बाद इसे पीसकर योनि में रखने से यो*नि का आकार संकुचित होकर यो*नि छोटी हो जाती है।
चक्कर आना : सबसे पहले दो लौंग लें और इन लौंगों को दो कप पानी में डालकर उबालें फिर इस पानी को ठंडा करके चक्कर आने वाले रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
हृदय की दुर्बलता : लौंग को पीसकर मिश्री मिलाकर शर्बत बनायें। इसके पीने से हृदय की जलन मिट जाती है।
4 लौंग को पानी में पीसकर शक्कर मिलाकर सेवन करें। इससे हृदय की दुर्बलता दूर हो जाती है।
सर्दी में हृदय रोग होने पर 21 लौंग, तुलसी के 7 पत्ते, 5 कालीमिर्च तथा 4 बादाम। इन सबको पानी में पीसकर शर्बत बना लें। फिर इसमें थोड़ा शहद डालकर पी जाएं। यह शर्बत हृदय को शक्ति प्रदान करेगा।
पसलियों का दर्द : लौंग को मुंह में रखकर चूसने से खांसी कम होती है तथा कफ आराम से निकल जाती है। खांसी, दमा श्वास रोगों में लौंग के सेवन से लाभ पहुंचता है।
खसरा : खसरा निकलने पर दो लौंग पानी में घिसकर बच्चे को चटाना चाहिए।
खसरा निकलने पर 2 लौंग को घिसकर शहद के साथ प्रयोग कराने से खसरा रोग ठीक होता है।
खसरे के रोग में बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगती है। बार-बार पानी पीने से उसे वमन (उल्टी) होने लगती है। ऐसी हालत में पानी को उबालते समय उसमें दो-तीन लौंग डाल दें। फिर उस पानी को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोगी बच्चे को पिलाने से प्यास समाप्त हो जाती है।
जब खसरे के दाने पूरी तरह बाहर आ जायें तो लौंग को घिसकर शहद के साथ रोजाना 2-3 बार देने पर खसरा ठीक हो जाता है।
डब्बा रोग : 7 लौंग को पानी में घिसकर बच्चे को देने से सर्दी के मौसम में होने वाला डब्बा रोग (पसली चलना) मिट जाता है।
बालाचार, बालाग्रह : 20 लौंग को एक कपडे़ में बांधकर बच्चे के गले में ताबीज की तरह बांधने से दौरा आना कुछ ही समय में बंद हो जायेगा।
प्रलाप बड़बड़ाना : 1-1 ग्राम लौंग, तगर, ब्राह्मी और अजवायन को लगभग 16 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी शेष बचे तो इसे छानकर रोजाना दो या तीन बार पिलाने से प्रलाप दूर हो जाता है।
साइटिका (गृध्रसी) : लौंग के तेल से पैरों पर मालिश करने से साइटिका का दर्द खत्म हो जाता है।
कुष्ठ (कोढ़) : 1.20 ग्राम अंकोल की जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लौंग को पीसकर पानी के साथ खाने से कोढ़ का फैलना रुक जाता है।
लिं*ग दोष : लिं*ग की इन्द्रियों के दोष दूर करने के लिए 20 ग्राम लौंग को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर जलाएं। ठंडा होने पर इससे लिं*ग की मालिश करें। इससे लिं*ग की इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं।
नाभि रोग (नाभि का पकना) : लौंग का तेल व तिल का तेल दोनों को एक साथ मिलाकर नाभि पर लगाने से बच्चे को नाभि के कारण हो रहे दर्द में आराम मिलता है।
लिं*ग वृद्धि: लौंग के तेल को शहर के ओलिव ऑयल में मिला लें। इससे सु*पारी को (लिं*ग का अगला हिस्सा) को छोड़कर लिं*ग की मालिश करने से लिं*ग के आकार में वृद्धि हो जाती है।
नाड़ी का दर्द : लौंग के तेल से मालिश करने से नाड़ी, कमर, जांघ और घुटने आदि सभी दर्दों में लाभ होता है।
गले की सूजन : एक चम्मच गेहूं के आटे का चोकर (छानबूर), एक चम्मच सेंधानमक और दो नग लौंग को पानी में चाय की तरह उबालकर तथा छानकर पिएं। इससे गले की सूजन ठीक हो जाती है।
टांसिल का बढ़ना : एक पान का पत्ता, 2 लौंग, आधा चम्मच मुलेठी, 4 दाने पिपरमेन्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।
गलकोष की सूजन व दर्द : लगभग 120 मिलीलीटर से 300 मिलीलीटर लौंग की फांट या चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से गले की सूजन और दर्द में आराम आता है।
कंठपेशियों का पक्षाघात : ज्योतिष्मती के बीज और 2-4 फूल लौंग डालकर काढ़ा तैयार करके 20 से 40 ग्राम रोगी को पिलाने से बहुत आराम मिलता है।
दांतों का दर्द : 5 ग्राम नींबू के रस में 3 लौंग को पीसकर मिला लें। इसे दांतों पर मलें और खोखल में लगायें। इससे दांतों का दर्द नष्ट होता है।
लौंग के तेल में रूई भिगोकर दांतों में लगाने तथा खोखल में रखने से दांतों का दर्द ठीक होता है।
दमा या श्वास रोग : दो लौंग को 150 मिलीलीटर पानी में उबालें और इस पानी को थोड़ी सी मात्रा में पीने से अस्थमा और श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।
मुंह में लगातार लौंग रखकर चूसना चाहिए। इससे दमा का रोग दूर हो जाता है।
लौंग तथा कालीमिर्च का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर त्रिफला तथा बबूल के रस के काढ़े में घोलकर दो चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
लौंग, त्रिगुणा, नागरमोथा काकड़ासिंगी, बहेड़ा और रीगणी को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर रख लें, इसे ग्वारपाठे के रस में मिलाकर चने के बराबर आकार की गोली बना लें। इसकी एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से दमा में लाभ मिलता है।
लौंग मुंह में रखने से कफ आराम से निकलता है तथा कफ की दुर्गंध दूर हो जाती है। मुंह और श्वास की दुर्गंध भी इससे मिट जाती है।
फेफड़ों की सूजन : लौंग का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद व घी को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी और श्वांस सम्बंधी पीड़ा दूर हो जाती है।
अंजनहारी, गुहेरी : लौंग को पानी के साथ घिसकर गुहेरी पर लगाने से गुहेरी समाप्त हो जाती है। बस शुरूआत में थोड़ी जलन महसूस होती है।
दांत मजबूत करना : दांतों में कमजोरी के कारण दांत हिलने तथा टूटने लगते हैं। इस तरह की परेशानी में कालीमिर्च 50 ग्राम और लौंग 10 ग्राम को पीसकर मंजन बनाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
पायरिया : लौंग के तेल में खस और इलायची को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम दांतों पर मलने से पायरिया ठीक होकर मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
5 से 6 बूंद लौंग का तेल 1 गिलास गर्म पानी में मिलाकर गरारे व कुल्ले करने से पायरिया रोग नष्ट होता है।
दांत के कीड़े : कीड़े लगे दांतों के खोखल में लौंग के तेल को रूई में भिगोकर रखें। इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द कम होता है
काली खांसी : तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
थोड़ी सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी दूर हो जाती है।
बच्चों की काली खांसी में 30 से 60 मिलीग्राम गोलोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है। सावधानी यह रहे कि गोलोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि मार्केट में यह बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं।
खांसी : 2 लौंग गर्म मसाने वाली को तवे पर भूनकर (गर्म तवे पर लौंग 1 मिनट में ही फूलकर मोटी हो जाएगी तभी उतार लेते हैं।) तथा पीसकर 1 चम्मच दूध में मिलाकर गुनगुना सा ही बच्चों को सोते समय पिला देने से खांसी से छुटकारा मिल जाता है।
10 ग्राम लौंग, 10 ग्राम जायफल, 10 ग्राम पीपल, 20 ग्राम मिर्च, 160 ग्राम सोंठ और 210 ग्राम बूरे का चूर्ण बनाकर गोली बना लें। इन गोलियों के सेवन से खांसी, बुखार, अरुचि, प्रमेह, गुल्म, श्वास, मंदाग्नि तथा ग्रहणी के रोग में तुरन्त लाभ मिलता है।
लौंग, कालीमिर्च, बहेड़े की छाल और कत्था को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। इसके बाद उसे बबूल की छाल के काढ़े में डालकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को मुंह में रखकर चूसने से खांसी, श्वास, बुखार तथा नजला-जुकाम का रोग भी दूर हो जाता है।
1 भाग लौंग और 2 भाग अनार के छिलके को मिलाकर पीसकर इनका चौथाई चम्मच आधे चम्मच शहद में मिलाकर रोजाना 3 बार चाटने से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
10-10 ग्राम लौंग, इलायची, खस, चंदन, तज, सोंठ, पीपल की जड़, जायफल, तगर, कंकोल, स्याह जीरा, शुद्ध गुग्गुल, पीपल, वंशलोचन, जटामांसी, कमलगट्टा, नागकेशर, नेत्रवाला सभी को लेकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इसमें उड़ाया हुआ कपूर 6 ग्राम की मात्रा में मिला दें। इस मिश्रण को शहद से अथवा मिश्री से दोनों समय सेवन करने से हिचकी अरुचि, खांसी तथा अतिसार का रोग मिट जाता है।
खांसी में हल्का भुना हुआ लौंग चूसने से लाभ मिलता है।
10-10 ग्राम लौंग, पीपल, जायफल, कालीमिर्च, सोंठ तथा धनिया को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर शीशी में भर लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह, दोपहर और शाम को शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
अफारा (पेट का फूलना) : 3 ग्राम लौंग को 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। फिर छानकर इस पानी को पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) समाप्त होता है।
120 मिलीग्राम से 240 मिलीग्राम तक लौंग की फांट या चूर्ण को रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से अफारा में लाभ होता है।
मिश्री में 1 से 3 बूंद लौंग के तेल या गोंद को मिलाकर सेवन करने से अफारा मिटता है।
जीभ और त्वचा की सुन्नता : पान खाने से या किसी अन्य कारण से जीभ फट गई हो तो एक लौंग मुंह में रखें। इससे रोग में आराम रहता है।
कब्ज : लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीसकर छानकर नींबू के रस में डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।
वमन (उल्टी) : 4 लौंग को पीसकर 1 कप पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। जब उबलता हुआ पानी आधा रह जाये तो उसे छानकर स्वाद के मुताबिक उसमें चीनी मिलाकर पी लें और सो जायें। पूरे दिन में इस तरह चार बार इस पानी को पीने से उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।
अगर उल्टियां बंद नहीं हो रही हो तो 2 लौंग और थोड़ी सी दालचीनी लेकर 1 कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा बाकी रह जाये तो पानी को छानकर रोगी को जब भी उल्टी आये पिलाते रहें। इससे थोड़े समय में ही उल्टियां आना बंद हो जायेंगी।
यदि गर्भावस्था में उल्टी आती हो तो 2 लौंग को पीसकर शहद के साथ गर्भवती स्त्री को चटाने से उल्टी आना बंद हो जाती है। 2 लौंग को आग पर गर्म करके जब भी उल्टी हो चूसें। इससे उल्टी बंद हो जाती है।
2 लौंग को पानी में डालकर उबाल लें। फिर उस पानी को ठंडा होने पर इसमें मिश्री डालकर रोगी को पिलाकर सुला दें। इससे कुछ समय में ही उल्टी का रोग समाप्त हो जाता है।
अगर जी मिचलाता (उबकाई) हो तो लौंग को मुंह में रखकर चूसते रहने से लाभ होता है।
लौंग और दालचीनी का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
लगभग 25 ग्राम खील, 5 दाने लौंग, 5 छोटी इलायची और 25 ग्राम मिश्री को आधे लीटर पानी में डालकर उबालने के लिए आग पर रख दें। जब 10-12 बार पानी में उबाल आ जाये तो पानी को आग पर से उतारकर छान लें इस पानी को थोड़ा-थोड़ा पीने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
शहद में लौंग और अजमोद का चूर्ण मिलाकर खाने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
गर्भनि*रोध : नियमित रूप से सुबह के समय 1 लौंग का सेवन करने वाली को स्त्री के गर्भधारण करने की संभावना समाप्त हो जाती है।
मुंह के छाले : लौंग अथवा लौंग और इलायची को मिलाकर चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
मुंह का बिगड़ा स्वाद : मुंह का स्वाद खराब होने पर लौंग को मुंह में रखकर चबाते रहने से स्वाद ठीक हो जाता है।
दस्त : 7 लौंग, हींग, चना और सेंधानमक को पीसकर रख लें। इसे 2 ग्राम लेकर गर्मी के दिनों में ठंडे पानी से और सर्दी के दिनों में गर्म पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
मुंह की दुर्गन्ध : लौंग को हल्का भूनकर चबाते रहने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
न*पुंसकता: लौंग 8 ग्राम, जायफल 12 ग्राम, अफीम शुद्ध 16 ग्राम, कस्तूरी 240 मिलीग्राम इनको कूट-पीस लें, फिर इसमें शहद मिलाकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर रख लें। इसकी 1 गोली पान में रखकर खाने से स्तम्भन होता है। अगर स्त*म्भन ज्यादा हो जाये तो खटाई खाने से स्ख*लन हो जायेगा।
हिचकी का रोग  : 2 लौंग मुंह में रखकर उसे कुचलते हुए चूसने से हिचकी में लाभ होता है।
कमरदर्द : लौंग के तेल की मालिश करने से कमर दर्द के अलावा अन्य अंगों का दर्द भी मिट जाता है। इसके तेल की मालिश नहाने से पहले करनी चाहिए।
अग्निमान्द्यता : लौंग और हरड़ को एक कप पानी में उबाल लें, जब पानी आधा कप रह जाए, तो उसमें एक चुटकी सेंधानमक मिलाकर पीने से अपच, अग्निमान्द्य, पेट का भारीपन, खट्टी डकारें समाप्त होती हैं।
2 लौंग और 1 लाल इलायची को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीयें।
4 लौंग और 2 हरड़ को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अग्निमान्द्यता दूर हो जाती है।
कफ : 3 ग्राम लौंग 100 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई रह जाये तो इसे उतारकर ठंडा करें और पी लें। इससे कफ का रोग दूर हो जाता है।
लौंग के तेल की तीन चार बूंद बूरा या बताशे में गेरकर सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।
प्यास अधिक लगना : प्यास की तीव्रता होने पर दो गिलास उबले पानी में 3 लौंग डालकर पानी को ठंडा करके पिलायें। इससे प्यास कम हो जाती है।
बुखार या हैजा में प्यास अधिक लगने पर दो लौंग को 250 मिलीलीटर पानी में 10 मिनट तक उबालें। इस उबले पानी को 60 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लें या तेज प्यास में 10-15 मिनट पर घूंट-घूंट करके पानी पीने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
बेहोशी : लौंग घिसकर अंजन करने से बेहोशी दूर होती है।
लौंग को घी या दूध में पीसकर आंखों में लगाने से हिस्टीरिया की बेहोशी दूर हो जाती है।
जुकाम : लौंग का काढ़ा पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
2 बूंद लौंग के तेल की लेकर 25-30 ग्राम शक्कर में मिलाकर सेवन करने से जुकाम समाप्त हो जाता है।
लौंग के तेल को रूमाल पर डालकर सूंघने से जुकाम मिटता है।
100 मिलीलीटर पानी में 3 लौंग डालकर उबाल लें। उबलने पर जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसके अन्दर थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
पान में 2 लौंग डालकर खाने से जुकाम ठीक हो जाता है।
रतौंधी : 1 लौंग को बकरी के दूध के साथ पीसकर सुरमे की तरह आंखों में लगाने से धीरे-धीरे लगाने से रतौंधी रोग समाप्त हो जाता है।
बुखार : 1 लौंग पीसकर गर्म पानी से फंकी लें। इस तरह रोज 3 बार यह प्रयोग करने से सामान्य बुखार दूर होता है।
आंख पर दाने का निकलना: आंखों में दाने निकल जाने पर लौंग को घिसकर लगाने से वह बैठ जाती है।
दांतों के रोग : दांत में कीड़े लगने पर लौंग को दांत के खोखले स्थान में रखने से या लौंग का तेल लगाने से लाभ मिलता है।
रूई को लौंग के तेल में भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें तथा लार को नीचे गिरने दें।
लौंग को आग पर भूनकर दांतों के गड्ढे में रखने से दांतों का दर्द खत्म होता है।
लौंग के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दर्द वाले दांतों पर लगाने से दर्द में आराम रहता है।
5 लौंग पीसकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर दांतों पर मलने से दांतों के दर्द में लाभ होता है अथवा 5 लौंग 1 गिलास पानी में उबालकर इससे रोजाना 3 बार कुल्ला करने से लाभ होता है।
प्रमेह : लौंग, जायफल और पीपल को 5 ग्राम लेकर 20 ग्राम कालीमिर्च और 160 ग्राम सोंठ मिलाकर पाउडर बना लें। बाद में पाउडर में उसी के बराबर शक्कर डालकर खायें। इससे खांसी, बुखार, भूख का न लगना, प्रमेह, सांस रोग और ज्यादा दस्त का आना खत्म होता है।
सूखी या गीली खांसी : सुबह-शाम दो-तीन लौंग मुंह में रखकर रस चूसते रहना चाहिए।
लौंग या विभीतक फल मज्जा को घी में तलकर रख लेना चाहिए। इसे खांसी आने पर चूसना चाहिए इससे सूखी खांसी में लाभ होता है।
लौंग और अनार के छिलके को बराबर पीस लें, फिर इसे चौथाई चम्मच भर लेकर आधे चम्मच शहद के साथ दिन में 3 बार चाटें। इससे खांसी ठीक हो जाती है।
भूख न लगना : आधा ग्राम लौंग का चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ रोज सुबह चाटना चाहिए। थोडे़ ही दिनों में भूख अच्छी तरह लगने लगती है।
गर्भवती स्त्री की उल्टी : गर्भवती स्त्रियों की उल्टी पर 1 ग्राम लौंग का पाउडर अनार के रस के साथ देना चाहिए।
गर्भवती की मिचली में लौंग का चूर्ण शहद के साथ बार-बार चाटने से जी मिचलाना, उल्टी आदि सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसे प्रतिदिन 120 ग्राम से 240 ग्राम की मात्रा में दो बार चाटना चाहिए।
लौंग एक ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।
बुखार में खूब प्यास लगना : थोड़े से पानी में चार लौंग डालकर पानी को उबालें, जब आधा शेष बचे तो इसे बार-बार पीने से बुखार दूर होता है।
पेट दर्द और सफेद दस्त : लौंग के पाउडर को शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है।
जीभ कटने पर : पान खाने से अगर जीभ कट गई हो तो एक लौंग को मुंह में रखने से जीभ ठीक हो जाती है।
सिर दर्द : लौंग को पीसकर लेप करने से सिरदर्द तुरन्त बंद हो जाता है। इसका तेल भी लगाया जाता है या 5 लौंग पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर गर्म करें जब आधा बच जाये तो उसे छानकर चीनी मिलाकर पिलायें। इसका सेवन शाम को और सोते समय 2 बार करते रहने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
6 ग्राम लौंग को पानी में पीसकर गर्मकर गाढ़ा लेप कनपटियों पर लेप करने से सिर का दर्द दूर होता है।
लौंग के तेल को सिर और माथे पर लगायें या नाक के दोनों ओर के नथुनों में डालें। इससे सिर का दर्द दूर हो जाता है।
2 से 3 लौंग के साथ लगभग 480 मिलीग्राम अफीम को जल में पीसकर गर्म करके सिर पर लेप करने से हवा और सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।
1 या 2 ग्राम लौंग और दालचीनी को मैनफल के गूदे के साथ देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। इसको अधिक मात्रा में सिर दर्द के रोगी को नहीं देना चाहिए क्योंकि अधिक मात्रा में लेने से रोगी को उल्टी हो सकती है।
लगभग 5 लौंग लेकर उसको एक कप पानी में पीसकर गर्म करें और आधा कप पानी रहने पर छानकर चीनी मिला दें। इसे सुबह और शाम को दो-चार बार पिलाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
पेट की गैस : 2 लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें। फिर कुछ ठंडा होने पर पी लें। इस प्रकार यह प्रयोग रोजाना 3 बार करने से पेट की गैस में फायदा मिलेगा।
आधे कप पानी में 2 लौंग डालकर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा करके पीने से लाभ होगा।
अम्लपित्त : अम्लपित्त से पाचनशक्ति खराब रहती है। बूढ़े होने से पहले दांत भी गिरने लगते हैं। आंखे दुखने लगती हैं और बार-बार जुकाम लगा रहता है। इस प्रकार अम्लपित्त से अनेक रोग पैदा होते हैं। अम्लपित्त के रोगी को चाय काफी नुकसानदायक होती है। इस अवस्था में खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह-शाम खाने से या शर्बत में लेने से अम्लपित्त से पैदा होने वाले सारे रोगों में फायदा होता है और अम्लपित्त ठीक हो जाता है अथवा 15 ग्राम हरे आंवलों का रस 5 पिसी हुई लौंग, 1-1 चम्मच शहद और चीनी मिलाकर रोगी को सेवन करायें। ऐसे रोज सुबह, दोपहर और शाम को 3 बार खाने से कुछ ही दिनों में फायदा होता है।
सुबह और शाम भोजन के बाद 1-1 लौंग खाने से आराम आता है।
लौंग को खाना खाने के बाद गोली के रूप में चूसने से पेट की अम्लपित्त की शिकायत समाप्त होती है।
नासूर : लौंग और हल्दी पीसकर लगाने से नासूर के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
हैजा : लौंग का पानी बनाकर रोगी को देने से प्यास और उल्टी कम होती है और पेशाब भी खुलकर आता है।
लौग के तेल की 2-3 बूंदे चीनी या बताशे में देने से हैजा की उल्टी और दस्तों में लाभ होता है। इसके तेल के सेवन करने से पेट की पीड़ा, अफरा, वायु और उल्टी दूर होती है।
पित्तज्वर : 4 लौंग पीसकर पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से तेज ज्वर कम होता है।
आन्त्रज्वर (टायफाइड) : इसमें लौंग का पानी पिलाना फायदेमंद है। 5 लौंग 2 किलो पानी में उबालकर आधा पानी शेष रहने पर छान लें। इस पानी को रोगी को रोज बार-बार पिलायें। सिर्फ पानी भी उबालकर ठंडा करके पिलाना फायदेमंद है।
सर्दी लगना : लौंग का काढ़ा बनाकर खाने से या लौंग के तेल की 2 बूंद चीनी में डालकर खाने से सर्दी खत्म होती है।
मुंह की बदबू : लौंग को मुंह में रखने से मुंह और सांस की बदबू दूर होती है।
दिल की जलन : 2-4 पीस लौंग को ठंडे पानी में पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से दिल की जलन शांत होती है
जी मिचलाना : 2 लौंग पीसकर आधा कप पानी में मिलाकर गर्म करके पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाने से भी जी मिचलाना ठीक हो जाता है।
कृपया ध्यान रखे : ज्यादा लौंग खाने से गुर्दे और आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।

संतरा खाने से होगा स्ट्रोक दूर

संतरा खाने से होगा स्ट्रोक दूर


स्ट्रोक के मरीज़ों की तादाद में लगातार इज़ाफा हो रहा है। यह बीमारी कई तरह से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। अनियमित जीवनशैली, खान-पान और विटामिन सी की कमी की वजह से भारत में इसके मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। स्ट्रोक में मरीज के ब्रेन की नस फटने से खून जमा हो जाता है और वह तुरंत दम तोड़ देता है।
हाल ही में हुई एक रिसर्च का कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए उन फलों का सेवन करना चाहिए, जिनमें विटामिन सी की मात्रा ज़्यादा होती है। यह शोध अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी ने 66वीं बैठक में प्रस्तुत किया है। यह रिसर्च इंट्रा सेरेबिल स्ट्रोक के मरीजों पर की गई। रिसर्च में विटामिन सी के स्तर की चांज की गई और इनकी तुलना 65 स्वस्थ लोगों से की गई।
जांच में देखा गया है कि 41 प्रतिशत लोगों में विटामिन सी का स्तर सामान्य था। 45 प्रतिशत लोगों में विटामिन सी का स्तर खत्म हो गया था और 14 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिनमें विटामिन सी की कमी थी। शोधकर्ताओं ने पाया की विटामिन सी खत्म होने वाले ज़्यादातर लोगों को स्ट्रोक ने अपनी चपेट में ले रखा है। जिन लोगों में विटामिन सी का स्तर सामान्य था, उन्हें यह बीमारी नहीं हुई थी। शोधकर्ताओं ने पाया की विटामिन सी खत्म होने वाले ज़्यादातर लोगों को स्ट्रोक ने अपनी चपेट में ले रखा है।
रिसर्च के लेखक स्टीफेन वैनीर के मुताबिक,जिन लोगों में विटामिन सी का स्तर खत्म हो गया था, वही ज़्यादातर स्ट्रोक की चपेट में आए थे। इससे पता चलता है कि स्ट्रोक विटामिन सी की कमी से होता है।
वैनीर ने कहा कि इसके अलावा भी विटामिन सी के कई फायदे हैं। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं, हार्ट अटैक का खतरा कम होता है और बेजान स्किन में निखार आता है।

अंधेपन से छुटकारा केले से

अंधेपन से छुटकारा  केले से

अंधापन वाकई में एक बहुत बड़ी सजा है। जो लोग इसके शिकार हैं वाकई में वही लोग जान सकते हैं कि वे आम लोगों की तुलना में कितने अभावों का सामना करते हैं। कई तरह के अहतियात बरतने के बावजूद लोगों को अंधेपन से छुटकारा नहीं मिल पाता ​​है। आज हम आपको अंधेपन से लड़ने का एक घरेलू रामबाण इलाज बता रहे हैं। इस उपाय का नाम है केला। जी हां, बिल्कुल सहीं सुना आपन। रोजाना सिर्फ 1 केला खाने से आप अंधेपन की समस्या से काफी हद तक निजात पा सकते हैं।
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जिस तरह रोजाना एक सेब का सेवन आपको डॉक्टर से दूर रखता है ठीक उसी तरह रोजाना केले का सेवन आपको अंधेपन के रोग से बचा सकता है। इस बात की पुष्टि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने की है। शोधार्थियों ने इस शोध के लिए केले की दो किस्मों का अध्ययन किया था। जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि हल्के पीले और कम-कैरोटिनॉइड वाले कैवेंडिश किस्म के केले कैरोटिनॉइड के अणुओं को तोडऩे वाले अधिक एंजाइमों का उत्पादन करते हैं।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान केले में कैरोटिनॉइड यौगिक पाया है। यह फलों, सब्जियों को लाल, नारंगी और पीला रंग देता है, जो लीवर में जाकर विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं, जो आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। कैरोटिनॉइड के उच्च स्तर वाले खाद्य पदार्थ भी खतरनाक रोगों जैसे कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह से सुरक्षा प्रदान करते हैं। अध्ययन में पता चला है कि केला प्रोविटामिन ए कैरोटिनॉइड से भरपूर होता है, जो आंखों के लिए महत्वपूर्ण विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए एक संभावित खाद्य स्रोत प्रदान कर सकता है।
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विटामिन ए की कमी से निपटने के लिए शोधकर्ताओं ने केले में कैरोटिनॉइड को बढ़ावा वाले तरीकों की जांच की थी। आंखों की रोशनी कमजोर होने का प्रमुख कारण आंखों की ठीक से देखभाल न करना, पोषक तत्वों की कमी या अनुवांशिक कारण होते हैं।

Thursday, May 18, 2017

कैल्शियम

 कैल्शियम 


शरीर को फौलाद बना देगा ये आसान सा घरेलु रामबाण उपाय ★

➡ कैल्शियम हड्डियों  और दांतों  की सरंचना में मुख्य भूमिका निभाता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियों में अनेक रोग हो जाते हैं, मसल्स में अकड़ाव आने लगता है। जोड़ों में दर्द रहने लगता है। कैल्शियम की कमी के कारण शरीर में दर्द लगातार बना रहता है। ऐसे अनेक रोग कैल्शियम के कारण होने लगते हैं। महिलाओं में यह समस्या ज्यादा पायी जाती है।

➡ आज हम आपको एक ऐसा नुस्खा बताने जा रहे हैं जिसके प्रयोग से आपकी कैल्शियम की कमी दूर होगी और आपकी हड्डिया फौलाद बन जाएँगी।
सामग्री—
(1) हल्दीगाँठ 1 किलोग्राम
(2) बिनाबुझा चूना 2 किलो
• नोट :  बिना बुझा चुना वो होता है जिससे सफेदी की जाती है।

➡ विधि :
• सबसे पहले किसी मिट्टी के बर्तन में चूना डाल दें। अब इसमें इतना पानी डाले की चूना पूरा डूब जाये। पानी डालते ही इस चूने में उबाल सी उठेगी। जब चूना कुछ शांत हो जाए तो इसमें हल्दी डाल दें और किसी लकड़ी की सहायता से ठीक से मिक्स कर दे।
• इस हल्दी को लगभग दो माह तक इसी चूने में पड़ी रहने दे। जब पानी सूखने लगे तो इतना पानी अवश्य मिला दिया करे की यह सूखने न पाए।
• दो माह बाद हल्दी को निकाल कर ठीक से धो लें और सुखाकर पीस ले और किसी कांच के बर्तन में रख लें।

➡ सेवन विधि :
(1) वयस्क 3 ग्राम मात्रा गुनगुने दूध में मिलाकर दिन में दो बार नाश्ते या भोजन के बाद
(2) बच्चे – 1 से 2 ग्राम मात्रा गुनगुने दूध में मिलाकर दिन में दो बार नाश्ते या भोजन के बाद

➡ लाभ :
कुपोषण, बीमारी या खानपान की अनियमितता के कारण शरीर में आई कैल्शियम की कमी बहुत जल्दी दूर हो जाती है और शरीर में बना रहने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
ये दवा बढ़ते बच्चों के लिए एक अच्छा bone टॉनिक का काम करती है और लम्बाई बढ़ाने में बहुत लाभदायक है टूटी हड्डी न जुड़ रही हो या घुटनों और कमर में दर्द तो अन्य दवाओं के साथ इस हल्दी का भी प्रयोग बहुत अच्छे परिणाम देगा।


• सावधानी : जिन्हें पथरी की समस्या है वो न लें।

हरड़ के 32 अद्भुत गुण

हरड़ के 32 अद्भुत गुण


हरीतकी (हरड़) सदा ही पथ्यरूपा (जिसका कभी परहेज ना करना पड़े) है, माता के समान हित करने वाली है। माता कभी-कभी कोप कर सकती है किन्तु सेवन की गयी हरड़ कभी कुपित, सदा हित ही करती है।
हरड़ एक दिव्य औषधि है, जो सदियों से इस्तेमाल में लायी जा रही है। जिसे संस्कृत में ‘हरीतकी’ भी कहा जाता है। हरड़ दो प्रकार की होती है, छोटी और बड़ी हरड़ जिसका पेड़ सीधा और तना हुआ होता है। अगर इसके रंग और स्वाद की बात की जाये, तो यह काले और पीले रंग का होता है, जिसका स्वाद खट्टा और मीठा रहता है।
➡ हरड़ के 32 अद्भुत गुण :
नमक के साथ हरड़ खाने से पेट सदा साफ रहता है। हरड़ के चूर्ण में एक चौथाई भाग ही नमक मिलाना चाहिए इससे अधिक में दस्तावर हो सकता है।
घी के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से कभी हृदय रोग नहीं होता।
सुबह शहद के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से शरीर का बल और शक्ति बढ़ती है।
मक्खन-मिस्री के साथ हरड़ के चूर्ण का सेवन करने से स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ती है अतः विद्यार्थियों का इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।
पंचगव्य के साथ हरड़ का चूर्ण सेवन करने से आयु बढ़ती है।
इसके सेवन से कई छोटी से बड़ी बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है, यह दिमाग को तेज रखने में और आँखों के लिए सबसे गुणकारी औषधि है, जो शरीर को ताकत प्रदान कर निरोगी बनाती है। सिर्फ यही नहीं यह हमारे शरीर को कब्ज से छुटकारा दिलवाने में भी मददगार साबित हुई है। तो आज से ही इसका सेवन शुरू करे, इसका चूर्ण और गोलियां आसानी से मार्केट में मिल जाती है।
हरड़ के एनिमा से अल्सेरिक कोलाइटिस जैसे रोग भी ठीक हो जाते हैं। इन सभी रोगों के उपचार के लिए हरड़ के चूर्ण की तीन से चार ग्राम मात्रा का दिन में दो-तीन बार सेवन जरूर करना चाहिए। कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधे नमक में मिलाकर देना चाहिए।
हरड़ लीवर, स्पलीन बढ़ने तथा उदरस्थ कृमि जैसे रोगों के इलाज के लिए लगभग दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना ही चाहिए। हरड़ हमारे लिए बहुत उपयोगी है परन्तु फिर भी कमजोर शरीर वाले व्यक्ति, अवसादग्रस्त व्यक्ति या फिर गर्भवती स्त्रियों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
नेत्र रोगो से मुक्ति : हरड़ नेत्र के लिए सबसे फायदेमंद होती है, इसका सेवन करने के लिए पहले हरड़ को भुनले, फिर बारीक़ पीस लेने के बाद इसका अच्छी तरह से लेप बनाकर के आँखों के चारो और लगा ले। ऐसा करने से आँखों की सूजन और जलन जैसी परेशानिया दूर होती है।
कब्ज के लिए : बवासीर और कब्ज के लिए हरड़ का चूर्ण बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए हरड़ में थोड़ा सा गुड मिलाकर गोली बना ले, छाछ में भुना हुआ जीरा मिलाकर ताजी छाछ के साथ सुबह शाम लेने से बवासीर के मस्सों का दर्द और सूजन कम होने लगती है।
नवजात शिशु के लिए : अगर नवजात शिशु के भौहें नहीं हो, तो उन्हें हरड़ को लोहे पे घिसकर, सरसो के तेल के साथ मिलाकर शिशु के भौहें पर लगाये और धीरे-धीरे मालिश करते रहने से वह उगने लगते है। इसके साथ ही एक सप्ताह तक बच्चो को हरड़ पीसकर खिलाये जाने से उससे कब्ज की शिकायत नहीं होगी।
दमा में राहत : यदि जिन लोगो को दमे की परेशानी है, तो वो रात के समय में हरड़ को चूसे या आवलें के रस में हरड़ मिलाकर सेवन करने से भी इस बीमारी से राहत मिलती है।
अपच की शिकायत : हरड़ का सेवन पाचन क्रिया को सही रखने में असरदारी होता है, इसके लिए खाना खाने से पहले हरड़ के चूर्ण में सोंठ का चूर्ण मिलाकर साथ लेने से भूक आसानी से खुल जाती है, और भूक लगने लगती है। इसके साथ ही सोंठ, गुड़ या सेंधा नमक मिलाकर खाने से भी पाचन सही रहता है।
चक्कर आना : अगर आपको अचानक चक्कर आने की शिकायत है, तो पीपल (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ यानि सुखी अदरक, सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम लेले। अब 150 ग्राम गुड में इन सभी को मिलाकर गोल आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार लेने से चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।
हरड़ का सेवन लगातार करने से शरीर में थकान महसूस नहीं होती और स्फूर्ति बनी रहती है।
हरड़ के टुकड़ों को चबाकर खाने से भूख बढ़ती है।
हरड़ के सेवन से खांसी व कब्ज जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।
हरड़ को पीसकर उसमे शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।अगर शरीर में कही भी घाव हो जांए तो हरड़ से उस घाव को भर लेना चाहिए।
एक चम्मच हरड़ के चूर्ण में दो किशमिश के साथ लेने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
हिचकी आने पर हरड़ पाउडर व अंजीर के पाउडर को गुनगुने पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
छोटी हरड़ को पानी में भिगो दें। रात को खाना खाने के बाद चबा चबा कर खाने से पेट साफ़ हो जाता है और गैस की समस्या कम हो जाती है।
हरड़ को भून कर खूब बारीक पीस लें और लेप बना कर आंखों के चारो ओर लगाएं। इससे हर प्रकार के नेत्र रोग ठीक हो जाते हैं।
हरड़ का काढ़ा त्वचा संबंधी एलर्जी में लाभकारी है।
हरड़ के फल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और इसका सेवन दिन में दो बार नियमित रूप से करने पर जल्द आराम मिलता है।
एलर्जी से प्रभावित भाग की धुलाई भी इस काढ़े से की जा सकती है।
फंगल एलर्जी या संक्रमण होने पर हरड़ के फल और हल्दी से तैयार लेप प्रभावित भाग पर दिन में दो बार लगाएं, त्वचा के पूरी तरह सामान्य होने तक इस लेप का इस्तेमाल जारी रखें।
मुंह में सूजन होने पर हरड़ के गरारे करने से फायदा मिलता है।
हरड़ का लेप पतले छाछ के साथ मिलाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।
हरड़ का चूर्ण दुखते दांत पर लगाने से भी तकलीफ कम होती है।
हरड़ स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक होता है जिसके प्रयोग से बाल काले, चमकीले और आकर्षक दिखते हैं।
हरड़ के फल को नारियल तेल में उबालकर (हरड़ पूरी तरह घुलने तक) लेप बनाएं और इसे बालों में लगाएं या फिर प्रतिदिन 3-5 ग्राम हरड़ पावडर एक गिलास पानी के साथ सेवन करें।
हरड़ का पल्प कब्ज से राहत दिलाने में भी गुणकारी होता है। इस पल्प को चुटकीभर नमक के साथ खाएं या फिर 1/2 ग्राम लौंग अथवा दालचीनी के साथ इसका सेवन करें।

त्रिफला लेने के नियम

त्रिफला लेने के नियम

त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है |

सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |


यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |

१- ग्रीष्म ऋतू - १४ मई से १३ जुलाई तक त्रिफला को गुड़ १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

२- वर्षा ऋतू - १४ जुलाई से १३ सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

३- शरद ऋतू - १४ सितम्बर से १३ नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

४- हेमंत ऋतू - १४ नवम्बर से १३ जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

५- शिशिर ऋतू - १४ जनवरी से १३ मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |

६- बसंत ऋतू - १४ मार्च से १३ मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |

इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी, चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा, सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |

दो तोला हरड बड़ी मंगावे |तासू दुगुन बहेड़ा लावे ||
और चतुर्गुण मेरे मीता |ले आंवला परम पुनीता ||
कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||

त्रिफला का अनुपात होना चाहिए :-
1 : 2 : 3 =1(हरड )+ 2(बहेड़ा )+3 (आंवला )
मतलब जैसे आपको 100 ग्राम त्रिफ़ला बनाना है तो :: 20 ग्राम हरड+40 ग्राम बहेडा+60 ग्राम आंवला
अगर साबुत मिले तो तीनो को पीस लेना और अगर चूर्ण मिल जाए तो मिला लेना

त्रिफला लेने का सही नियम -

*सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamine, iron, calcium, micronutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |

*सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं |

*रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |

*रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |

नेत्र-प्रक्षलन : एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर  रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।

- कुल्ला करना : त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।

- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं  रहती। घाव जल्दी भर जाता है।

- गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।

- संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।

- मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है। रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।

- मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।

- त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है। प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।

सावधानी : दुर्बल, कृश व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।

शरीफा सीताफल फल

शरीफा  सीताफल फल

इस फल के बीजो को बकरी के दूध में मिलाकर लगाने से गंजो के सिर पर बाल उग जाते है, बहुत ही अद्भुत प्रभावी उपाय है आजमाएँ जरूर

➡ शरीफा के फल, पत्तो और बीजो का चमत्कार :
आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे फल के बारे में जिसके सेवन से आपको बालों से जुड़े सभी रोगों को सदा के लिए छुटकारा मिल जायेगा साथ ही साथ आगे भविष्य में भी बालों से जुड़े रोग जैसे की सफ़ेद होना, झड़ना, गंजापन आपको सता नही पाएंगे। इसके लिए बस आपको इस फल का सेवन करना है।
सीताफल (शरीफा) एक बड़ा ही स्वादिष्ट फल है लेकिन लोग इसके बारे में थोड़ा कम जानकारी रखते हैं। सीताफल अगस्त से नवम्बर के आस-पास अर्थात् आश्विन से माघ मास के बीच आने वाला फल है। अगर आयुर्वेद की बात माने तो सीताफल शरीर को शीतलता पहुंचाता है। यह पित्तशामक, तृषाशामक, उलटी बंद करने वाला,पौष्टिक,तृप्तिकर्ता, कफ एवं वीर्यवर्धक, मांस एवंरक्तवर्धक,बलवर्धक, वातदोषशामक एवं हृदय के लिए बहुत ही लाभदायी होता है। सीताफल को भगवन राम एवं माता सीता से जोड़ते हैं। ऐसी मान्यता है कि सीता ने वनवास के समय जो वन फल राम को भेंट किया, उसी का नाम सीताफल पड़ा। अगर आप दिन में एक सीताफल का सेवन करते हैं, तो आपको अनेको बीमारियों से निजात मिलेगा। www.allayurvedic.org
➡ आइये जानते हैं सीताफल खाने से हम किन-किन बीमारियों से निजात पा सकते हैं :
सीताफल का कच्चा फल खाना अतिसार और पेचिश में उपयोगी है। यह शरीर के लिए अत्यंत श्रेष्ठ फल है। जब फल कच्चा हो तब उसे काट कर सुखा दें और पीस कर रोगी को खिलाएं। इससे डायरिया की समस्या सही हो जाएगी।
सीताफल सिर्फ फल नहीं, दवा भी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग शरीर से दुबले पतले होते हैं उन्हें सीताफल खाना चाहिए। सीताफल खाने से शरीर की दुर्बलता तो दूर होती ही है साथ ही मैनपावर भी बढता है।
सीताफल शरीर की दुर्बलता, थकान, मांस-पेशियां क्षीण होने की दशा में सीताफल का खाना लाभकारी होता है।
सीताफल एक मीठा फल है। इसमें काफी मात्रा में कैलोरी होती है। यह आसानी से पचने वाला और अल्सर व एसिडिटी में लाभकारी होता है। इसमें आयरन और विटामिन- सी की मात्रा अच्छी होती है। इसके अलावा सीताफल कई रोगों में रामबाण की तरह काम करता है।
सीताफल के पत्तों को पीस कर फोड़ों पर लगाने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।
सीताफल के बीजों को बकरी के दूध के साथ पीस कर बालों में लगाने से सिर के उड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं।
इसमे खूब सारा विटामिन ए होता है, जो कि हमारे बालों, आंखों और त्वचा के लिये बहुत ही फायदेमंद होता है।
सीताफल के बीजों को बारीक पीस कर रात को सिर में लगा लें और किसी मोटे कपड़े से सिर को अच्छी तरह बांध कर सो जाएं। इससे जुएं मर जाती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यह आंखों तक न पहुंचे, क्योंकि इससे आंखों में जलन व अन्य नुकसान हो सकता है। शरीफा के पत्तों का रस बालों की जड़ो में अच्छी तरह मालिश करने से जुएं मर जाती हैं।
सीताफल खाने से इसके गूदे से बने शरबत को पीने से शरीर की जलन को ठीक करता है। वे लोग जिनका शरीर हर वक्त जलता रहता है और गर्म रहता है, उन्हें नियमित रूप से सीताफल का सेवन करना चाहिये।
इसमें घुलनशील रेशे होते हैं, जो कि पाचक्रिया के लिये बेहतरीन होते हैं।
सीताफल के बीजों को महीन चूर्ण बनाकर पानी से लेप तैयार कर रात को सिर में लगाएं एवं सबेरे धो लें। दो तीन रात ऐसा करने से जुएं समाप्त हो जाती हैं। चूंकि बीज से निकलने वाला तेल विषला होता है, इसलिए बालों में इसका लेप लगाते समय आंख को बचाकर रखना चाहिये।
शरीफा में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार होता है। यह त्वचा पर आने वाले एजिंग के निशानों से भी बचाता है।
सीताफल घबराहट को दूर करता है। हार्ट बीट को सही करता है। इसकी एक बड़ी किस्म और होती है, जिसे रामफल कहते हैं। जिनका हृदय कमजोर हो, हृदय का स्पंदन खूब ज्यादा हो, घबराहट होती हो, उच्च रक्तचाप हो ऐसे रोगियों के लिए भी सीताफल का सेवन लाभप्रद है।

अगर सुबह खुलकर पेट नहीं होता साफ़

अगर सुबह खुलकर पेट नहीं होता साफ़

अगर सुबह खुलकर पेट नहीं होता साफ़ तो अपनाए ये घरेलु उपाय, कब्ज़ से यूं पाएं निजात
कब्ज़ ख़त्म करने के ये हैं घरेलु रामबाण उपाय
यदि शौच के दौरान आपका पेट अच्छी तरह से साफ़ नहीं होता तो समझ लीजिये आपको कब्ज की बीमारी हैं और तरल पदार्थो की कमी आपके शरीर में हो रही हैं |यदि कब्ज हो जाये तब कोई भी खुद को फ्रेश फील नहीं कर पाता हैं | एक बात ध्यान अवश्य रखिये यदि कब्ज होने पर उसको अनदेखा किया गया तब इसके परिणाम काफी घातक होते हैं यह किसी भी जटिल बीमारी का रूप ले लेता हैं |

कब्ज के होते ही पेट में अनेको व्याधिया आ जाती हैं उदाहरण के लिए कब्ज वाले रोगी को पेट दर्द की शिकायत रहती हैं ,सुबह शौच करने में परेशानी आती हैं ,तथा मल का शरीर से पूरी तरह ना निकलना जैसी परेशानियो से सामना करना पड़ता हैं | वैसी तो कब्ज के लिए बहुत उपाय हैं पर कब्ज को जड़ से खत्म करने के लिए मात्र आर्युवैदिक उपाय ही कारगर साबित हुए हैं |आईये आज कब्ज को जड़ से मिटने वाले कुछ करामाती आर्युवैदिक उपाय के बारे में चर्चा करते हैं
कब्ज का मुख्य कारण यह हैं की शरीर में पानी और दुसरे प्रकार के तरल पदार्थो की कमी हो गयी हैं | इन्ही तरल पदार्थो की कमी के चलते आंतो में मल सुख जता हैं तथा सुबह शौच क्रिया के दौरान बल प्रयोग करना पड़ता हैं | इसके चलते कब्ज रोगी को दिक्कत का सामना करना पड़ता हैं | दलिया ,खिचड़ी जैसे और तरल पदार्थो को लेने की कब्ज रोगीयो को अक्सर सलाह दी जाती हैं ,इसके अतरिक्त चिकित्सक कब्ज के मरीज को गर्म पानी के सेवन पर जोर देते हैं|

गुड के साथ गिलोय का बारीक़ चूर्ण मिलाकर सोते समय 2 चम्मच लीजिये और ध्यान रखिये गुड तथा गिलोय का चूर्ण बराबर मात्र में मिक्स किया हो ,कब्ज एकदम ठीक होगा |
10 ग्राम सेंधा नमक ,10 ग्राम त्रिफला तथा 10 ग्राम अजवायन को मिलाकर कूट लीजिये और एक बारीक़ चूर्ण बना लीजिये | अब हर रोज हल्के गर्म पानी के साथ 3 से 5 ग्राम चूर्ण का सेवन कीजियेगा ,पुराणी से पुराणी कब्ज भी खत्म हो जाएगी |
4. हर्र
हर रोज रात में हर्र को पीसकर बारीक चूर्ण बना लीजिए, इस चूर्ण को कुनकुने पानी के साथ पीजिए। कब्जा दूर होगा और पेट में गैस बनना बंद हो जाएगा।
5. अमरूद
पका हुआ अमरूद और पपीता कब्जर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अमरूद और पपीता को किसी भी समय खाया जा सकता है।
6.किशमिश
किशमिश को पानी में कुछ देर तक डालकर गलाइए, इसके बाद किशमिश को पानी से निकालकर खा लीजिए। इससे कब्जि की शिकायत दूर होती है।
7.पालक
पालक का रस पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है, खाने में भी पालक की सब्जीि का प्रयोग करना चाहिए।

AAK KA POUDHA आक का पौधा

आक का पौधा

इस पौधे का हर अंग दवा है ये बाहर निकले पेट को कम तो गठिया 21 दिन में समाप्त कर सकता है इसका दूध उड़े हुए बालों को उगा देता है

वैसे तो ये पौधा हर जगह देखने को मिल जाता है लेकिन इसके उपयोग की जानकारी कम लोगो को है तो यहाँ हम आपको इसके प्रयोग की जानकारी दे रहे है. आक-अर्क के पौधे, शुष्क, ऊसर और ऊँची भूमि में प्राय: सर्वत्र देखने को मिलते हैं।
इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फेंली हुई है कि आक का पौधा विषेला होता है तथा यह मनुष्य के लिये घातक है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योकि आयुर्वेद संहिताओं मे भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उलटी दस्त होकर मनुष्य यमराज के घर जा सकता है।
इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बडा फायदा होता है। इसका हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है एवं यह सूर्य के समान तीक्ष्य। तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायन धर्मा हैं।

इसका रूप, रंग, पहचान :
यह पौधा अकौआ एक औषधीय पादप है। इसको मदार, मंदार, आक, अर्क भी कहते हैं. इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है. पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं.
इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं. फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है. आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।
इसके 9 अद्भुत फ़ायदे :

आक के पौधे की पत्ती को उल्टा (उल्टा का मतलब पत्ते का खुदरा भाग) कर के पैर के तलवे से सटा कर मोजा पहन लें. सुबह और पूरा दिन रहने दे रात में सोते समय निकाल दें। एक सप्ताह में आपका शुगर लेवल सामान्य हो जायेगा। साथ ही बाहर निकला पेट भी कम हो जाता है।

आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे ‘वानस्पतिक पारद’ भी कहा गया है। आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है. तथा कडुवे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है।
इसके कोमल पत्तों के धुंए से बवासीर शाँत होती है. आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है. सूजन दूर हो जाती है. आक की जड के चूर्ण में काली मिर्च पिस कर मिला ले और छोटी छोटी गोलियाँ बना कर खाने से खाँसी दूर होती है।
आक की जड की राख में कडुआ तेल मिलाकर लगाने से खुजली अच्छी हो जाती है. आक की सूखी डँडी लेकर उसे एक तरफ से जलावे और दूसरी ओर से नाक द्वारा उसका धूँआ जोर से खींचे सिर का दर्द तुरंत अच्छा हो जाता है।
आक का पत्ता और ड्ण्ठल पानी में डाल रखे उसी पानी से आबद्स्त ले तो बवासीर अच्छी हो जाती है। आक की जड का चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करने से उपदंश (गर्मी) रोग अच्छा हो जाता है। उपदंश के घाव पर भी आक का चूर्ण छिडकना चाहिये। आक ही के काडे से घाव धोवे।
आक की जड को पानी में घीस कर लगाने से नाखूना रोग अच्छा हो जाता है. आक की जड छाया में सुखा कर पीस लेवे और उसमें गुड मिलाकर खाने से शीत ज्वर शाँत हो जाता है.
आक की जड 2 सेर लेकर उसको चार सेर पानी में पकावे जब आधा पानी रह जाय तब जड निकाल ले और पानी में 2 सेर गेहूँ छोडे जब जल नहीं रहे तब सुखा कर उन गेहूँओं का आटा पिसकर पावभर आटा की बाटी या रोटी बनाकर उसमें गुड और घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से गठिया बाद दूर होती है। बहुत दिन की गठिया 21 दिन में अच्छी हो जाती है।
आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है। बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है।
जहाँ के बाल उड़ गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं। लेकिन ध्यान रहे इसका दूध आँख में नहीं जाना चाहिए वर्ना आँखें खराब हो जाती है। उपरोक्त कोई भी उपाय अपनी ज़िम्मेदारी पर सावधानी से ही करें।

Friday, May 12, 2017

दलिया खाने के चमत्कार

दलिया खाने के चमत्कार 

जाने सुबह नाश्ते में दलिया खाने से हमारे शरीर में होता है क्या चमत्कार
अगर आप इसे अपने सुबह के नाश्ते में शामिल करते हो तो आप रह सकते हो स्वस्थ और निरोगी |अगर आप नाश्ते में सुबह परांठे या फिर अंग्रेजी नाश्ता न शामिल करके दलिया खाये तो आप इसके फायदे देखकर खुद ही हैरान रह जाओगे |और आप बहुत साडी बीमारियों को पीछे छोड़ दोगे |
दलिया खाने से आप अपने आपको तरोताज़ा व सेहतमंद महसूस करोगो |पहले हमारे बड़े बुजर्ग नाश्ते में हमेशा दलिये का सेवन करते थे और बीमारियों से कोसो दूर रहते थे |वैसे भी साबुत अनाज हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद रहता है |दलिये को बनाना भी बहुत ही आसान है इसे मीठा व नमकीन दोनों ही बना सकते है |अगर आप नाश्ते में दलिये का सेवन करते है तो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं रहती है और हमारे शरीर में जो भी कमी होती है उन सभी को पूरा करने में दलिया मदद करता है |दलिया वैसे तो गेहू से ही बनाया जाता है मगर आजकल कई दाल भी मिलकर बनाया जाता है जोकि हमारी सेहत के लिए और भी जयादा फायदा पहुंचाता है |तो आइये जानते है सुबह के समय दलिया खाने से हमारे शरीर को क्या क्या बेनिफिट मिलते है और हम कैसे सेहतमंद रह सकते है :

# दलिया हमारे वजन को कम करने में मदद करता है |क्योकि इसमें फाइबर व कार्बोहैड्रेटेड की मात्रा जयादा होती है जो हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहने में मदद करता है |और दलिया खाने से हमारा पेट भरा भरा रहता है और हमें जल्दी भूख नहीं लगती है |और जिससे हमारा वजन नहीं बढ़ता है |

# शरीर को ऊर्जा देता है -अगर आप हर रोज एक कोटरी दलिये का सेवन करते हो तो आपके शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है |क्योकि दलिया हमारे शरीर को विटामिन b1 ,b2 मिनरल्स ,मैग्निसियम ,मैगनीज,आदि पोषक तत्वों को प्रदान करता है |जिससे हमरे शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहती है |

# कोलेस्ट्रॉल कम होता है -दलिया खाने से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की कमी होती है क्योकि इसमें घुलनशील व अघुलनशील फाइबर होता है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और जिससे हार्ट अटैक जैसी समस्याएं भी नहीं आती है |

# अगर दलिये को हर रोज महिलाये खाती है तो उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने के सम्भावना कम हो जाती है |क्योकि दलिया फाइबर से भरा हुवा होता है वैसे भी शोधो से ये साबित हो गया है की साबुत अनाजों को खाने से कैंसर की समस्याएं कम रहती है |

# हड्डिया को मजबूत बनाती है -दलिये को खाने से हमरी हड्डिया मजबूत बनती है क्योकि इसमें कैल्शियम व मैग्निसियम की मात्रा भरपूर होती है जोकि हमरी हड्डियों को बहुत ही फायदा पहुंचाती है |

# दलिये का नियमित रूप से सेवन करने पर जोड़ो की समस्या भी नहीं रहती है |

# दलिये को खाने से गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या भी कम हो जाती है |

# दलिया खाना डॉयबिटीज पेशेंट को भी बहुत ही फायदा मिलता है |दलिये को खाने से ब्लड में मौजूद शुगर लेवल कम हो जाती है क्योकि इसमें मैग्निसियम की मात्रा भरपूर होती है |बस एक बात का धायण रखना है की आपने दलिये को मीठा बना कर नहीं खाना है |

# दलिये को खाने से शरीर में आयरन की कमी पूरी हो जाती है |क्योकि इसमें आयरन की मात्रा जयादा होती है और जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं रहती है |

# दलिये में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा जयादा होती है जिससे शरीर के विषले तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है |और हम कई बीमारियों से दूर रहते है |

# बच्चो के लिए दलिया बहुत ही फायदेमंद रहता है |दलिये को खाने से बच्चे जल्दी ग्रो करते है और उनकी भूख को मिटाते है | और इसमें मौजूद बहुत सरे पोषक तत्व बच्चो को प्रॉपर मात्रा में मिलते है जोकि बच्चो की हेल्थ के लिए बहुत ही जरुरी होते है |

चायपत्ती को कैसे प्रयोग में ला सकते है

चायपत्ती को कैसे प्रयोग में ला सकते है

चाय बनाने के बाद क्या आप भी चायपत्ती फैंक देते है तो जरा रुकिए देखिये कुछ अनोखा
चाय बनाने के बाद क्या आप भी चायपत्ती फैंक देते है तो जरा रुकिए |चाय चाहे गरीब हो या आमिर हर किसी की सुबह की शुरआत चाय की चुसिक्यो से ही होती है न जाने क्या इस चाय में |कुछ लोग तो चाय के बिना रह ही नहीं पाते वे चाय को एक नशे की तरह पीते है |अगर उन्हें सही समय पर चाय न मिले तो उन्हें सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगती है | क्या आपने चाय पीते समय कभी सोचा है की हम चायपत्ती का इस्तेमाल भी कर सकते है
आप चायपत्ती को या तो डस्टबिन में डाल देते होंगे मगर क्या आपको पता है की चायपत्ती एक बेहतरीन ब्यूटी प्रोडक्ट व बालो के लिए काफी फायदेमंद है |और ये हमारे लिए कितने काम की चीज है |चाय की पत्ती सिर्फ बालो व सौन्दर्य को निखारने के लिए ही नहीं बल्कि इसका घेरलू कामो में भी बहुत ही प्रयोग किया जा सकता है |क्योकि चायपत्ती में एंटी एजिंग ,एंटी ऑक्सीडेंट व एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते है |इस वीडियो में आप चायपत्ती के ऐसे प्रयोग देखकर आप हैरान रह जायेगे और दोबरा कभी भी चायपत्ती को नहीं फेंकेगे |तो आइये जानते है हम चायपत्ती को कैसे प्रयोग में ला सकते है

# पैरो से बदबू को दूर करता ही चायपत्ती -कई बार हमारे पैरो में से इतनी बदबू आती है की हमें बहुत ही शर्मिंदगी उठानी पड़ती है |इसके लिए आप चायपत्ती को धोकर पानी में उबाल ले और इस पानी को एक टब में डाल ले और इस पानी में अपने पैर डुबो ले |ऐसा करने से आपके पैरो की बदबू दूर हो जाएगी |

# चाय की पत्तियों में एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा जयादा होती है |चायपत्ती से अगर हमें चोट लग गए हो या फिर घाव हो रहा हो तो इसे इस्तेमाल करने पर चोट या घाव जल्दी भर जाते है |आप बच्ची हुई चायपत्ती को पानी में उबालकर इस पानी से घाव या चोट को धो ले या फिर चायपत्ती को घाव पर लगा दे इससे आपको इन्फेक्शन भी नहीं होगी और आपकी चोट भी जल्दी ठीक हो जाएगी |

# अगर आपकी आँखों के निचे काले घेरे है तो आप टी बैग्स को ठन्डे करके व धोकर आँखों के नीचे डार्क सर्किल पर रख लो आपके डार्क सर्किल खत्म हो जायेंगे |क्योकि चायपत्ती में मौजूद कैफीन आँखों के काले घेरे खत्म करने में मदद करती है |

# चाय पत्ती से आप सनबर्न भी ठीक कर सकते है कई लोगो को बहुत ही जयादा सनबर्न की शिकायत रहती है ऐसे में आप टी बैग्स को ठन्डे पानी में भिगो दे और इसे सनबर्न वाली जगह पर मले आपको सनबर्न से काफी आराम मिलेगा |

# बालो में चमक लाने व कंडीशनर करने के बड़े काम आती है चाय की पत्ती|आप जब चाय बना लेते है तो आप चायपत्ती को अच्छे से धो ले और इसे फिर से पानी में डाल कर उबाले |और फिर बालो में शैम्पू करने के बाद इस पानी से सिर को धो ले आपके बालो में चमक आ जाएगी ऐसा अगर आप हर रपज करते है आपके बालो में नेचुरल चमक आ जाएगी |

# कई बार हमें कोई भी मच्छर या फिर कोई कीट पतंगा काट जाता है और जगह बहुत ही खुजली होती है ऐसे में चाय पत्ती के पानी से उस जगह को धो ले आपको खारिश कम होगी |या फिर टी बैग्स को ठंडा करके उस जगह रख ले आपको काफी आराम मिलेगा |

# चायपत्ती के इस्तेमाल से आप लकड़ी से बने सामान को चमकाने के काम आता है |आप चायपत्ती को पानी में उबाले और इस पानी से लकड़ी के फर्नीचर को पोंछे आपका फर्नीचर चमकाने लग जायेगा |

# आप बची हुए चायपत्ती को धोकर सूखा ले और इस चायपत्ती का इस्तेमाल काबुली चने को बनाने में किया जा सकता है |आप इस चायपत्ती को एक कपडे में बांधकर काबुली चने को उबलते समय डाल दे इससे चनो की रंगत बहुत ही सूंदर बनती है |

# बची हुए चायपत्ती में थोड़ा सा वीम पाउडर डाल कर क्राकरी साफ करे और उसमे चमक आ जाती है |

# मखियो को हटाने में भी चायपत्ती काफी मदद करती है ऐसे में आप बची हुए चायपत्ती को अच्छे से धोकर मखियो वाली जगह पर रगड़े इससे वह मखिया नहीं आएगी |

# बची हुए चायपत्ती को धोकर गमलो में डाल दे इससे पोधो को खाद मिलेगी और पौधे जल्दी बड़े व स्वस्थ होंगे |

चेहरा धोते समय ये गलतियां न करें

चेहरा धोते समय ये गलतियां  न करें

चेहरा धोते समय ये गलतियां  न करें, नहीं तो चेहरा हो जाएगा खराब
ये तो आप सब जानते है कि चेहरे की त्वचा को स्वस्थ,साफ़ और कोमल बनाये रखने के लिए फेसवॉश बहुत जरूरी होता है | लेकिन इसका सही तरीका भी मालूम होना चहिये, यदि फेसवॉश का सही तरीका नही अपनाएंगे तो इससे चेहरे की त्वचा को नुकसान हो सकता है |
फेसवॉश से सम्बंधित कुछ गलतिया और इनसे बचने के उपाये और चेहरे को खिला-खिला, खूबसूरत और जवान बनाने के उपाये |

1. त्वचा के हिसाब से फेसवॉश का प्रयोग करने से यह आपके चेहरे की कुदरती नमी को बनाये रखता है |
ऑयली स्किन के लिए नीम, अलोएवेरा, और मिन्ट फेसवॉश का प्रयोग करना फायदेमंद होता है |
ड्राई स्किन के लिए केशर, मिल्क और हनी फेसवॉश और डेड स्किन के लिए स्क्रब वाला फेसवॉश प्रयोग करना चहिये|

2. फेसवॉश के लिए सही तापमान वाले पानी का इस्तेमाल करना चहिये क्योंकि ज्यादा गरम पानी के इस्तेमाल से चेहरे की स्किन को नुकसान पहुँचता है |फेसवॉश करने के लिए गुनगुना या ताज़ा पानी का ही इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है |

3. फेसवॉश करते समय चेहरे को ज्यादा देर तक रगड़ना चेहरे के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है | क्योंकि ऐसा करने से त्वचा की मुलायम परत उतर जाती है और ड्राई स्किन रह जाती है | त्वचा की ऊपर की परत उतारने से त्वचा को नुकसान पहुँचता है और इससे चेहरे पर मुहांसे और झाइयाँ भी हो जाती है |

4. चेहरे की त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है जिससे इस पर ज्यादा प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से यह बेजान हो जाती है| इसलिए फेसवॉश करने के लिए प्राक्रतिक नुस्खो का ही इस्तेमाल करे |
5. चेहरे के मेकअप को भी हटाना जरूरी होता है क्योंकि इसके न हटाने त्वचा साँस नही ले पाती है और इससे त्वचा को नुकसान पहुंचता है|

करेले से करें अपना इलाज

करेले से करें अपना इलाज 

छोटी हो या बड़ी, कैसी भी बीमारी हो, करेले से करें उसका सफाया, सस्ते में करें अपना इलाज
एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा, ये कहावत बहुत मशहूर है, करेला खाने में कड़वा ज़रूर होता है, मगर इसके गुण इसके कड़वेपन को मीठे में बदल देता है. ये छोटी से लेकर बड़ी बड़ी भयंकर बीमरियों में बेहद उपयोगी साबित होता है.

कब्ज की बीमारी में
करेले का इस्तेमाल प्रतिदिन करे। इससे आपकी कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलेगा। चुकी इसमें फाइबर रहता है जिससे पेट साफ रहता।
भूख को बढाता है

जिसको भी भूख न लगने की शिकायत है। वो प्रतिदिन करेले का जूस का सेवन करे। इससे आपकी पाचन क्रिया सही रहती है और आपकी भूख को बढती है।
जोड़ो के दर्द में
करेले का रस और तिल का तेल बराबर मात्रा में मिला ले। अब जोड़ो पर मालिश करे आपको लाभ मिलेगा।

गठिया की बीमारी में
करेले या उसके पत्ते का रस निकाल कर गरम करे। फिर उस रस को सूजन या दर्द वाली जगह पर लगाये। आपको आराम मिलेगा और प्रतिदिन अपने भोजन में करेला को शामिल करे।

त्वचा / स्किन रोगों में
करेले में पानी की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसके प्रतिदिन सेवन करने से चर्म रोग नहीं होते है और दाग धब्बे भी नही होते है।

खून की कमी में
करेला उन लोगो के लिए फायदेमंद है, जिन्हें खून की कमी है। प्रतिदिन कच्चे करेले का जूस थोडा थोडा सुबह और शाम पिये।इससे आपको लाभ होगा।

आँखों की रौशनी को बढाता है
विभिन प्रकार के आँखों के रोग से छुटकारा चाहिए। तो करेले का सेवन प्रतिदिन करे इसमें विटामिन A और कैरोटीन होती है, जो आंखो के लिए लाभकारी है।

कफ के रोग में
करेले का सेवन करने से आपको कफ से आराम मिलेगा। चुकी करेले में फास्फोरस रहता है, जिसके कारन आपको कफ की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पिम्पल या मुहासे में
करेले का रस नियमित रूप से प्रतिदिन पिये। इससे आपका खून भी साफ होगा और किल मुहासे की समस्या से छुटकारा भी मिलेगा।

दमा में
इस रोग नियमित करेले का सेवन करे। अगर आप करेले की सब्जी के रूप में सेवन कर रहे है तो बिना मसाले की छोंकी हुई सब्जी का उपयोग करे। इससे आपको लाभ मिलेगा।

मधुमेह की बीमारी में
करेले का प्रतिदिन सेवन करे। करेले की सब्जी के रूप में या कच्चे करेले के जूस के रूप में इससे मधुमेह कंट्रोल में रहता है।

रुसी की समस्या में
करेले और जीरे को पीसकर अपने बालों की जड़ो में अच्छे से लगाये और लगभग 25 मिनट तक रहने दे। उसके बाद अच्छे से अपने बालों को साफ कर ले। इससे आपकी रुसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

वजन कम करने में
सबसे पहले कच्चे करेले का रस निकल ले और उसमे नीबू का रस मिला ले। इससे प्रतिदिन पिये ऐसा करने से आपका वजन कम होगा।

पीलिया के रोग में
कच्चे करेले का जूस निकाल ले और उसमे थोडा पानी मिला ले। अब इसका सेवन करे आपको आराम मिलेगा।

उल्टी दस्त और हैजा में
करेले का रस निकाल ले अब उसमे थोडा पानी और चुटकी भर कला नामक मिला ले। इसे पिये आपको आराम मिलेगा।

चने की रोटी के लाभ

चने की रोटी के लाभ

ये रोटी क़ब्ज़ से लेकर बवासीर, ज़ुकाम, रूसी और पौरुष शक्ति तक करती है ज़बरदस्त फ़ायदे
चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रुचि पैदा करने वाला होता है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं। उबले हुए चने कोमल, रुचिकारक, पित्त, शुक्रनाशक, शीतल, कषैले, वातकारक, ग्राही, हल्के, कफ तथा पित्त नाशक होते हैं।
चना शरीर को चुस्त-दुरुस्त करता है। खून में जोश पैदा करता है। यकृत (जिगर) और प्लीहा के लिए लाभकारी होता है। तबियत को नर्म करता है। खून को साफ करता है। धातु को बढ़ाता है। आवाज को साफ करता है। रक्त सम्बन्धी बीमारियों और वादी में लाभदायक होता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। इसको पानी में भिगोकर चबाने से शरीर में ताकत आती है।
चना विशेषकर किशोरों, जवानों तथा शारीरिक मेहनत करने वालों के लिए पौष्टिक नाश्ता होता है। इसके लिए 25 ग्राम देशी काले चने लेकर अच्छी तरह से साफ कर लें। मोटे पुष्ट चने को लेकर साफ-सुथरे, कीडे़ या डंक लगे व टूटे चने निकालकर फेंक देते हैं।
चने की रोटी बनाने की विधि:
चने की रोटी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। छिलके सहित चने को पीसकर आटा बनाकर रोटी तैयार की जा सकती है। यदि इस आटे में थोड़ा सा गेहूं का आटा मिला दें तो यह मिस्सी रोटी कहलाती है। इसे पानी की सहायता से गूंथकर 3 घंटे बाद दुबारा गूंथकर रोटी बनाएं।
यह रोटी त्वचा सम्बंधी रोगों जैसे- खुजली, दाद, खाज, एक्जिमा में बहुत फायदेमंद है, इसमें सब्जी का रस मिला देने से यह और भी गुणकारी हो जाती है।
बच्चों को मंहगे बादामों के बजाय काले चने खिलाने चाहिए जिससे वे अधिक स्वस्थ रहेंगे। जहां एक अण्डे में 1 ग्राम प्रोटीन और 30 कैलोरी उष्मा की प्राप्ति होती है, वहां इस मूल्य के काले चने में 41 ग्राम प्रोटीन और 864 कैलारी उष्मा प्राप्त होती है।

चने की रोटी के लाभ:
1. जुकाम :
50 ग्राम भुने हुए चनों को एक कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। इस पोटली को हल्का सा गर्म करके नाक पर लगाकर सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और सांस लेने में परेशानी नहीं होती है।
गर्म-गर्म चने को किसी रूमाल में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है। चने को पानी में उबालकर इसके पानी को पी जायें और चने को खा लें। चने में स्वाद के लिए कालीमिर्च और थोड़ा-सा नमक डाल लें। चने का सेवन करना जुकाम में बहुत लाभ करता है।
2. खूनी बवासीर :

सेंके हुए गर्म-गर्म चने खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
3. पौरुष शक्ति :

1 मुट्ठी सेंके हुए चने या भीगे हुए चने और 5 बादाम खाकर दूध पीने से पौरुष शक्ति बढ़ती है, जिससे वैवाहिक जीवन ख़ुशियों से भर जाता है।
4. कब्ज :
1 या 2 मुट्ठी चनों को धोकर रात को भिगो दें। सुबह जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पीने से कब्ज दूर होती है।
अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहूं के आटे में चने को मिलाकर इसकी रोटी खाने से कब्ज मिट जाती हैं।
रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
5. रूसी :

4 बड़े चम्मच चने का बेसन एक बड़े गिलास पानी में घोलकर बालों पर लगायें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे सिर की फरास या रूसी दूर हो जाती है।

उच्‍च रक्‍तचाप High Blood Pressure या हाइपरटेंशन Hypertension खत्म

उच्‍च रक्‍तचाप (High Blood Pressure) या हाइपरटेंशन (Hypertension) खत्म

प्राकृतिक चमत्कार है ये नुस्खा उच्च रक्तचाप को जीवन भर के लिए खत्म करने में
उच्‍च रक्‍तचाप(High Blood Pressure) या हाइपरटेंशन (Hypertension) एक महामारी है जो वर्तमान समय में दुनिया भर में फैलती जा रही है चाहे वो भारत हो जा दुनिया का दूसरा कोना । दौड़ती – भागती जिन्‍दगी, फास्‍ट फूड, सोडा और तनाव धीरे – धीरे भारत में पांव पसार रही है, इसलिए हर तीसरे भारतीय को उच्‍च रक्‍तचाप की शिकायत है। इससे दिल की बीमारी(Heart Diseases), स्‍ट्रोक(Stroke) और यहां तक कि गुर्दे की बीमारी होने का भी खतरा रहता है।
बाजार में उच्‍च रक्‍तचाप (High BP) के लिए कई दवाईयां उपलब्‍ध हैं, जो हाई ब्‍लड़ – प्रेशर को कंट्रोल कर लेती है (Treat BP) लेकिन ज्‍यादा दवाई खाना भी सेहत के घातक है, एक समय के बाद दवाईयों का असर धीमा पड़ने लगता है।
उच्‍च रक्‍तचाप के लिए मेडीकल पर बहुत ज्‍यादा भरोसा करना सही तो है, इससे आप ठीक भी हो जाएंगे, लेकिन अधिक समय तक यह उपचार लाभकारी नहीं होता है। जब तक आप दवा खाते रहेगें, तब तक आराम रहेगा।
तो इस बिमारी को ठीक करना बाजारू दवाईयों के बस की बात नहीं | अगर आप यां आपके किसी नजदीकी को यह उम्रभर साथ देने वाली बिमारी है तो आयुर्वेद से अच्छा उपचार कोई नहीं है |
आज हम आपको बताएंगे कैसे आप high BP को काबू में कर सकते हो | आज जिस नुस्खे की बात हम कर रहे है वे Hypertension को जड से खत्म करने की क्षमता रखता है और साथ ही साथ यह नुस्खा धमनियों की भी सफाई करेगा | तो देर किस बात की आएये जानते है इस वरदान सम्मान नुस्खे के बारे में |

सामग्री :-
4 cm अदरक
4 नींबू (छिलके के साथ)
4 लहसुन की कलियाँ
2 ltr शुद्द पानी

विधि :-
पहले नींबू को टुकड़ों में काट लें |
अब अदरक और लहसुन का छिलका उतार लें और इन को कटे हुये नींबू के साथ ब्लेंडर में डाल कर अच्छी तरेह ब्लेंड करें |
अब इस मिश्रण को बर्तन में डाल कर आग पर रखें और थोडा-थोडा पानी डालते रहें |
जब यह मिश्रण अच्छी तरहे उबल जाए तो इसे ठंडा होने दें और फिर पूण लें और कांच की बोतल में डाल कर फ्रिज में स्टोर करें |
रोजन दिन में दो बार खाने से करीब 2 घंटे पहले इस मिश्रण का सेवन करें | कुछ ही समय में आप अपना BP टेस्ट करवा कर देख सकते है यकीन मानिए खुश करने वाले नतीजे मिलेंगे |

सरसों का तेल व हल्दी

सरसों का तेल व हल्दी

सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर सेवन करने के फायदे, शरीर के सभी रोगों में लाभकारी
अपनी निजी जिंदगी में हम सभी किसी ना किसी रोग से पीडित हैं। चाहे वह कब्ज, भूख ना लगना, अस्थमा या हृदय से संबन्धित बीमारी ही क्यूं ना हो।
इन बीमारियों को ठीक करने के लिये हम अच्छे खासे पैसे भी खर्च करते हैं मगर उससे भी कोई फरक नहीं पड़ता। हम आपको बताना चाहेंगे कि हमारे किचन में ही कुछ ऐसी सामग्रियां रखी हैं, जो दवाइयों को भी फेल कर सकती हैं।

कहने का मतलब है कि सरसों का तेल और हल्दी तो हर किचन में मौजूद होता है। बस 2 टीस्पून सरसों के तेल में 1 टीस्पून हल्दी मिला कर 2 मिनट तक गरम कीजिये और फिर इसे एक चम्मच में डाल कर मुंह में डाल लीजिये।
ऐसा हफ्ते में तीन बार खाना खाने के बाद करें। यह मिश्रण आपको किन-किन बीमारियों से राहत दिलाता है, आइये जानते हैं इसके बारे में –
अस्थमा से राहत दिलाए
इसके सेवन से फेफड़ों की जकड़न दूर होती है और अस्थमा से राहत मिलती है।
कब्ज से राहत दिलाए
अगर कब्ज की शिकायत है तो हल्दीऔर सरसों के तेल का नियमित सेवन करना चाहिये।

शारीरिक दर्द से छुटकारा दिलाए
ये दोंनो मिश्रण जब एक साथ मिलते हैं तो इनमें सूजन को खत्म करने वाला गुण पैदा होता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से से दर्द और सूजन को कम कर सकते हैं।
कैंसर से बचाए
इस घरेलू उपचार से शरीर में बनने वाली कैंसर की सेल्स का विकास नही होता है क्योंकि इनमें phytonutrients और एंटीऑक्सीडेंट काफी भारी मात्रा में पाया जाता है।

भूख को उत्तेजित करे
इसका सेवन करने से पेट में खाना पचाने वाले जूस का प्रोडक्शन तेज हो जाता है, जिससे आपको अच्छी भूख लगने लगती है।

पाचन शक्ति बढ़ाने का घरेलू उपाय

 पाचन शक्ति बढ़ाने का घरेलू उपाय

भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है। भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।

उपचार 1:
6 ग्राम अदरक बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर दिन में एक बार 10 दिनों तक भोजन से पूर्व खाएं। इस योग के प्रयोग से हाजमा ठीक होगा, भूख लगेगी, पेट की गैस कब्ज दूर होगी। मुंह का स्वाद ठीक होगा, भूख बढे़गी और गले और जीभ में चिपका बलगम साफ होगा।

उपचार 2:
सोंठ, हींग और कालानमक इन तीनों का चूर्ण गैस बाहर निकालता है। सोंठ, अजवाइन पीसकर नींबू के रस में गीला कर लें तथा इसे छाया में सुखाकर नमक मिला लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम पानी से एक ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे पाचन-विकार, वायु पीड़ा और खट्टी डकारों आदि की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

उपचार 3:
यदि पेट फूलता हो, बदहजमी हो तो अदरक के टुकड़े देशी घी में सेंक करके स्वादानुसार नमक डालकर दो बार प्रतिदिन खाएं। इस प्रयोग से पेट के समस्त सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं।

उपचार 4:
अदरक के एक लीटर रस में 100 ग्राम चीनी मिलाकर पकाएं। जब मिश्रण कुछ गाढ़ा हो जाए तो उसमें लौंग का चूर्ण पांच ग्राम और छोटी इलायची का चूर्ण पांच ग्राम मिलाकर शीशे के बर्तन में भरकर रखें। एक चम्मच उबले दूध या जल के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पाचन संबधी सभी परेशानी ठीक होती है।

हानिकारक प्रभाव :
अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, कुष्ठ, पीलिया, रक्तपित्त, घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति, मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। खून की उल्टी होने पर और गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

खाली पेट न खाएं ये चीजें

खाली पेट  न खाएं ये  चीजें

स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने के लिए हमें कई बातों का ध्‍यान रखना पड़ता हैं। अच्छी सेहत के लिए कौन सी चीज किस समय खाई जाएं और कोई सी चीज कब न खाई जाएं, इसे लेकर खास सतर्क रहना पड़ता है। कई वस्तुएं ऐसी होती है, जिसने सुबह-सुबह खाली पेट खाने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है।

ऐसा करने से मनुष्य की हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। कुछ खाद्य सामग्रियों में एसिड की मात्रा ज्‍यादा होती है, ऐसे में उन्‍हें खाली पेट खाना या पीना आपको नुकसान पहुंचा सकता है।
जानिए ऐसी 10 चीजों के बारे में जो भूलकर भी खाली पेट नहीं खाली चाहिए-
1. टमाटर:
टमाटर में एसिड होता है, जिसकी वजह से इसे सुबह-सुबह खाली पेट नहीं खाना चाहिए। अगर टमाटर को खाली पेट खा लिया जाएं तो वह पेट में रिएक्‍ट करता है और एक तरह के तरल पदार्थ का निमार्ण कर देता है, जिससे की पेट में स्टोन बन सकते है।
2. मसालेदार भोजन:
कभी भी खाली पेट किसी भी प्रकार के चटपटे या मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें नेचुरल एसिड होता है जो पेट की पाचक शक्ति को बिगाड़ देता है। कई बार पेट में मरोड़े भी होने लगती है।
3. दवाइयां:
अक्‍सर आपने डॉक्‍टर्स को सलाह देते हुए सुना होगा कि खाली पेट दवाओं का सेवन न करें। खाली पेट, दवा खाने से पेट में एसिड की शिकायत हो जाती है, जिससे शरीर में असंतुलन पैदा हो जाता है
4. शराब:
वैसे तो शराब हर दृष्टि से शरीर के लिए नुकसानदायक ही होती है, लेकिन खाली पेट पी गई शराब जहर के समान हो जाती है। खाली पेट शराब का सेवन करने से पेट में जलन होने लगती है और खाना भी ठीक प्रकार से नहीं पच पाता है। जिसकी वजह से अपच की शिकायत होने की संभावना रहती है।
5. सोडा:
सोडा में उच्‍च मात्रा में कार्बोनेट एसिड होता है। खाली पेट सोडा पीने से पेट में गैस बन सकती है और असहज महसूस हो सकता है।
6. कॉफी:
खाली पेट कॉफी का सेवन करना भी हानिकारक होता है। कॉफी में कैफीन होती है, जो खाली पेट लेने पर शरीर पर बहुत बुरा असर डालता है। खाली पेट कैफीन का सेवन करने पर पेट से जुड़ी कई बीमारियां होने का डर होता है।
7. चाय:
जिस प्रकार कॉफी पीना अच्छा नहीं होता है, उसी प्रकार खाली पेट चााय भी न पिएं। चाय में उच्च मात्रा में एसिड होता है जिसकी वजह से पेट में दर्द हो सकता है।
8. दही:
दही स्वास्थ्यकारी होता है लेकिन खाली पेट, इसका सेवन करने से पेट में मरोड़ उठ सकती है।
9. केला:
खाली पेट केला खाने से शरीर में मैग्‍नीशियम की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से शरीर में कैल्शियम और मैग्‍नीशियम की मात्रा में असंतुलन हो जाता है। ऐसे में शरीर पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए सुबह खाली पेट केला न खाएं।
10. शकरकंद:
शकरकंद में टैन्‍नीन और पैक्‍टीन होता है, जिसे खाली पेट खाने पर गैस्ट्रिक एसिड की समस्‍या हो जाती है। गैस्ट्रिक एसिड सीने में जलन पैदा करते है। इसलिए शकरकंद को खाली पेट खाने से बचना चाहिए।