Wednesday, September 19, 2018

कालाजार (काला ज्वर) (Black Fever, Visceral Leishmaniasis)

कालाजार (काला ज्वर) (Black Fever, Visceral Leishmaniasis)

काला अज़ार (या काला ज्वर) लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) का सबसे गंभीर रूप है और, उचित निदान और उपचार के बिना, मृत्यु की संभावना को बहुत बढ़ा देता है। यह रोग दुनिया में दूसरी सबसे ज़्यादा परजीवी से होने वाली मृत्यु का कारक है (मलेरिया के बाद), जो कि प्रति वर्ष 200,000 से 400,000 संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है।

यह एक धीमी गति से बढ़ने वाले वाला एक स्थानीय या देशी रोग है जो की लीशमैनिया जाति के एक प्रोटोजोअन परजीवी के कारण होता है। परजीवी मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को संक्रमित करता है और अस्थि मज्जा (bone marrow), प्लीहा (spleen) और लिवर में अधिक मात्रा में पाया जा सकता है।

इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया और लिवर व प्लीहा की सूजन शामिल हैं। काला अज़ार से बचाव के लिए कोई वॅक्सीन (टीका) उपलब्ध नहीं है। हालाँकि समय रहते अगर उपचार किया जाए, तो रोगी ठीक हो सकता है। काला अज़ार के इलाज के लिए दावा आसानी से उपलब्ध होती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एचआईवी और काला अज़ार के सह-संक्रमण की उभरती समस्या एक विशेष चिंता का विषय है। काला अज़ार के बाद "पोस्ट कला-आज़ार डरमल लेशमानियासिस" (पीकेडीएल; काला आज़ार के बाद होने वाला त्वचा संक्रमण) होने की भी संभावना होती है।

भारत में काला-अज़ार:
भारत में लीशमैनिया डोनोवानी (Leishmania donovani) एकमात्र परजीवी है जिसके कारण यह बीमारी होती है।
भारत के पूर्वी राज्यों जैसे की बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह बीमारी स्थानिक है।
48 जिलों में स्थानिक; कुछ अन्य जिलों से छिटपुट मामलों की सूचना मिली।
4 राज्यों में अनुमानित 165.4 मिलियन जनसंख्या जोखिम।
मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ज्यादातर गरीब सामाजिक-आर्थिक समूह प्रभावित होते हैं।

काला-अज़ार के लक्षण निम्नलिखित हैं:

आवर्ती बुखार रुक रुक कर आना या अक्सर दोहरा जाने वाला बुखार।
भूख में कमी व लगातार वजन काम होना।
दुर्बलता।
स्प्लेनोमेगाली - प्लीहा का तेजी से बढ़ता है, आमतौर पर नरम हो जाता है।
यकृत - लीवर भी बढ़ने लगता है पर प्लीहा के मुकाबले कम।
लिम्फैडेनोपैथी - यह भारत में बहुत आम नहीं है।
त्वचा - त्वचा शुष्क, पतली और स्केल जैसी हो जाती है और त्वचा के बाल कम हो सकते हैं; हल्के रंगीन व्यक्ति हाथ, पैर, पेट और चेहरे की त्वचा पर भूरे रंग का विकर्ण देखते हैं जिसकी वजह से भारत में इसे ब्लैक फीवर या कला-अज़ार कहते हैं।
एनीमिया - यह भी तेजी से विकसित होता है।

कालाजार (काला ज्वर) के कारण - Kala Azar (Visceral Leishmaniasis) 

काला-अज़ार मादा फ्लेबोटोमिन सैंडफ्लाईस (phlebotomine sandflies) से काटने के कारण होता है - जो की लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है।
सैंडफ्लाईस जानवरों और मनुष्यों को खून के सेवन के लिए काटती हैं, जो उन्हें अपने अंडे के विकास के लिए आवश्यक होता है।
यदि लैश्मनिआ पैरासाइट किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हट चुका है और अभी भी उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा।
इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या काला-अज़ार कहा जाता है।

कालाजार (काला ज्वर) से बचाव - Prevention of Kala Azar (Visceral Leishmaniasis)

काला-अज़ार को रोकने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। सबसे अच्छा तरीका है कि अपने आप को बड़मक्खी या रेत मक्खी (sandflies) के काटने से बचाये रखें। अगर ऐसी जगहों की यात्रा करते हैं जहाँ इस बीमारी के होने की संभावना ज़्यादा होती है तो वहां बाहरी गतिविधियों को गोधूलि या शाम से सुबह तक कम करने की कोशिश करें क्यूंकि इस वक़्त बड़मक्खी या रेत मक्खी (sandflies) सक्रिय होती हैं।
त्वचा को ढक कर रखें यानी पूरे कपड़े पहने; कीट नाशक का उपयोग करें; अच्छी स्क्रीनिंग वाले क्षेत्रों में रहे; बिस्तर पर जाल या मच्छरदानी का उपयोग करें (यदि संभव हो तो औषधि वाले)।

कालाजार (काला ज्वर) का परीक्षण - Diagnosis of Kala Azar (Visceral Leishmaniasis) 

क्लीनिकल:
2 सप्ताह से अधिक की अवधि के बुखार के मामलों में, जब एंटीमेलायल्स और एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता। क्लीनिकल ​​प्रयोगशाला निष्कर्षों में एनीमिया, प्रगतिशील लियूकोपेनिया थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और हाइपरगैमाग्लोबुलिनमिया शामिल हो सकते हैं।

प्रयोगशाला:
सर्जरी परीक्षण: काला-अजार के निदान के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षण उपलब्ध हैं। आपेक्षक संवेदनशीलता के आधार पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाले परीक्षण; विशिष्टता और संचालन व्यवहार्यता में, डायरेक्ट एक्ग्लूटीनैशन टेस्ट (डीएटी, DAT), आरके39 डिपस्टिक (rk39 dipstick) और एलिसा (ELISA) शामिल हैं। हालांकि ये सभी परीक्षण आईजीजी एंटीबॉडी का पता लगाते हैं जो अपेक्षाकृत लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। एल्डिहाइड टेस्ट का आमतौर पर प्रयोग किया जाता है लेकिन यह एक गैर-विशिष्ट परीक्षण है। आईजीएम डिटेक्टिंग टेस्ट्स (IgM detecting tests) विकास के अधीन हैं और फील्ड उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

विभेदक निदान (Differential Diagnosis):
चिकित्सा के क्षेत्र में, विभेदक निदान वह है जो एक बीमारी को दूसरी से अलग करता है जिनकी एक सामान नैदानिक विशेषताएं होती हैं।
काला-अज़ार के विभेदक निदान इस प्रकार हैं:
आंत्र ज्वर
मिलिअरी टीबी
मलेरिया
ब्रूसिलोसिस
अमिबिक यकृत फोड़ा
संक्रामक मोनोन्यूक्लियोसिस
लिम्फोमा, ल्यूकेमिया
उष्णकटिबंधीय प्लीहा की वृद्धि
पोर्टल हायपरटेंशन

कालाजार (काला ज्वर) का इलाज - Kala Azar (Visceral Leishmaniasis)

काला-अज़ार के लिए विभिन्न उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, विभिन्न प्रभावशीलता और साइड इफेक्ट्स (दुष्प्रभाव) के साथ। पेंटावलेंट अंतीमोनिअल्स (Pentavalent antimonials) आमतौर पर दवाओं का पहला लाइन समूह होता है, जो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के 30-दिवसीय कोर्स के रूप में दिया जाता है।

काला-अज़ार के इलाज के लिए भारत में उपलब्ध दवाएं:
सोडियम स्टिबोग्लुकोनेट (Sodium Stibogluconate; स्वदेशी निर्माण, उपयोग और बिक्री के लिए पंजीकृत)
पेंटैमिडाइन इसाइटियनेट: (Pentamidine Isethionate;आयातित, उपयोग के लिए पंजीकृत)
अम्फोटेरिसिन बी: (Amphotericin B;स्वदेशी निर्माण, उपयोग और बिक्री के लिए पंजीकृत)
लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी: (Liposomal Amphotericin B;स्वदेशी निर्माण और आयात, उपयोग और बिक्री के लिए पंजीकृत)
मिल्टेफ़ोसिन (Miltefosine;उपयोग और बिक्री के लिए आयातित / पंजीकृत)
किसी भी दवाई का सेवन केवल अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

कालाजार (काला ज्वर) के जोखिम और जटिलताएं - Kala Azar (Visceral Leishmaniasis) Risks & Complications 
काला-अज़ार और एचआईवी का सह-संक्रमण:

एचआईवी / एड्स के प्रसार के साथ, काला-अज़ार का सह-संक्रमण महामारी के अनुपात में बढ़ रहा है। हाल ही में, काला-अज़ार, आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाला एक रोग, अब सामान्यतः शहरी इलाकों में एचआईवी संक्रमित आबादी के बीच पाया जा रहा है। काला-अज़ार के साथ सह-संक्रमण की रिपोर्ट अफ्रीका, एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के 34 देशों में पायी गयी हैं। डब्लूएचओ (WHO) के मुताबिक, दक्षिणी यूरोप में 70% से अधिक एचआईवी मामले काला-अज़ार से सह संक्रमित होते हैं।
काला-अज़ार और एचआईवी के साथ संक्रमण विशेष रूप से हानिकारक है क्यूंकि काला-अज़ार का कारक अर्थात परजीवी लोगों की प्रतिरक्षा को दबाता है  और एचआईवी वायरस की प्रतिकृति को बढ़ाता है। काला-अज़ार और एचआईवी के साथ सह-संक्रमण आम तौर पर उन लोगों के बीच फैलता है जो एक ही सुइयों का प्रयोग करते हैं, आमतौर नसों में इस्तेमाल करने वाले लोग।
काला-अज़ार उपरान्त त्वचीय लीशमैनियासिस (PKDL):
काला अज़ार के बाद "पोस्ट कला-आज़ार डरमल लेशमानियासिस" (पीकेडीएल; काला आज़ार के बाद होने वाला त्वचा संक्रमण) होने की संभावना होती है। यह एक ऐसी स्थिति है जब लीशमैनिया डोनोवानी त्वचा कोशिकाओं पर आक्रमण करता है, विकसित होता है और त्वचा पर घावों के रूप में उभरता है। कुछ साल के उपचार के बाद कभी-कभी काला-अजार मामलों में पीकेडीएल प्रकट होता है। हाल ही में यह माना जाता है कि पीकेडीएल आंत का चरण पारित किए बिना प्रकट हो सकता है। हालांकि, पीकेडीएल अभिव्यक्ति पर पर्याप्त डेटा या जानकारी अभी तैयार नहीं है।

Saturday, September 15, 2018

हर्पीस - Herpes

हर्पीस - Herpes

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस क्या है ?

हर्पीस, हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह वायरस बाहरी जननांग, गुदा के क्षेत्र, श्लेष्म सतह और शरीर के अन्य भागों की त्वचा को प्रभावित करता है।
हर्पीस संक्रमित जगहों के साथ त्वचा के संपर्क से फैलता है, अक्सर यह योनि सेक्स, ओरल सेक्स, एनल सेक्स (गुदा मैथुन) और किस के दौरान फैलता है।

हरपीज से खुजली वाले दर्दनाक फफोले या घाव होते हैं जो कभी आते हैं व कभी चले जाते हैं। हर्पीस से ग्रस्त कई लोग घावों पर ध्यान नहीं देते हैं या उन्हें किसी और चीज़ का घाव मान लेते हैं, इसलिए उन्हें पता नहीं चलता कि वे संक्रमित हैं। आप हर्पीस को तब भी फैला सकते हैं, जब आपको कोई लक्षण अनुभव न हों।
हर्पीस एक दीर्घकालिक समस्या है। हालांकि, बहुत से लोगों में वायरस मौजूद होने के बाद भी लक्षण नहीं होते हैं। इसके लक्षणों में फफोले, अल्सर, पेशाब होने पर दर्द, मुंह के छाले और योनि स्राव शामिल हैं।
हालांकि, हर्पीस का कोई इलाज नहीं है, इसके इलाज के लिए दवाएं और घरेलू उपचार का उपयोग किया जा सकता है।

हर्पीस के कितने प्रकार होते हैं ?

हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) संक्रमण को निम्नलिखित दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है -
हर्पीज़ टाइप 1 (एचएसवी-1, या मौखिक हर्पीज)
इसमें मुंह और होंठ के आसपास घाव बनाता है। कभी-कभी इन्हें "कोल्ड सोर" (Cold Sore) भी कहते हैं। हर्पीज़ टाइप 1 त्वचा पर मौखिक स्राव या घावों के माध्यम से फैलता है। यह टूथब्रश, खाने के बर्तन और किस या साझा करने वाली वस्तुओं के माध्यम से फैल सकता है।

हर्पीज़ टाइप 2 (एचएसवी-2, या जनांग हर्पीज)
एचएसवी -2 में, संक्रमित व्यक्ति के जननांगों या मलाशय के आसपास घाव हो सकता है। हालांकि एचएसवी -2 घाव अन्य स्थानों में भी हो सकता है, ये घाव आमतौर पर कमर के नीचे पाए जाते हैं।

सामान्य तौर पर, एचएसवी-2 से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के दौरान आप एचएसवी-2 से संक्रमित हो सकते हैं।
हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस वाली गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह बच्चों के जन्म के दौरान बच्चे में पारित हो जाते है।

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के लक्षण क्या होते हैं?

इस वायरस से जुड़े कुछ निम्नलिखित हैं -
फफोले या घाव (मुंह में या जननांगों पर)।
पेशाब करने में दर्द होना।
खुजली।
आपको फ्लू के समान लक्षण भी हो सकते हैं। यह लक्षण निम्नलिखित हैं -
बुखार।
लसीका ग्रंथियों की सूजन।
सिरदर्द।
थकान।
भूख कम लगना।

हर्पीस कभी-कभी आँखों में भी फैल सकता है, जिसे हर्पीज़ कैराटाइटिस कहा जाता है। इससे आंखों में दर्द, रिसाव और आंखों में किरकिराहट महसूस होने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी व्यक्ति को दिखाई देने वाले घाव या लक्षण न होने के बावजूद भी वह वायरस से संक्रमित हो सकता है और वे दूसरों को भी वायरस प्रसारित कर सकता है।

हर्पीस क्यों होता है ?

अगर वायरस एक संक्रमित व्यक्ति की त्वचा की सतह पर मौजूद होता है, तो यह आसानी से किसी अन्य व्यक्ति को नम त्वचा के माध्यम से पारित हो सकता है, जो मुंह, गुदा, और जननांगों के आसपास होती है। वायरस त्वचा के अन्य क्षेत्रों, जैसे आँखों के माध्यम से भी अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है।
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के छुए हुए सामन को छूने से नहीं फैलता है।

संक्रमण निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है 

बिना कंडोम के योनि या एनल सेक्स करना।
मुंह के छालों से ग्रस्त व्यक्ति के साथ मौखिक सेक्स करना।
सेक्स खिलौने शेयर करना।
संक्रमित व्यक्ति के साथ जननांग संपर्क में आना।

वायरस के फैलने की संभावना तब ज़्यादा होती है जब फफोला उत्पन्न नहीं हुआ होता है, जब वह दिखने लगता है और जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं होता। वायरस तब भी किसी अन्य व्यक्ति को प्रसारित किया जा सकता है जब कोई दिखने वाला लक्षण नहीं होता है, हालांकि इसकी संभावना कम होती है।

यदि एक महिला को जन्म देने के दौरान जननांग दाद है, तो यह संभव है कि बच्चे को संक्रमण पारित हो जाए।
हर्पीस होने के खतरा किन चीज़ों से होता है?
कोई भी व्यक्ति हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस से संक्रमित हो सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र का हो। आपका जोखिम संक्रमण के संपर्क पर आधारित होता है।
यौन संचारित हर्पीज़ के मामलों में, यह तब फैलता है जब लोग बिना कंडोम के सेक्स करते हैं।

एचएसवी-2 के लिए अन्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं -

एक से ज़्यादा लोगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना।
छोटी उम्र में सेक्स करना।
महिलाओं को हर्पीस होने का खतरा ज्यादा होता है।
एक अन्य यौन संचारित संक्रमण होना।
प्रतिरक्षण प्रणाली का कमज़ोर होना।
यदि एक गर्भवती महिला को जन्म देते समय जननांग दाद है, तो यह बच्चे को एचएसवी के दोनों प्रकार के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है और उसे गंभीर जटिलताओं के खतरे में भी डाल देता है।

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस होने से कैसे बच सकते हैं?

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस के जोखिम को कम करने के लिए -
सेक्स करते समय कंडोम का उपयोग करें।
लक्षण मौजूद होने पर सेक्स न करें (जननांग, गुदा या त्वचा से त्वचा)।
मुंह में छाला होने पर किस न करें।
बहुत अधिक यौन साथी न बनाएं।
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि तनाव, थकान, बीमारी या धूप में रहने से लक्षणों की पुनरावृत्ति हो सकती है। इन कारकों को पहचानने और उनसे बचने से पुनरावृत्तियों की संख्या को कम करने में मदद मिल सकती है।

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस का निदान कैसे होता है ?

इस प्रकार के वायरस का आमतौर पर एक शारीरिक परीक्षण से पता चला है। आपके चिकित्सक घावों के लिए आपके शरीर की जांच करेंगे और लक्षणों के बारे में पूछेंगे।

आपके डॉक्टर एचएसवी परीक्षण भी कर सकते हैं। इसे एक दाद संस्कृति के रूप में जाना जाता है। यह निदान की पुष्टि करेगा अगर आपके जननांगों पर घाव हैं। इस परीक्षण के दौरान, आपके डॉक्टर एक फोहे की मदद से घाव के द्रव का एक नमूना लेंगे और फिर इसे परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेज देंगे।

एचएसवी-1 और एचएसवी-2 के एंटीबॉडी की खोज करने वाले रक्त परीक्षण भी इन संक्रमणों का निदान करने में मदद कर सकते हैं। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब कोई घाव मौजूद न हो।

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस का उपचार कैसे होता है ?

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस के उपचार के निम्नलिखित विकल्प हैं -
1. घरेलू उपचार
दर्दनिवारक दवाएं लें, जैसे कि एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन।
हल्के नमकीन पानी में स्नान करने से लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है।
प्रभावित क्षेत्र में पेट्रोलियम जेली लगाएं।
प्रभावित क्षेत्र में तंग कपड़े न पहनें।
प्रभावित क्षेत्र को छूने के बाद, अच्छी तरह से हाथ धोएं।
जब तक लक्षण समाप्त न हों, तब तक सेक्स न करें।
यदि पेशाब करते समय दर्द हो रहा है, तो मूत्रमार्ग पर कोई क्रीम या लोशन लगाएं।
कुछ लोगों को बर्फ का उपयोग करने से मदद मिल सकती है। कभी भी बरफ को त्वचा पर सीधे न लगाएं, हमेशा उसे एक कपड़े या तौलिये में लपेट लें।
2. दवाएं
कोई दवा हर्पीज़ वायरस से छुटकारा नहीं दिला सकती है। डॉक्टर एक एंटीवायरल दवा लिख सकते हैं, जैसे एसाइक्लोविर, जो वायरस को गुणन करने से रोकती है। एंटीवायरल दवाएं फैले हुए दाद को ठीक करती हैं और लक्षणों की गंभीरता को कम करने में भी मदद करती है।
डॉक्टर आमतौर पर एंटीवायरल दवाएं पहली बार संक्रमित होने पर लिखते हैं। बाद में घाव आमतौर पर हल्के होते हैं, इलाज आवश्यक नहीं होता है।

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस की जटिलताएं क्या हैं ?

अगर एचएसवी जननांग क्षेत्र के अलावा शरीर के अन्य हिस्से में फैलता है, तो यह शरीर के उस हिस्से में भी बीमारी फैला सकता है। सामान्य तौर पर, इसकी जटिलताएं कम होती हैं। इसकी कुछ जटिलताएं निम्नलिखित हैं

मेनिनजाइटिस।
एनसेफेलिटिस (मस्तिष्क की सूजन)।
रीढ़ की हड्डी और आसपास की नसों की सूजन।

सूजाक क्या है ?

सूजाक क्या है ?

गोनोरिया (सूजाक) यौन क्रियाकलाप के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाले सबसे आम रोगों में से एक है।
गोनोरिया एक संक्रमण है, जो एक यौन संचारित बैक्टीरिया के कारण फैलता है जिसे 'नेइसेरिया गोनोरिया' (Neisseria Gonorrhoeae) कहा जाता है। यह पुरुष और स्त्री दोनों को संक्रमित कर सकता है।
सूजाक अक्सर मूत्रमार्ग, मलाशय या गले को प्रभावित करता है। यह महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) को भी प्रभावित कर सकता है। सूजाक पीआईडी (पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज), ट्यूबो-डिम्बग्रंथि फोड़ा (Tubo-ovarian abscess) और बाँझपन का कारण हो सकता है। यह टॉयलेट सीट द्वारा नहीं फैलता है।

सूजाक/गोनोरिया सेक्स के दौरान सबसे ज़्यादा फैलता है। अगर माँ संक्रमित हैं, तो प्रसव के दौरान शिशु भी इससे संक्रमित हो सकता है। गोनोरिया शिशुओं की आँखों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
कई मामलों में, इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। आपको यह भी पता नहीं चलता कि आप संक्रमित हैं।
यदि आप किसी अन्य एसटीडी (STDs) से ग्रसित हैं, तो आपको सूजाक होने का खतरा बढ़ जाता है। कंडोम का उपयोग यौन संचारित संक्रमणों को रोकने का सर्वोत्तम उपाय है।
सूजाक का उपचार आमतौर पर एंटीबायोटिक इंजेक्शन या एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जाता है।

यदि आप सूजाक (गोनोरिया) से ग्रसित हैं, तो क्या करें?

यदि आपको लगता है कि आपको गोनोरिया है, तो आपको यौन गतिविधि से बचना चाहिए। आपको तुरंत अपने डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए।
चिकित्सक से मिलने के दौरान अपने लक्षणों को विस्तार से बताएं, अपने यौन इतिहास की चर्चा करें, पिछले यौन साझेदारों की जानकारी प्रदान करें ताकि चिकित्सक आपकी ओर से गुमनाम रूप से उनसे संपर्क कर सकें।
यदि आप अपने यौन साझेदार के संपर्क में हों, तो उन्हें तुरंत परीक्षण करवाने के लिए कहना चाहिए।
यदि आप एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं, तो दवा का पूरा कोर्स ख़त्म करना महत्वपूर्ण है, ताकि आपके संक्रमण का इलाज पूरी तरह से किया जा सके। अपने एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स को घटाने से जीवाणुओं में एंटीबायोटिक के प्रतिरोध को विकसित करने की संभावना अधिक हो जाती है।
आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका संक्रमण पूरी तरह से ठीक हो गया है या नहीं, एक या दो सप्ताह बाद अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। यदि परिणाम नकारात्मक आते हैं और आपके यौन साथी को किसी भी तरह का संक्रमण नहीं है, तो यौन गतिविधि फिर से शुरू करना संभव है।

सूजाक (गोनोरिया) के लक्षण क्या होते हैं?

सूजाक लक्षण आमतौर पर संक्रमण के दो से 14 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, सूजाक से संक्रमित कुछ लोगों में कभी भी ध्यान देने योग्य लक्षण विकसित नहीं होते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सूजाक से संक्रमित कोई व्यक्ति जिसमें लक्षण दिखाई नहीं देते, उसे एक गैर रोगसूचक वाहक (Nonsymptomatic Carrier) भी कहा जाता है और वह संक्रामक भी होता है। एक व्यक्ति जिसमें ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं, उससे संबंधित अन्य भागीदारों में संक्रमण के फैलने की संभावना अधिक  होती है।
पुरुषों में लक्षण:
सूजाक के मामले में पुरुषों में कई हफ्तों के लिए ध्यान देने योग्य लक्षण विकसित नहीं होते हैं। कुछ पुरुषों में  इसके लक्षणों का विकास कभी नहीं हो पाता है। साधारण रूप से संचरण के एक हफ्ते बाद संक्रमण लक्षण दिखाना शुरू कर देता है। अक्सर पेशाब के दौरान जलन और दर्द होना पुरुषों में पहला प्रत्यक्ष लक्षण है। जैसे संक्रमण बढ़ता है, अन्य लक्षण भी इसमें शामिल हो जाते हैं -
बहुत बार पेशाब जाना
लिंग से एक मवाद जैसा पदार्थ डिस्चार्ज होना या टपकना (सफेद, पीला, मटमैला या हरा)
लिंग के छिद्र का सूजना या लाल होना
अंडकोष में सूजन या दर्द
गले में लगातार रहने वाली खराश

उपरोक्त लक्षणों का इलाज होने के बाद भी कुछ हफ्तों तक संक्रमण शरीर में मौजूद रहता है। दुर्लभ उदाहरणों में, गोनोरिया शरीर को विशेष रूप से मूत्रमार्ग और अंडकोष को लगातार नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मलाशय में दर्द भी हो सकता है।
महिलाओं में लक्षण:
कई महिलाओं में सूजाक के किसी भी प्रत्यक्ष लक्षण का विकास नहीं होता है। जब महिलाओं में इसके लक्षणों का विकास होता है, तो वे हल्के या अन्य संक्रमणों के समान ही दिखाई देते हैं, जिससे उन्हें पहचानना अधिक मुश्किल हो जाता है। सूजाक संक्रमण साधारण रूप से योनि खमीर संक्रमण (Vaginal Yeast Infection) या योनि में बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Vaginosis) की तरह दिखाई दे सकता है। इसके लक्षणों में शामिल है -
योनि से डिस्चार्ज (पानी जैसा, गाढ़ा या हल्का हरा) होना,
पेशाब के दौरान दर्द या जलन महसूस होना,
बार-बार पेशाब करने की आवश्यकता,
मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त स्राव होना,
गले में खराश,
सेक्स के दौरान दर्द होना,
पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द,
बुखार आदि। 

सूजाक के कारण, सूजाक (गोनोरिया) क्यों होता है?
यह यौन संचारित रोग (एसटीडी) एक बैक्टीरिया के द्वारा फैलता है, जिसे नेइसेरिया गोनोरिया कहा जाता है। भले ही यह सेक्स के माध्यम से फैलता है, लेकिन एक नर को इससे अपने सेक्स साथी को संक्रमित करने के लिए स्खलन की ज़रूरत नहीं  होती है।
आप किसी भी प्रकार के यौन संपर्क से सूजाक से संक्रमित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं –
योनि संभोग,
गुदा मैथुन (एनल सेक्स),
ओरल सेक्स (देना और प्राप्त करना दोनों)

अन्य रोगाणुओं की तरह आप सूजाक के बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकते है, यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति के संक्रमित हिस्से को स्पर्श करते हैं। यदि आप इस बैक्टीरिया से संक्रमित किसी व्यक्ति के लिंग, योनि, मुँह या गुदा के संपर्क में आते हैं, तो आपको गोनोरिया हो सकती है।
गोनोरिया के रोगाणु शरीर के बाहर कुछ सेकंड से अधिक जीवित नहीं रह सकते हैं, इसलिए आप टॉयलेट सीट या कपड़े जैसे वस्तुओं को स्पर्श करके इस एसटीडी से संक्रमित नहीं हो सकते हैं। लेकिन जिन महिलाओं को सूजाक होता है, वे प्रसव के समय योनि की नली से बच्चे के के गुजरने के दौरान उसे इस बीमारी से संक्रमित कर सकती हैं। सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) से पैदा हुए बच्चे इस संक्रमण को अपनी माँ से फैलने से बच जाते हैं.

सूजाक से बचाव, सूजाक (गोनोरिया) की रोकथाम 
गोनोरिया के जोखिम को कम करने के लिए निम्न कदम उठाएं –
सेक्स करते समय कंडोम का प्रयोग करें – सेक्स से दूर रहना गोनोरिया को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन अगर आप सेक्स करना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार के यौन संपर्क (गुदा सेक्स, मौखिक सेक्स या योनि सेक्स) के दौरान कंडोम का उपयोग करें।
अपने साथी को यौन संचारित संक्रमणों की जांच कराने के लिए कहें – पता करें कि आपके साथी ने सूजाक जैसे यौन संचारित संक्रमणों के लिए परीक्षण कराया है या नहीं। यदि नहीं, तो पूछें कि क्या वह परीक्षण कराने के लिए तैयार है।
किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध न बनाएं, जिसमें कोई भी असामान्य लक्षण हो – यदि आपके साथी में यौन संचारित संक्रमण के संकेत या लक्षण हैं, जैसे कि पेशाब करते समय जलन होना या लिंग पर चकत्ता या छाला होना, तो उस व्यक्ति के साथ यौन संबंध न बनाएं।

नियमित गोनोरिया स्क्रीनिंग का ध्यान रखें –  यौन रूप से सक्रिय 25 वर्ष से कम आयु की सभी महिलाओं और वृद्ध महिलाओं के लिए जिनमें संक्रमण का अधिक जोखिम रहता है, जैसे कि वे जिनका एक नया सेक्स पार्टनर हो, एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों, एक सेक्स पार्टनर जिसने कई लोगों के साथ सेक्स किया हो या एसटीडी से संक्रमित सेक्स पार्टनर हो – के लिए वार्षिक स्क्रीनिंग की राय दी जाती है।

गे पुरुषों को करानी चाहिए नयमित रूप से सूजाक की जांच - पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों और साथ ही उनके सहयोगियों के लिए भी नियमित रूप से स्क्रीनिंग की सिफारिश की जाती है। गोनोरिया के पुनः संक्रमण से बचने के लिए आपको और आपके सेक्स पार्टनर को उपचार पूरा करने और लक्षणों के समाधान के बाद सात दिनों तक असुरक्षित यौन सम्बन्ध से बचना चाहिए।

सूजाक (गोनोरिया) का परीक्षण 
आपके शरीर में गोनोरिया जीवाणु की उपस्थिति निर्धारित करने के लिए आपके डॉक्टर कोशिकाओं के नमूने का विश्लेषण करेंगे। निम्नलिखित प्रकार के नमूने इनके द्वारा एकत्र किए जा सकते हैं -
मूत्र परीक्षण – यह आपके मूत्रमार्ग में बैक्टीरिया की उपस्थिति की पहचान करने में मदद कर सकता है।
प्रभावित क्षेत्र का 'स्वाब' नमूना – डॉक्टर स्वाब (संक्रमण का कुछ द्रव्य भाग) का कुछ अंश जाँच के लिए ले सकते हैं इसके तहत आपके गले, मूत्रमार्ग, योनि या मलाशय के बैक्टीरिया को इकट्ठा किया जा सकता है, जिसकी पहचान लैब में की जा सकती है।

अन्य यौन संचारित संक्रमणों के लिए परीक्षण
आपके डॉक्टर अन्य यौन संचारित संक्रमणों के लिए परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। गोनोरिया इन संक्रमणों के जोखिम को बढ़ाता है, विशेषकर क्लैमाइडिया, जो अक्सर गोनोरिया से जुड़ा होता है। यौन संचारित संक्रमण के निदान के लिए एचआईवी के परीक्षण की भी सिफारिश की जाती है। आपके जोखिम कारकों के आधार पर अतिरिक्त यौन संचारित संक्रमणों के लिए परीक्षण फायदेमंद हो सकते हैं।

सूजाक का इलाज , सूजाक (गोनोरिया) का उपचार कैसे किया जाता है?
लक्षण प्रदर्शित होने पर डॉक्टर अन्य रोगों के अलावा सूजाक के लिए भी एक परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। सूजाक के लिए परीक्षण  मूत्र नमूना या प्रभावित क्षेत्र के एक 'स्वाब' नमूने का विश्लेषण करके पूरा किया जा सकता है। स्वाब नमूने आमतौर पर लिंग, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्रमार्ग, गुदा और गले से लिए जाते हैं।
महिलाओं के लिए होम किट भी उपलब्ध हैं, जिनमें योनि स्वाब शामिल हैं। ये किट एक लैब में भेजी जाती हैं और परिणाम से सीधे रोगी को सूचित किया जाता है।
यदि सूजाक संक्रमण के लिए किये गए परीक्षणों का नतीजा सकारात्मक होता है, तो संक्रमित व्यक्ति और उनके साथी को उपचार कराना होता है। इनमें आमतौर पर शामिल होते हैं –

एंटीबायोटिक्स – चिकित्सक संभावित रूप से इंजेक्शन (सेफ्ट्रियाक्सनए - Ceftriaxone) और एक मौखिक दवा (एजिथ्रोमाइसिन) दोनों का परामर्श देंगे।

संभोग से बचें – जब तक इलाज पूरा नहीं हो जाता है, तब तक जटिलताओं और संक्रमण के प्रसार का खतरा रहता है।
कुछ मामलों में पुनः परीक्षण – यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा परीक्षण करना आवश्यक नहीं है कि उपचार कारगर साबित हो रहा है या नहीं। हालांकि, सीडीसी कुछ रोगियों के लिए पुन: परीक्षण करने की सिफारिश करता है और एक चिकित्सक तय करेंगे कि क्या यह आवश्यक है। उपचार के 7 दिनों के बाद पुनः परीक्षण करना चाहिए।

यदि एक महिला गर्भवती है और सूजाक से संक्रमित है, तो नवजात शिशु को सूजाक हस्तांतरण से बचाने के लिए आँखों का मरहम दिया जाता है। हालांकि, यदि आँख का संक्रमण बढ़ जाता है तो एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।

सूजाक के जोखिम और जटिलताएं , सूजाक (गोनोरिया) के जोखिम कारक -
गोनोरिया संक्रमण के जोखिम को निम्न कारक बढ़ा सकते हैं –
छोटी उम्र,
एक नया सेक्स पार्टनर,
एक सेक्स पार्टनर जो कई अन्य लोगों के साथ सेक्स करता हो,
एकाधिक सेक्स पार्टनर,
पूर्व गोनोरिया निदान,
अन्य यौन संचारित संक्रमण से ग्रसित होना इत्यादि।

सूजाक (गोनोरिया) की जटिलताएं:

कई गंभीर संभावित जटिलताएं हैं, जो लक्षण दिखाई देने पर त्वरित निदान और उपचार की आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं।
महिलाओं में सूजाक निम्न को बढ़ा सकता है –
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, एक ऐसी स्थिति है जो फोड़े का कारण बन सकती है।
क्रोनिक पेल्विक दर्द
बाँझपन
अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy), जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बाहर संलग्न होता है।

पुरुषों में सूजाक संक्रमण निम्न का कारण बन सकता है –

एपिडाइडाइमाइटिस – एपिडिडिमिस की सूजन, जो शुक्राणुओं के उत्पादन को नियंत्रित करती है।
बांझपन
सूजाक का उपचार न होने पर पुरुषों और महिलाओं दोनों में ज़िंदगी के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले गोनोकोकल संक्रमण के विकास का जोखिम रहता है।
इस प्रकार के संक्रमण के लक्षण निम्नलिखित हैं –
बुखार
गठिया
टेनोसिनोवाइटिस – नसों के आसपास जलन और सूजन
त्वचाशोथ (त्वचा में जलन, सूजन और खुजली होना) - Dermatitis
सूजाक से संक्रमित लोगों को एचआईवी के संक्रमण में आने का अधिक खतरा होता है। अगर आप पहले ही एचआईवी पॉजिटिव हैं तो गोनोरिया के अलावा आप एचआईवी भी फैला सकते हैं।

सूजाक संक्रमण की जटिलताएं प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं में बढ़ सकती हैं। प्रसव के दौरान बच्चे को संक्रमित करना संभव है। एक नवजात शिशु में गोनोरिया संक्रमण होने के कारण जोड़ों का संक्रमण, अंधापन या गंभीर रक्त संक्रमण हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं में अगर सूजाक को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो उनमें समय से पूर्व प्रसव या मृत बच्चे को जन्म देने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

सूजाक में परहेज़ - इनसे परहेज करें:

कैफीन युक्त शराब, तम्बाकू, चाय, कॉफी या पेय पदार्थों को मूत्राशय में गंभीर जलन और दर्द उत्पन्न करने वाला माना जाता है।
मसाले, मिर्च और तीखा भोजन
कृत्रिम मिठास वाले खाद्य और पेय पदार्थ
कृत्रिम मिठास (Artificial Sweeteners)
समुद्री भोजन –  हिलसा मछली, झींगा मछली, केकड़े, झींगे, श्रिम्प, सार्डिन आदि, क्योंकि इनमें मौजूद उच्च प्रोटीन गुर्दे पर भार बढ़ा देते हैं।
ग्लूटेन युक्त भोजन से बचें या सीमित मात्रा में सेवन करें।

सूजाक में क्या खाना चाहिए ? भोजन में इन्हें शामिल करें:

गन्ने का रस, दूध, किशमिश, तरबूज, खरबूज़, ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, अनानास, खीरा, कद्दू, जौ और चावल।
लहसुन और प्याज का अधिक मात्रा में सेवन करें।
अपने दैनिक आहार में अधिक प्रोबायोटिक्स शामिल करें। दही सर्वश्रेष्ठ प्रोबायोटिक्स में से एक है।
विटामिन सी – इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो वायरल आक्रमण को रोकते हैं। इस विटामिन से समृद्ध मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल हैं – स्ट्रॉबेरी, मटर, एन्डिव, मूली, पपीता, खरबूज, तरबूज, बैंगन, जौ, सलाद पत्ता, अजमोद, अंजीर, कद्दू, आम, सेम की फली, आड़ू, आलू, सोयाबीन, गाजर, चेरिमोया, आलूबुखारा, सेब, मक्का आदि।
विटामिन ए युक्त खाद्य पदार्थ विशेष रूप से पालक, गाजर, तुलसी, कद्दू, धनिया, ऐस्पैरागस (शतावरी), डेंडलाइन (सिंहपर्णी), पपीता, एन्डिव, जौ, कद्दू, चिकरी (कासनी), सलाद पत्ता, अजमोद, फूलगोभी, सेब, जई (ओट्स), काजू, एवोकाडो, आड़ू, मटर, सोयाबीन, जैतून, केला, खीरा, स्ट्रॉबेरी, लहसुन, अनानास, खजूर, नाशपाती, पिस्ता, मसूर, सेम आदि हैं।
जिंक से समृद्ध खाद्य पदार्थ हैं – अजमोद, ऐस्पैरागस (शतावरी), बोरेज, अंजीर, आलू, मूंगफली, बैंगन, काजू, सूरजमुखी, प्याज, राजमा, मसूर की दाल, आड़ू, बादाम, मूली, नाशपाती, शकरकंद, पपीता, अनाज आदि।

Friday, September 14, 2018

एथलीट फुट (पैरों में फंगल इन्फेक्शन)

एथलीट फुट (पैरों में फंगल इन्फेक्शन)

एथलीट फुट क्या है?

एथलीट फुट (टिनिया पेडीस) एक कवक संक्रमण है जो आमतौर पर पैर की उंगलियों के बीच शुरू होता है। यह आमतौर पर उन लोगों में होता है जिनके पैर तंग-फिटिंग जूते के भीतर ही सीमित होते हैं। और इन लोगों के पैर में बहुत पसीना आता है।
एथलीट फुट के लक्षणों में त्वचा पर दाने आना शामिल होता है। जिसमें आमतौर पर खुजली, चुभन  और जलन होती है। यह बिमारी संक्रामक है। और दूषित फर्श, तौलिए या कपड़ों के माध्यम से फैल सकता है।
एथलीट्स फुट अन्य कवक संक्रमणों से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।  जैसे कि दाद और जॉक खुजली। इसका इलाज ओवर-द-काउंटर एंटिफंगल दवाओं के साथ किया जा सकता है, लेकिन संक्रमण अक्सर फिर से हो सकता है। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं भी उपलब्ध हैं।

एथलीट फुट (पैरों में फंगल इन्फेक्शन) के लक्षण

एथलीट फुट आपकी त्वचा पर लाल चकत्ते पैदा कर देता है। यह चकत्ते आम तोर पर पैर के अंघूठो के बीच से शुरू होते हैं। चकत्तों में खुजली जूते और मोज़े उतारने के बाद और बढ़ जाती है।
कुछ तरीके का एथलीट फुट छाले और अलसर (ulcer) की तरह दिखता है। ऐथलीट्स फुट की वजह से रूखापन और पंजो की स्केलिंग भी हो सकती है जो पैर के ऊपरी ओर फैलती है। लोग अक्सर इसे एक्ज़िमा या रूखी त्वचा समझने की गलती कर देते हैं।
यह आपके एक या दोनों पैर प्रभावित कर सकता है और आपके हाथ की ओर भी फेल सकता है- ख़ास कर अगर आप प्रभावित क्षेत्र को छूते या खुजाते हैं।

डॉक्टर से कब संपर्क करें ?

अगर आपके पैरों पर लाल चकत्ते हों जो हफ़्तों के आत्म- उपचार के बाद भी न ठीक हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपको मधुमय (diabetes) है और आपको एथलीट्स फुट होने का अंदेशा हो रहा हो या आपको अपने पैरों में अत्यधिक लाल चकत्ते, सूजन, पैरों से पानी आना या बुखार जैसे लक्षण दिखने लगें तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एथलीट फुट के कारण और जोखिम कारक एथलीट फुट क्यों होता है?

एथलीट फुट का कारण दाद और जोक खुजली फैलाने वाला कवक होता है। नम्म मोज़े और जूते और गर्म, नम्म मौसम इस कवक के विकास को बढ़ावा देते हैं।
एथलीट फुट संक्रामक है और प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से या दूषित तौलिये, फर्श या जूतों के माध्यम से भी फेल सकता है।
जोखिम कारक -
आपको एथलीट फुट होने का जोखिम हो सकता है, अगर आप :बार-बार नम्म मोज़ो या जूतों का इस्तेमाल करते हैं  किसी कवक रोग से प्रभावित व्यक्ति की चटाई, गलीचा, चादर, कपड़े या जूते इस्तेमाल करते हैं।
अगर आप संक्रमण फैलने के जोखिम वाली जगह पर नंगे पैर चलते हैं (स्विमिंग पूल, लाकर रूम, सम्प्रदायक स्नान, सॉना, आदि)

एथलीट फुट (पैरों में फंगल इन्फेक्शन) से बचाव

अपने पैरों को सूखा रखें, ख़ास कर अंगूठों के बीच में। घर में नंगे पाँव चलें ताकि आपके पैरों को भी पूरी तरह से हवा लग सके।
मोज़ों को नियमित रूप से बदलें। अगर आपको पैरों में बहुत अधिक पसीना आता है तो, मोज़ों के नम्म हो जाने पर उन्हें तुरंत बदलें।
हलके, अच्छे हवादार जूते पहनें। सिंथेटिक सामग्री जैसे की रबर या विनाइल के जूते पहनने से बचें।
दो जोड़ी जूते रखें। हर रोज़ एक ही जोड़ी जूते न पहने। ऐसा करने से आपके जूतों की नमी को सूखने का समय नहीं मिलता।
सार्वजनिक स्थानों पर अपने पैरों का बचाव करें। सांप्रदायिक स्नान, स्विमिंग पूल, शावर में जाने से पहले वाटरप्रूफ सेंडल या शावर जूते पहन लें।
पैरों का उपचार करें। अपने पैरों पर रोज़ एंटीफंगल(antifungal) पाउडर लगाएं।
जूते साझा न करें। जूते साझा करना कवक संक्रमण का जोखिम बढ़ा देता है।

एथलीट फुट का परीक्षण

कुछ मामलों में, आपके डॉक्टर केवल आपके पैर देख कर ही एथलीट्स फुट का निदान कर देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए, आपके डॉक्टर :
आपकी त्वचा के कुछ सैंपल ले सकते हैं और उन्हें माइक्रोस्कोप के नीचे देख सकते हैं।
आपके पैरों को काली रौशनी (wood's light) के नीचे रख कर भी जांच सकते हैं
आपकी त्वचा का सैंपल प्रयोगशाला में जांचने के लिए भी भेज सकते हैं

एथलीट फुट (पैरों में फंगल इन्फेक्शन) का इलाज

अगर आपका एथलीट फुट सौम्य है तो आपके डॉक्टर आपको ओवर-द-काउंटर एंटीफंगल मरहम, लोशन, पाउडर या स्प्रे इस्तेमाल करने का सुझाव दे सकते हैं। अगर फिर भी आपका एथलीट्स फुट ठीक नहीं होता है तो आपको डॉक्टर के पर्चे द्वारा सुझाई हुई दवाइयों की ज़रुरत पड़ सकती है। गंभीर संक्रमण के मामलो में मुँह के द्वारा ली जाने वाली दवाइयों की ज़रुरत पड़ सकती है।

एथलीट फुट की जटिलताएं

एथलीट फुट आपके शरीर के कई हिस्सों में फेल सकता है, जैसे कि :
आपके हाथ - जो लोग प्रभावित क्षेत्र को छूते या खुजाते हैं, उनमे ये संक्रमण उनके हाथो में भी फेल सकता है।
आपके नाखून - एथलीट्स फुट से संभंधित कवक आपके पैरों के नाखून को भी प्रभावित कर सकता है। ये हिस्सा उपचार प्रतिरोधी होता है।
आपकी ऊसन्धि - जोक खुजली का कारण अक्सर एथलीट्स फुट फैलाने वाला कवक ही होता है।  संक्रमण का पैरों से ऊसन्धि की ओर  फैलना आम है क्योंकि कवक आपके तौलिये के माध्यम से फैल सकता है। 

Wednesday, September 12, 2018

भगन्दर (फिस्टुला) - Anal Fistula

भगन्दर (फिस्टुला) - Anal Fistula

भगन्दर (फिस्टुला) क्या होता है?

फिस्टुला, अंगों या नसों के बीच एक असामान्य जोड़ होता है। यह ऐसे दो अंगों या नसों को जोड़ देता है जो प्राकृतिक रूप से जुड़े नहीं होते हैं, जैसे आंत व त्वचा के बीच में, योनि व मलाशय के बीच में।

फिस्टुला के कुछ प्रकार होते हैं लेकिन इसका सबसे आम प्रकार है भगन्दर (एनल फिस्टुला)।

भगन्दर एक छोटी नली समान होता है जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता।

ज़्यादातर भगन्दर आपकी गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं। यह पस त्वचा से खुद भी बाहर निकल सकती है या इसके लिए ऑपरेशन की आवश्यकता भी हो सकती है। भगन्दर तब होता है जब पस का त्वचा से बाहर आने के लिए बनाया गया रास्ता खुला रह जाता है या वह ठीक नहीं हो पाता।

इसके लक्षण होते हैं दर्द, सूजन, सामान्य रूप से मल आने में बदलाव और गुदा से रिसाव होना।
इसकी जाँच के लिए डॉक्टर आपका एक शारीरिक परीक्षण करते हैं जिसमें आपके गुदा और आसपास की जगह में भगन्दर की जाँच की जाती है।
भगन्दर के इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है जिसमें संक्रमित जगह से पस को निकाला जाता है।

भगन्दर (फिस्टुला) के प्रकार क्या हैं ?

भगन्दर (फिस्टुला) को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया जाता है -
सामान्य या जटिल (Simple or Complex)
एक या एक से ज़्यादा भगन्दर होने को सामान्य या जटिल फिस्टुला के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

कम या ज़्यादा (Low or High)
भगन्दर के होने की जगह और स्फिंकटर मांसपेशियों (Sphincter Muscles: दो अंगूठी जैसी मासपेशियां जो गुदा को खोलती और बंद करती हैं) से उसकी नज़दीकी के आधार पर उसे कम या ज़्यादा में वर्गीकृत किया जाता है।

भगन्दर (फिस्टुला) के लक्षण क्या होते हैं?

भगन्दर (फिस्टुला) के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं -
गुदा में बार-बार फोड़े होना
गुदा के आसपास दर्द और सूजन
मल करने में दर्द
रक्तस्त्राव
गुदा के पास एक छेद से बदबूदार और खून वाली पस निकलना (पस निकलने के बाद दर्द कम हो सकता है)
बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन
बुखार, ठण्ड लगना और थकान महसूस होना
कब्ज
सूजन 
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण हों तो अपने डॉक्टर के पास जाएं।

भगन्दर (फिस्टुला) क्यों होता है?

ज़्यादातर भगंदर गुदा में फोड़ा होने के बाद होते हैं। यह तब हो सकते हैं अगर फोड़े से पस निकलने के बाद वह ठीक नहीं हो पाता।
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि हर दो से चार लोग जिन्हें गुदा में फोड़ा हुआ है, उन्हें भगन्दर होंगे।
इसके कुछ असामान्य कारण निम्नलिखित हैं -
क्रोहन रोग - एक लम्बी चलने वाली बीमारी जिसमें पाचन तंत्र में सूजन हो जाती है।
डाइवर्टिक्युलाइटिस (Diverticulitis) - बड़ी आंत की परत में बनने वाली थैलियों की सूजन।
गुदा की आसपास की त्वचा में फोड़े और दाग पड़ना।
टीबी या एचआईवी से संक्रमित होना।
गुदा के पास हुई कोई सर्जरी की जटिलता।

भगन्दर के जोखिम कारक क्या होते हैं ?

भगन्दर के निम्नलिखित जोखिम कारक हो सकते हैं -
शुगर (डायबिटीज)
धूम्रपान करना 
शराब पीना
मोटापा 
एचआईवी
गुदा में पहले कभी चोट लगना
पहले कभी गुदा के आसपास के क्षेत्र में रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) होना

भगन्दर (फिस्टुला) होने से कैसे रोकें?

अगर आपको एक बार भगन्दर हुआ है, तो आप निम्नलिखत तरीकों से आगे इससे बच सकते हैं -
पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें
अगर आपको कब्ज है, सख्त या सूखा मल आ रहा है, तो आपको भगन्दर होने का ख़तरा हो सकता है। अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लेने से, खासकर फलों और सब्जियों से, आप कब्ज से बच सकते हैं।

जब तक आपको मुलायम और पहले से अधिक मल न आने लगे, तब तक फाइबर का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाते रहें। साथ ही पर्यापत मात्रा में पानी पिएं, जिससे पेट में सूजन और गैस नहीं होगी।

तरल पदार्थ लें
तरल पदार्थ लेने से कब्ज से बचा जा सकता है क्योंकि इससे मल मुलायम होता है और मल करने में आसानी होती है। गर्मी के मौसम में और ज़्यादा शारीरिक गतिविधि करते समय अधिक तरल पदार्थ पिएं। अधिक मात्रा में शराब और कैफीन पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। 

व्यायाम करें
कब्ज होने का सबसे सामान्य कारण है कम शारीरिक गतिविधि करना। रोजाना कम से कम तीस मिनट तक व्यायाम करने का प्रयास करें, जिससे आपका पाचन तंत्र अच्छा होगा और आप फिट रहेंगे। 

मल को अधिक देर तक न रोकें
जब आपको मल करने की भावना हो, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें। ऐसा करने से मल की भावना देने वाले शरीर के संकेत कमजोर हो सकते हैं। आप मल को जितने अधिक समय के लिए रोकेंगे, वह उतना ही सूखा और सख्त होता जाएगा, जिससे मल करने में कठिनाई होगी।

अन्य आदतें
निम्नलिखित तरीकों से कब्ज की समस्या कम हो सकती है और  गुदा नली पर तनाव कम हो सकता है -
टॉयलेट में मल करते समय पर्याप्त समय लें, लेकिन बहुत अधिक देर तक भी टॉयलेट पर न बैठें।
मल करने के लिए ज्यादा ज़ोर न लगाएं।
गुदा के क्षेत्र को सूखा रखें।
हर बार मल करने के बाद अपने आप को सही से साफ़ करें।
मुलायम, बिना डाई वाले और बिना सुगंध वाले टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करें।
दस्त का इलाज करवाएं।
लैक्सेटिव दवाएं लें
​अगर केवल फाइबर लेने से कब्ज से आराम नहीं मिल रहा है तो, लैक्सेटिव लिए जा सकते हैं। बल्क-फॉर्मिंग लैक्सेटिव (Bulk-forming laxative) या फाइबर की खुराक लेने से कब्ज की समस्या ठीक होती है।

भगन्दर (फिस्टुला) की जाँच कैसे होती है?

अगर आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको भगन्दर है, तो आपके डॉक्टर आपसे पहले हुई बिमारियों के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे।
कुछ फिस्टुला का पता लगाना आसान होता है और कुछ का कठिन। कभी-कभी यह खुद ठीक होकर फिर से भी हो जाते हैं। आपके डॉक्टर रिसाव और रक्तस्त्राव के लक्षणों की जाँच करेंगे और वह आपके गुदा की जांच भी कर सकते हैं।
आपके डॉक्टर एक्स रे और सीटी स्कैन जैसे परीक्षणों के लिए आपको एक विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं। आपको कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) की आवश्यकता भी हो सकती है। इस परीक्षण में आपके गुदा में एक कैमरे वली ट्यूब डाली जाएगी, जिससे आपके गुदा और मलाशय के अंदर के हिस्से को देखा जाएगा। इस परीक्षण के दौरान आपको सुला दिया जाएगा।

भगन्दर (फिस्टुला) का उपचार कैसे होता है ?

भगन्दर के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है, इसे दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता।
एक सामान्य भगन्दर (जो आपके गुदा के ज़्यादा नज़दीक नहीं है) के लिए डॉक्टर भगन्दर की नली की त्वचा और आसपास की मांसपेशियों में एक चीरा लगाएंगे घाव भर जाएगा। सामान्य भगन्दर बिना स्फिंकटर मांसपेशियों को नुक्सान पहुंचाए ठीक किया जा सकता है, लेकिन जटिल भगन्दर को ठीक करने में जोखिम बढ़ जाता है। भगन्दर को बंद करने के लिए आपके डॉक्टर एक डाट का उपयोग कर सकते हैं।

अगर स्थ्तिति जटिल हो तो भगन्दर के इलाज के लिए डॉक्टर इसके छेद में एक ट्यूब डालते हैं। इसे "सेटन" (Seton) कहा जाता है, और यह रबड़ की बनी होती है। सेटन संक्रमित तरल पदार्थ को सोखने का काम करती है। इसमें छः सप्ताह या उससे ज़्यादा समय लग सकता है।

भगन्दर के स्थान के आधार पर, डॉक्टरों को आपकी स्फिंकटर मांसपेशियों (गुदा को खोलने व बंद करने वाली मासपेशियां) को काटने की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर कोशिश करेंगे कि इन मांसपेशियों को नुक्सान न हो लेकिन इससे सर्जरी के बाद मल को नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

इसके इलाज के लिए ​​तीन तरह की सर्जरी की जा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:
फिस्टुलोटोमी (Fistulotomy)
फिस्टुलोटोमी भगन्दर का सबसे सामान्य इलाज है, जिसमें भगन्दर की ट्यूब को काटकर खोला जाता है। इससे भगन्दर ठीक होने की सम्भावना अधिक होती है और यह फिर से भगन्दर होने से रोकता है। हलांकि, कुछ जटिल मामलों में इससे स्फिंकटर मांसपेशियों को नुक्सान का खतरा बढ़ जाता है।

फिस्ट्युलेक्टमी (Fistulectomy)
जब पूरे भगंदर को काटकर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है, तो उस सर्जरी को फिस्ट्युलेक्टमी कहा जाता है। यह इलाज जटिल स्थिति में सबसे अच्छा माना जाता है। हलांकि, फिस्ट्युलेक्टमी के कुछ नुक्सान भी होते हैं। सर्जरी के बाद रोगी को ठीक होने में चार से छः सप्ताह लग जाते हैं, जो बाकि सर्जरी के बाद ठीक होने के समय से अधिक है। इस सर्जरी से मल न रोक पाना जैसी समस्या हो सकती है।

लेज़र ट्रीटमेंट (Laser Treatment)
लेज़र में भगन्दर या स्फिंकटर मांसपेशियों को काटने की आवश्यकता नहीं होती है जिससे मल न रोक पाने की समस्या का खतरा कम हो जाता है और सर्जरी के बाद ठीक होने में भी कम समय लगता है।

सर्जरी के बाद अपनी देखभाल करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

भगन्दर की सर्जरी के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवाएं और एंटीबायोटिक दवा लें। डॉक्टर से बात किए बिना अपनी मर्ज़ी से मेडिकल स्टोर से जा कर कोई दवा न लें।
दिन में तीन से चार बार गर्म पानी से नहाएं।
भगन्दर के ठीक होने तक अपने गुदा के क्षेत्र में पैड पहनें।
डॉक्टर के बोलने के बाद ही अपने रोज़मर्रा के काम शुरू करें।
फाइबर युक्त आहार लें और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।
मल को मुलायम बनाने के लिए लैक्सेटिव लें।

भगन्दर की जटिलताएं क्या होती हैं ?

भगन्दर की ज़्यादातर जटिलताएं उसकी सर्जरी से होती हैं। यह जटिलताएं निम्नलिखित हैं -
संक्रमण
किसी भी प्रकार की सर्जरी से संक्रमण होने का खतरा होता है। भगन्दर की नली में मौजूद संक्रमण कभी-कभी शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है। अगर ऐसा होता है, तो आपको एंटीबायोटिक दवाएं लेने की आवश्यकता हो सकती है।

मल पर नियंत्रण खोना
कुछ दुर्लभ मामलों में सर्जरी से स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है, जिससे आप अपने मल करने पर नियंत्रण खो सकते हैं। ऐसा होने की सम्भावना आपकी सर्जरी के प्रकार व भगन्दर के स्थान पर निर्भर करती है। अगर आपको सर्जरी से पहले भी यह समस्या थी, तो सर्जरी के बाद यह और बिगड़ सकती है।
कुछ मामलों में सर्जरी के बाद भी फिर से भगन्दर हो सकता है।

Monday, September 10, 2018

टिटनेस (टेटनस)​ क्या होता है ?

टिटनेस (टेटनस)​ क्या होता है ?

टिटनेस या टेटनस एक गंभीर बैक्टीरियल बीमारी होती है, जो शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इससे मांसपेशियां संकुचित (सिकुड़ना) होने लगती हैं, जिससे काफी दर्द होता है। टिटनेस विशेष रूप से जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों को ही प्रभावित करती है। टिटनेस आपके सांस लेने की समर्थता में हस्तक्षेप करती है और अंत में जीवन के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है। आमतौर पर टिटनेस को लॉकजॉ (Lockjaw) के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इससे जबड़ा एक तरीके से लॉक (स्थिर) हो जाता है।

टिटनेस वैक्सीन की मदद से आजकल टिटनेस के मामले काफी कम हो गए हैं। हर साल दुनियाभर में लगभग 10 लाख के करीब लोग टिटनेस से ग्रसित हो जाते हैं।
टिटनेस को ठीक करने का कोई इलाज नहीं है। इसके उपचार का मुख्य फोकस टिटनेस के विषाक्त पदार्थों (Toxins) का समाधान होने तक इसकी जटिलताओं को मैनेज करना होता है। जिन लोगों ने टीकाकरण नहीं करवाया है और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनके लिए टेटनस काफी घातक हो सकता है।

टिटनेस (टेटनस) के लक्षण

टिटनेस बैक्टीरिया का घाव के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद, कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों के बीच किसी भी समय इसके संकेत व लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इन्फेक्शन के बाद इसके लक्षणों के दिखने की औसत अवधि सात से आठ दिन की होती है।
संक्रमण के समय टिटनेस के संकेत और लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं -
गर्दन की मांसपेशियों में अकड़न
पेट की मांसपेशियों में अकड़न
इसके साथ ही साथ कुछ मिनटों तक पूरे शरीर में दर्द रहना, ये दर्द आम तौर पर किसी बेहद आम क्रिया से शुरू हो जाते हैं, जैसे ड्रॉफ्ट (पीने की क्रिया), तेज शोर, शारीरिक स्पर्श और रोशनी आदि।
निगलने में कठिनाई
जबड़ों में ऐंठन और अकड़न

अन्य संकेत व लक्षण जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -
बीपी बढ़ जाना
ह्रदय की धड़कन बढ़ना
बुखार
पसीना आना

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

अगर आपका घाव गहरा और गंभीर हो चुका है, तो टिटनेस बूस्टर शॉट (Tetanus booster shot) प्राप्त करने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपने पिछले 5 सालों में कोई बूस्टर शॉट नहीं लिया या आपको याद नहीं है कि आपने आखिरी बार टिटनेस बूस्टर शॉट कब लिया था, तो अपने डॉक्टर को इस बारे में बताएं। अगर आपको किसी भी प्रकार का घाव है, तो उसके लिए टिटनेस बूस्टर के बारे में अपने डॉक्टर से पूछें, खासकर अगर आपका घाव गंदगी, पशु मल या खाद आदि से दूषित हो गया हो। अगर आपने पिछले 10 सालो में पहले कभी टिटनेस बूस्टर शॉट नहीं लगवाया या आपको निश्चित नहीं है कि आपने पहले कब वैक्सीन का टीका लगवाया था, तो ऐसे में आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए।

टिटनेस (टेटनस) के कारण 

टिटनेस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को क्लॉस्ट्रिडियम टेटनी (Clostridium tetani) के नाम से जाना जाता है, ये धूल, मिट्टी और पशु मल आदि में पाए जाते हैं। जब ये बैक्टीरिया किसी घाव (जख्मी मांस) में प्रवेश करते हैं, तो टेटनोस्पॉस्मिन (tetanospasmin) नाम का एक विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं। यह विषाक्त पदार्थ शरीर के मोटर न्यूरॉन्स (Motor neurons) को खराब कर देते हैं। मोटर न्यूरॉन्स वे तंत्रिकाएं होती हैं जो मांसपेशियों को नियंत्रित करती हैं। मोटर न्यूरॉन्स पर विष का प्रभाव मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन पैदा करता है, जो टिटनेस का एक प्रमुख लक्षण होता है।

टिटनेस के का खतरा क्यों बढ़ जाता है?

उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त कुछ कारक भी हैं, जो शरीर में टिटनेस के बैक्टीरिया को फैलाने का काम करते हैं। जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -
घाव पर किसी अन्य संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया का संपर्क
चोट के आसपास सूजन
त्वचा के घायल ऊतक
प्रतिरक्षा में कमी या अपर्याप्त प्रतिरक्षण (प्रतिरक्षा के लिए टीकाकरण), टिटनेस के विरूद्ध समय पर टिटनेस बूस्टर शॉट पाप्त करने में विफलता।
कुछ चुभने या घुसने से लगने वाली चोट, जिसके परिणामस्वरूप टिटनेस के बीजाणु घाव की जगह पर विकसित होने लगते हैं।

टिटनेस के मामले निम्न प्रकार की चोट लगने के कारण भी विकसित हो जाते हैं।
ऑपरेशन के घाव
कान के संक्रमण
जानवरों के काटने से होने वाले घाव
दबने, कुचलने या मसले जाने आदि से होने वाले घाव
जलने से होने वाले घाव
पैरों में संक्रमण (फोड़े)
अपर्याप्त इम्यूनाइज़्ड माताओं से जन्मे नवजात शिशुओं की नाल में संक्रमण
पंक्चर घाव जैसे कांटा या डंक, शरीर भेदन, टैटू और ड्रग्स के लिए इन्जेक्शन आदि
बंदूक की गोली के घाव

टेटनस की रोकथाम कैसे होती है?

विषाक्त पदार्थों के विरूद्ध टीकाकरण से आसानी से टेटनस की रोकथाम की जा सकती है। लगभग सभी मामलों में टेटनस उन लोगों को ही होता है, जिन्होनें कभी टेटनस के बचाव का टीकाकरण नहीं करवाया हो या जिन्होनें पिछले 10 सालों में कोई टेटनस बूस्टर शॉट प्राप्त नहीं किया हो।
टेटनस की टीका आमतौर पर बच्चों को डिफ्थेरिया और टेटनस टॉक्सोइड्स और एसेल्युलर परटुसिस वैक्सीन के हिस्से के रूप में दी जाती है। इस टीकाकरण को डीटीएपी (DTAP) के नाम से भी जाना जाता है। यह टीकाकरण निम्न तीन रोगों के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है -
टेटनस
काली खांसी
डिप्थीरिया (Diphtheria), जो गले और श्वसन प्रणाली का संक्रमण है

डीटीएपी वैक्सीन में 5 शॉट्स की एक सीरिज शामिल होती है, आमतौर पर इसे बचपन में ही बच्चों की भुजा या जांघ पर लगाया जाता है। इस टीकों को शिशु को इन आयु पर लगाया जाता है - 2 महीने, 4 महीने, 6 महीने, 15 से 18 महीने, 4 से 6 साल।

टेटनस का निदान  कैसे होता है ?

टेटनस का निदान आम तौर पर उसके लक्षणों के माध्यम से किया जाता है। लेकिन रोगसूचक निदान के साथ उसकी पुष्टि करने के लिए एक स्पैट्युला टेस्ट (Spatula Test) भी किया जाता है। इस टेस्ट में गले के पिछले भाग में एक स्पैट्युला (एक प्रकार का औजार) डाला जाता है। अगर कोई संक्रमण ना हो तो स्पैट्युला एक गैग-रिफ्लेक्स उत्पन्न करता है, जिससे रोगी स्पैट्युला को मुंह से बाहर निकालने की कोशिश करेगा। हालांकि, अगर संक्रमण है तो स्पैट्युला के कारण गले की मांसपेशियां ऐंठ जाती हैं और मरीज स्पैट्युला को जबड़े में दबा लेता है।

टिटनेस (टिटनेस)​ का उपचार कैसे होता है ?

अभी तक टिटनेस के लिए कोई इलाज नहीं मिल पाया है, इसके उपचार में घावों की देखभाल, लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं और सहायक देख-रेख आदि शामिल हैं।
घावों की देखभाल - टिटनेस के बैक्टीरिया की वृद्धि की रोकथाम करने के लिए घावों की देखभाल करना जरूरी होता है। इसमें घावों में से गंदगी, बाहरी वस्तुएं (पदार्थ) और मृत (टिश्यू) ऊतकों को बाहर निकालना होता है।
दवाएं -
टीका - एक बार टिटनेस हो जाने पर आप उसके बाद बैक्टीरिया के विरुद्ध प्रतिरक्षा नहीं बना पाते। इसलिए भविष्य में टिटनेस के संक्रमण से लड़ने के लिए आपको वैक्सीन का टीका लगवाने की आवश्कता पड़ सकती है।
एंटीटॉक्सिन - डॉक्टर टिटनेस इम्यून ग्लोब्युलिन (Tetanus immune globulin) जैसे एंटीटॉक्सिन दे सकते हैं। हालांकि, एंटीटॉक्सिन सिर्फ विषाक्त पदार्थों को ही बेअसर करते हैं, यह तंत्रिका के ऊतकों में कोई सुधार नहीं करते।
एंटीबायोटिक्स - टिटनेस के बैक्टीरिया से लड़ने के लिए डॉक्टर खाने की दवा या इंजेक्शन के माध्यम से एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं।
सेडेटिव दवा - मांसपेशियों में दर्द को रोकने के लिए डॉक्टर आम तौर पर शक्तिशाली सेडेटिव दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
अन्य दवाएं - मैग्नीशियम सल्फेट (Magnesium sulfate) और कुछ प्रकार की बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers) जैसी दवाएं है। ये दवाएं मांसपेशियों की कुछ अनैच्छिक गतिविधियों (जैसे दिल की धड़कन व सांस लेना) को नियमित करने में मदद करती हैं, इसलिए इनका भी इस्तेमाल किया जाता है। मॉर्फिन (Morphine) का प्रयोग भी उपरोक्त उद्देश्यों और बेहोशी की क्रिया को पूरा करने के लिए किया जाता है।
सहायक थेरेपी - टिटनेस के संक्रमण में अक्सर गहन देखभाल और दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही मरीज को वेंटीलेटर द्वारा अस्थायी रूप से सहायक थेरेपी की भी आवश्यकता हो सकती है।

टेटनस से क्या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं ?

एक बार टेटनस के विषाणु अगर तंत्रिकाओं के सिरे से मिल जाएं, तो उसको हटाना असंभव हो जाता है। टेटनस संक्रमण से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए नई तंत्रिकाओं की वृद्धि की जरूरत पड़ती है, जो कई महीनो तक का समय ले सकती है।
टेटनस संक्रमण की जटिलताओं में निम्न शामिल हैं -
हड्डी का टूटना – अत्यधिक गंभीर ऐंठन रीढ़ और अन्य हड्डियों के टूटने का कारण बन सकती है।
विकलांगता – मांसपेशियों में ऐंठन को नियंत्रित करने के लिए, टेटनस के उपचार के दौरान शक्तिशाली सेडेटिव दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं के उपयोग के कारण लंबे समय तक अस्थिरता या स्थायी विकलांगता भी हो सकती है। शिशुओं में टेटनस का संक्रमण लंबे समय के लिए मस्तिष्क को क्षति पहुंचा देता है, जिसमें मामूली मानसिक अभाव से लेकर सेरेब्रल पाल्सी तक के जोखिम पैदा हो जाते हैं।
मृत्यु – गंभीर टेटनस-इंड्यूस्ड में मांसपेशियों की ऐंठन, सांस लेने की क्रिया में हस्तक्षेप करती है और उस समय मरीज बिलकुल भी सांस नहीं ले पाते। सांस लेने में विफलता मृत्यु का सबसे आम कारण होता है।

योनि में यीस्ट संक्रमण - Vaginal Yeast Infection

योनि में यीस्ट संक्रमण - Vaginal Yeast Infection

महिलाओं में योनिशोथ (Vaginitis) एक बहुत बड़ी समस्या है। वास्तव में यह संक्रमण प्रजनन के समय अधिक तेज़ी से होता है। हार्मोनल स्तर के निरंतर घटने बढ़ने, बैक्टीरिया या यौन गतिविधियों के कारण योनि से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

योनि संक्रमण तीन प्रकार का होता है 
यीस्ट इन्फेक्शन,
बैक्टीरियल इन्फेक्शन
ट्रिकोमोनिसिस (Trichomoniasis)।

इनसे ग्रस्त होने पर योनि स्राव, खुजली और जलन आदि लक्षण अनुभव होते हैं। अलग अलग कारणों से होने वाले इन संक्रमणों का उपचार भी भिन्न भिन्न होता है।

योनि में यीस्ट संक्रमण क्या है?
योनि में यीस्ट संक्रमण अधिकतर जननांगों में होने वाला फंगल संक्रमण है। इसके कारण जलन, खुजली और योनि स्राव होता है। यह महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। 4 में से 3 महिलाओं को पूरे जीवन काल में एक बार यीस्ट संक्रमण का अनुभव हो जाता है।
सामान्यतः योनि में यीस्ट संक्रमण तब होता है जब कैण्डिडा एल्‍बीकैंस (Candida Albicans) जो एक प्रकार का कवक (यीस्ट) है, आपके मुंह, पाचन तंत्र या योनि में पाया जाता है। यह फंगस संख्या में तेज़ी से वृद्धि करती है और योनि के ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है।
आम तौर पर कैण्डिडा अन्य सूक्ष्मजीवों के साथ एक संतुलन में काम करती है लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ जाता है तब कैण्डिडा में अधिक वृद्धि यीस्ट संक्रमण का कारण बनता है।

योनि में यीस्ट संक्रमण के लक्षण
सभी महिलाओं को यीस्ट इन्फेक्शन के लक्षण महसूस नहीं होते क्योंकि अगर संक्रमण बहुत कम है तो लक्षण भी बहुत सूक्ष्म होंगे। अगर आपको निम्न में से कोई भी लक्षण का अनुभव हो तो डॉक्टर के पास अवश्य जाएं :
योनी में खुजली, जलन या असहजता महसूस होना।
योनि या योनि मार्ग में दर्द होना।
सेक्स या मूत्र त्याग के समय जलन महसूस होना।
सफ़ेद और गाढ़ा योनिस्राव होना।
लाल चकत्ते या दाने होना।
कभी-कभी यह संक्रमण इतना जटिल हो जाता है कि त्वचा में घाव हो जाते हैं। कुछ मेडिकल परिस्थितियां जैसे गर्भावस्था, अनियंत्रित शुगर या कमज़ोर इम्यून सिस्टम के कारण भी यह इन्फेक्शन होता है।

योनि में यीस्ट संक्रमण के कारण
कुछ यीस्ट संक्रमण कैण्डिडा एल्‍बीकैंस के कारण होते हैं लेकिन कैण्डिडा (Candida) की अन्य प्रजातियां भी संक्रमण फैलाती हैं। जिनका अलग अलग इलाज होता है।
महिलाओं की योनि में यीस्ट और बैक्टीरिया संतुलित मात्रा में उपस्थित रहते हैं लेकिन उनमें असुंतलन संक्रमण का कारण बनता है। लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) बैक्टीरिया यीस्ट में वृद्धि होने से रोकता है लेकिन कभी कभी यीस्ट अधिक प्रभावी हो जाता है जो संक्रमण का कारण बनता है।
महिलाओं से यह संक्रमण सेक्स के दौरान उनके पार्टनर को भी हो सकता है। हालांकि यीस्ट इन्फेक्शन को यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infections) नहीं माना जाता है क्योंकि यह उन महिलाओं या लड़कियों को भी हो जाता है जो यौन रूप से सक्रिय नहीं हैं और यौन संचारित संक्रमण केवल यौन रूप से सक्रिय होने पर ही होते हैं।

योनि में यीस्ट इन्फेक्शन के कारण निम्नलिखित हैं :
गर्भावस्था: एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में यीस्ट संक्रमण का कारण बनता है।
माहवारी: सामान्य मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोन के स्तर में परिवर्तन आपकी योनि के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है जो कभी कभी यीस्ट संक्रमण का कारण भी बन सकता है। यह मासिक धर्म के दौरान लम्बे समय तक पैड्स न बदलने या सफाई न रखने के कारण भी हो सकता है।
एस्ट्रोजन का बढ़ा स्तर: जो महिलाएं गर्भनिरोधक दवाएं लेती हैं उनमें एस्ट्रोजन का स्तर सामान्य से अधिक होता है जो यीस्ट संक्रमण की सम्भावना बढ़ाता है।
शुगर: किसी भी प्रकार की डायबिटीज होने पर यीस्ट संक्रमण होने की सम्भावना अधिक हो जाती है।
एंटीबायोटिक्स: अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक्स (दवाओं) का सेवन आपकी सेहत को अच्छा रखने वाले बैक्टीरिया, लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (lactobacillus acidophilus) को नष्ट कर देता है जिस कारण यीस्ट वृद्धि करके संक्रमण कर देता है।
कैंसर का उपचार: कीमोथेरेपी भी यीस्ट इन्फेक्शन होने का कारण होती है।
कमज़ोर इम्यून सिस्टम: जिन महिलाओं का प्रतिरक्षा तंत्र कॉर्टिकोस्टेरॉइड (corticosteroid) थेरेपी या एचआईवी संक्रमण के कारण कमज़ोर हो गया है उनमें भी यीस्ट संक्रमण तेज़ी से फैलता है।
अधिकतर यीस्ट संक्रमण कैण्डिडा प्रजाति के फंगस के कारण ही होते हैं। अगर आप भी इस संक्रमण से पीड़ित हैं तो इससे पहले कि यह कोई गंभीर रूप ले ले, डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।

योनि में यीस्ट संक्रमण से बचाव
यीस्ट इन्फेक्शन को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है लेकिन कुछ उपायों द्वारा इनसे बचा ज़रूर जा सकता है जो निम्नलिखित हैं :
डूशिंग (Douching) से बचें। यह आमतौर पर पानी और सिरके के मिश्रण से योनि को धोने की एक विधि है। एंटीसेप्टिक और सुगंध से युक्त डूश (Douche) दवा की दुकानों में मिलते हैं। यह बोतल या बैग में आता है और ट्यूब के माध्यम से योनि की सफाई के लिए स्प्रे किया जाता है।
योनि में डिओडोरेंट या डिओडोरेंट पैड्स के इस्तेमाल से बचें।
कॉटन के अंडरगार्मेंट्स उपयोग करें।
ढीले ढाले पैन्ट्स या स्कर्ट्स पहनें।
अंडरगार्मेंट्स को गर्म पानी से धोएं।
स्वस्थ्य और संतुलित आहार खाएं।
गीले कपड़ें (स्विमिंग सूट) तुरंत बदलें।
बाथ टब में स्नान करने से बचें।
अगर आपको कभी भी यीस्ट इन्फेक्शन होने की दुविधा हो तो बिना शरमाये डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लें अन्यथा यह समस्या गंभीर रूप भी ले सकती है।

योनि में यीस्ट संक्रमण का इलाज
यीस्ट संक्रमण का उपचार संक्रमण की जटिलता पर निर्भर करता है।
कम जटिल यीस्ट संक्रमण -
इनका इलाज दो तरीकों से किया जा सकता है : वैजाइनल थैरेपी और दवाओं के सेवन से।
ये दोनों ही तरीके डॉक्टर के परामर्श पर ही अपनायें। अगर आप दवा का सेवन भी करने जा रही हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह के न लें क्योंकि यह प्रतिक्रिया (Reaction) भी कर सकती है जिसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं।
जटिल यीस्ट संक्रमण -
जटिल यीस्ट संक्रमण का इलाज भी वैजाइनल थैरेपी और मौखिक रूप से ली जाने वाली दवाओं से ही किया जाता है।
अधिक समय तक वैजाइनल थैरेपी से (लगभग 7 से 14 दिनों की) - जिसमें वैजाइनल क्रीम और दवाओं का नियमित सेवन करना पड़ता है - भी यीस्ट संक्रमण से निजात पाने में मदद मिलती है।
अगर आपके पार्टनर को यीस्ट संक्रमण है तो संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल ज़रूर करें।

दही का उपयोग भी योनि में यीस्ट संक्रमण के वैकल्पिक उपचार के रूप में किया जा सकता है। यह उपचार रिसर्च अध्ययनों के द्वारा प्रमाणित नहीं है लेकिन कैण्डिडा से होने वाले संक्रमण को कम करने में सहायक है।
कोई भी एंटिफंगल (Antifungal) दवा के सेवन से पहले ये ज़रूर सुनिश्चित कर लीजिये की आपका संक्रमण यीस्ट संक्रमण ही है या नहीं। एंटिफंगल दवाओं के अधिक सेवन से उनका प्रभाव कम होने लगता है और हो सकता है कि भविष्य में ये दवाएं असर न करें इसलिए बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई दवा न लें।

बैक्टीरियल वेजिनोसिस (योनि में बैक्टीरियल संक्रमण) - Bacterial Vaginosis

बैक्टीरियल वेजिनोसिस (योनि में बैक्टीरियल संक्रमण) - Bacterial Vaginosis


बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial vaginosis) एक प्रकार का योनि संक्रमण है जो योनि में बैक्टीरिया की अधिक वृद्धि के कारण होता है। इस स्थिति को गार्डनेरेला वैजिनाइटिस (Gardnerella vaginitis) कहते हैं यह गार्डनेरेला (Gardnerella) बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया योनि में संक्रमण करने के लिए उत्तरदायी है। हालांकि योनि में अनेकों प्रजाति के बैक्टीरिया प्राकृतिक रूप से रहते हैं और उनकी अत्यधिक वृद्धि या असुंतलन के कारण संक्रमण होता है जिसे बैक्टीरियल वेजिनोसिस (BV) कहते हैं जिसके परिणामस्वरूप योनिस्राव होता है। अधिकतर यह संक्रमण गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है।

अकसर यह संक्रमण नए पार्टनर के साथ संभोग करने से होता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infection) नहीं माना जाता है क्योंकि यह उन महिलाओं या लड़कियों को भी होता है जिन्होंने कभी संभोग नहीं किया है। यौन संचारित संक्रमण वो संक्रमण होते हैं जो यौन गतिविधियों द्वारा ही होते हैं।

अधिकतर महिलाओं को बैक्टीरियल वेजिनोसिस से संक्रमित होने पर कोई लक्षण महसूस नहीं होते। कुछ महिलाओं को कुछ लक्षण महसूस होते हैं, जिनमें योनि स्राव, जलन और खुजली आदि प्रमुख हैं। योनि स्राव पतला, रंग में ग्रे (Gray) या सफ़ेद तथा बदबूदार हो सकता है और कभी कभी पेशाब के दौरान जलन और योनि के चारों ओर खुजली का अनुभव भी हो सकता है।

योनि में बैक्टीरियल संक्रमण के कारण
योनि में बैक्टीरियल इन्फेक्शन प्राकृतिक रूप से योनि में मौजूद बैक्टीरिया के कारण होता है।
योनि में मौजूद बैक्टीरिया का असुंतलन इस संक्रमण का कारण होता है और वो असुंतलित क्यों होते हैं ये अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है।
आपके शरीर के प्रत्येक भाग में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जिनमें से कुछ लाभदायक होते हैं और कुछ हानिकारक। जब हानि पहुंचाने वाले बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है तो यह चिंता का विषय बन जाते हैं। इसी प्रकार जब योनि में हानिकारक बैक्टीरिया अधिक हो जाते हैं तब बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है।

महिलाओं की योनि में लैक्टोबेसिलस (lactobacillus) बैक्टीरिया पाया जाता है। यह लैक्टिक एसिड (lactic acid) का उत्पादन करता है जो योनि को थोड़ा अम्लीय बनाने में मदद करता है जो अन्य बैक्टीरिया को वहां बढ़ने से रोकता है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस किसी भी महिला को हो सकता है लेकिन कुछ आदतें इसके होने की सम्भावना बढ़ाती हैं जैसे :
योनि की सफाई की लिए डूशिंग (Douching) का उपयोग करना।
एंटीसेप्टिक तरल पदार्थों से स्नान करना।
किसी नए साथी के साथ सेक्स करना।
एक से अधिक लोगों के साथ संभोग करना।
योनि डिओडोरेंट और सुगंधित साबुन का उपयोग करना।
कठोर (hard) डिटर्जेंट से अंडरवियर धोना।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस शौचालय, बिस्तरों (bed), स्विमिंग पूल, या छूने से नहीं होता है।

योनि में बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव
महिलाओं में बैक्टीरियल वेजिनोसिस विकसित होने का सही कारण अभी तक अज्ञात है इसलिए यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है कि आप संक्रमण होने को कैसे रोक सकते हैं। हालांकि, उन बातों का ध्यान रखकर आप इस संक्रमण से बच सकती हैं जो इसके विकास को बढ़ावा देते हैं जैसे :
समय समय पर पेल्विक जांच कराएं।
सुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करें और गर्भनिरोधक उपकरणों (Intrauterine Device) की जगह कंडोम का उपयोग करें।
डूशिंग (Douching) से बचें। यह आमतौर पर पानी और सिरके के मिश्रण से योनि को धोने की एक विधि है। एंटीसेप्टिक और सुगंध से युक्त डूश (Douche) दवा की दुकानों में मिलते हैं। यह बोतल या बैग में आता है और ट्यूब के माध्यम से योनि की सफाई के लिए स्प्रे किया जाता है।
एक से अधिक लोगों के साथ संभोग न करें।

योनि में बैक्टीरियल संक्रमण का परीक्षण
असामान्य योनिस्राव होने पर डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं। डॉक्टर आपके संक्रमण का कारण पता करेंगे और बैक्टीरियल वेजिनोसिस के साथ साथ गोनोरिया (Gonorrhea) निसेरिया गोनोरीए (Neisseria Gonorrhoeae) नामक बैक्टीरिया से होने वाला रोग या ट्रिकोमोनिसिस (Trichomoniasis (trich)/ ट्राईकोमोनस वेजिनेलिस (Trichomonas vaginalis) नामक परजीवी (Parasite) के कारण होता है का भी पता लगाएंगे कि कहीं यह संक्रमण, रोग तो नहीं बन गए हैं।

गर्भवती महिलाओं में ये संक्रमण होने पर जटिलताएं बढ़ जाती हैं जिसमें कभी कभी गर्भावस्था का समय पूरा होने से पहले ही उनको प्रसव पीड़ा होती है। डॉक्टर इसका निदान आपके बताये हुए लक्षणों और आपकी शारीरिक जांच के आधार पर करेंगे।
अगर आप यौन सम्बन्ध बनाने योग्य हैं तो डॉक्टर आपको कुछ अन्य जांचें करवाने को भी कह सकते हैं क्योंकि हो सकता है कि आपको या आपके साथी को यौन संचारित संक्रमण हो जिस कारण आपको यह संक्रमण हुआ हो।
डॉक्टर आपकी योनि की कोशिकाओं का नमूना जांच के लिए ले सकते हैं जिसमें योनि का pH स्तर जांचा जाता है क्योंकि अगर यह स्तर अम्लीय होता है तो भी संक्रमण का कारण बन सकता है।

योनि में बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज
एंटीबायोटिक दवाएं 90 प्रतिशत मामलों में प्रभावी होती हैं, लेकिन बैक्टीरियल वेजिनोसिस में यह कुछ हफ़्तों बाद फिर से हो जाता है।
हालांकि बैक्टीरियल वेजिनोसिस अकसर उपचार के बिना ही ठीक हो जाता है, लेकिन जिन महिलाओं को इसके लक्षण महसूस होते हैं उनको इससे होने वाली जटिलताओं से बचने के लिए उपचार करना चाहिए।
पुरुषों को इसमें उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन वो महिलाओं में संभोग के दौरान यह संक्रमण स्थानांतरित कर सकते हैं।
कुछ डॉक्टरों का कहना है कि, गर्भपात या हिस्‍टेरेक्‍टॉमी की सर्जरी से पहले बैक्टीरियल वेजिनोसिस की सर्जरी करनी चाहिए चाहे लक्षण मौजूद हों या न हों।
मेट्रोनिडाजोल (Metronidazole) बैक्टीरियल वेजिनोसिस के लिए सबसे अधिक उपयोग की जाए वाली एंटीबायोटिक है।
अगर महिला गर्भवती है या स्तनपान करा रही है तो इस समय मेट्रोनिडाजोल का सात दिनों तक दिन में दो बार सेवन बैक्टीरियल वेजिनोसिस से राहत दिलाता है।
सामान्य महिला को इस संक्रमण के दौरान मेट्रोनिडाजोल का सात दिनों तक दिन में एक बार सेवन करना चाहिए।
जैल (gel) के रूप में उपलब्ध मेट्रोनिडाजोल नियमित रूप से पांच दिनों तक दिन में एक बार योनि क्षेत्र पर लगाना चाहिए।
मेट्रोनिडाज़ोल शराब के साथ प्रतिक्रिया करता है। शराब के साथ इसका सेवन करने से व्यक्ति बीमार महसूस कर सकता है। मेट्रोनिडाज़ोल के सेवन के बाद कम से कम 48 घंटे तक शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्लिंडामायसिन (Clindamycin) और टिनिडाज़ोल (Tinidazole) बैक्टीरियल वेजिनोसिस के उपचार के लिए वैकल्पिक दवाएं हैं। अगर मेट्रोनिडाज़ोल से कोई असर नहीं हो रहा है तो इनको उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
अगर बैक्टीरियल संक्रमण इन एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो जाता है तो भविष्य में वो दोबारा नहीं होगा।

योनि में बैक्टीरियल संक्रमण के जोखिम और जटिलताएं
योनि में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने से कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं जैसे :
एचआईवी संक्रमण (HIV infection)
यौन संचारित संक्रमण [Sexually Transmitted Infections (STIs)]
सर्जरी के बाद होने वाले संक्रमण (Post-surgical infection) जैसे: गर्भपात या हिस्टेरेक्टॉमी के बाद भी संक्रमण हो सकते हैं।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं इस प्रकार हैं :
समय से पूर्व बच्चे को जन्म देना।
देर से गर्भपात होना।
ऐम्नीऑटिक थैली (गर्भाशय के अंदर के कोशिकीय स्तर जिसमें बच्चा सुरक्षित रहता है) का जल्दी नष्ट हो जाना।
Postpartum endometritis, जन्म देने के बाद गर्भाशय की परत में होने वाला संक्रमण जिसके कारण जलन और सूजन आ जाती है।
बांझपन, जो फैलोपियन ट्यूब में चोट के कारण होता है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन [In-vitro fertilization (IVF)] तकनीक द्वारा भी बैक्टीरियल वेजिनोसिस ठीक किया जा सकता है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस (BV) पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज [pelvic inflammatory disease (PID)] होने की सम्भावना बढ़ाती है। यह रोग महिलाओं में ऊपरी जनांगों (upper female genital tract) में सूजन के कारण उत्पन्न होता है। इसके कारण बांझपन भी हो सकता है।

Sunday, September 2, 2018

सिफलिस (उपदंश) - Syphilis

सिफलिस (उपदंश) - Syphilis

सिफलिस/ उपदंश (Syphilis) क्या है?
सिफिलिस 'टी.पैलिडम' (T. Pallidum) बैक्टीरिया के द्वारा फैलने वाला संक्रमण है, जो त्वचा पर होने वाले सिफिलिटिक छाले और श्लेष्मा झिल्ली (Mucous Membranes) में प्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित होता है। यह एक यौन संचारित संक्रमण (एसटीडी) है जो इलाज न कराये जाने पर गंभीर रूप धारण कर सकता है।
इसका संक्रमण सिफिलिटिक छालों (इसे दर्दरहित छाले भी कहा जाता है) से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से भी फैलता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा दरवाज़ों के हैंडल या मेज़ जैसी सतहों को छूने से यह संक्रमण नहीं फैलेगा।
इसके तहत योनि, गुदा, मलाशय, होंठ और मुँह में छाला हो सकता है। मौखिक (Oral), गुदा (Anal) या योनि सम्बन्धित यौन गतिविधि के दौरान इस बीमारी के फैलने की संभावना होती है। बहुत ही कम मामलों में यह चुंबन के माध्यम से भी फैल सकता है।
जननांगों, मलाशय, मुँह या त्वचा की सतह पर दर्दरहित छाला इस संक्रमण का पहला संकेत है। कुछ लोगों का ध्यान इस छाले की तरफ जाता भी नहीं है क्योंकि यह दर्दरहित होता है। कई बार ये छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि इलाज न किया जाए तो बैक्टीरिया शरीर में ही रह जाते हैं।

पेनिसिलिन के साथ प्रारंभिक उपचार द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। उपचार के बाद सिफिलिस दुबारा वापस नहीं होता लेकिन इस बैक्टीरिया के अधिक संपर्क में आने पर इस बीमारी की पुनरावृत्ति हो भी सकती है। एक बार सिफिलिस से संक्रमित होने के बाद किसी व्यक्ति को इस बीमारी से फिर से संक्रमित होने से  नहीं बचाया जा सकता।

गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने अजन्मे बच्चे को सिफलिस प्रेषित कर सकती हैं, जिसके संभावित रूप के घातक परिणाम हो सकते हैं।
सिफिलिस का संक्रमण अपनी तीसरी अवस्था में लौटने से पहले 30 साल तक निष्क्रिय भी रह सकता है।

उपदंश (सिफलिस) के चरण - Stages of Syphilis

सिफलिस/ उपदंश के चार चरण होते हैं –
प्राथमिक
माध्यमिक
छिपा हुआ (अव्यक्त)
तृतीयक

पहले दो चरणों में सिफलिस सबसे अधिक संक्रामक होता है।
जब सिफलिस छिपा हुआ या अव्यक्त अवस्था में होता है तो रोग सक्रिय रहता है, लेकिन अक्सर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और यह दूसरों के लिए संक्रामक भी नहीं होता है।  सिफलिस की तृतीयक अवस्था स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक होती है।

प्राथमिक उपदंश –
बैक्टीरिया से संक्रमित होने के तीन-चार सप्ताह बाद उपदंश का प्राथमिक चरण शुरू होता है। यह एक छोटे, गोल छाले से शुरू होता है। यह छाला दर्दरहित, लेकिन बेहद संक्रामक होता है। बैक्टीरिया आपके शरीर के जिस भी हिस्से में प्रवेश करते है, वहां छाले हो सकते हैं, जैसे कि आपके मुँह, जननांगों या मलाशय के अंदर या बाहर का भाग। छाला संक्रमण के तीन सप्ताह बाद दिखाई देता है, लेकिन इसके प्रकट होने में 10 से 90 दिन भी लग सकते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाला छाला दो से छह सप्ताह तक रहता है। उपदंश छाले के साथ सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह आमतौर पर ओरल सेक्स सहित यौन गतिविधि के दौरान होता है।

माध्यमिक उपदंश –
उपदंश के दूसरे चरण के दौरान आपकी त्वचा पर चकत्ते और गले में खराश हो सकती है। चकत्तों में खुजली नहीं होती है और आमतौर पर ये आपकी हथेलियों और तलवों पर पाए जाते हैं, लेकिन ये शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं। कुछ लोगो का ध्यान इन चकत्तों की तरफ जाये, उससे पहले ही ये ठीक भी हो सकते हैं।

छिपा हुआ (अव्यक्त) उपदंश – 
उपदंश का तीसरा चरण अव्यक्त या छिपा चरण है। प्राथमिक और द्वितीयक लक्षण गायब हो जाते हैं और इस चरण में आपको कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देगा। हालांकि, आप अभी भी सिफलिस से संक्रमित रहते हैं। द्वितीयक उपदंश के लक्षण फिर से प्रकट हो सकते हैं या आप तृतीयक उपदंश के चरण की ओर बढ़ने से पहले कई वर्षों तक इस चरण से संक्रमित रह सकते हैं।

तृतीयक उपदंश –
संक्रमण का अंतिम चरण तृतीयक उपदंश है। लगभग 15 से 30 प्रतिशत लोग इस चरण में प्रवेश करते हैं, जो उपदंश का उपचार नहीं कराते। प्रारंभिक रूप से संक्रमित होने के बाद तृतीयक उपदंश एक साल से लेकर दस सालों तक हो सकता है।

उपदंश (सिफलिस) के लक्षण:

1. प्राथमिक उपदंश
पीड़ारहित
छोटे छाले
2. माध्यमिक उपदंश 
बिना खुजली वाले चकत्ते जो शरीर के ऊपरी हिस्से से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैल जाते हैं, जिसमें हथेलियां और तलवे शामिल हैं। चकत्ते खुरदरे, लाल या लाल भूरे रंग के हो सकते हैं। (और पढ़ें - त्वचा पर चकत्तों के घरेलू नुस्खे)
मुँह, गुदा और जननांग में मस्से जैसे छाले,
मांसपेशियों में दर्द
बुखार
गले में खराश,
सूजी हुई लसीका ग्रंथियां,
कहीं-कहीं से बाल झड़ना (और पढ़ें – बाल झड़ने से रोकने के घरेलू उपाय)
सिर दर्द,
वजन घटना, (और पढ़ें - वजन बढ़ाने के तरीके)
थकान,
बिना उपचार किया हुआ (अनुपचारित) माध्यमिक उपदंश अप्रकट (Latent) और तृतीयक चरणों में प्रगति कर सकता है।
3. अव्यक्त उपदंश 
अव्यक्त चरण कई वर्षों तक रह सकता है। इस समय के दौरान शरीर बिना लक्षणों वाले रोग का घर बन जायेगा।
4. तृतीयक (अंतिम) उपदंश
अंधापन
बहरापन
मानसिक बीमारी
स्मरण शक्ति की क्षति
नरम ऊतक और हड्डी को नुक्सान
तंत्रिका संबंधी विकार, जैसे स्ट्रोक या मेनिनजाइटिस
दिल की बीमारी
न्यूरोसिफलिस, जो मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में होने वाला संक्रमण है।

उपदंश (सिफलिस) के कारण:
यौन गतिविधियों के दौरान टी. पैलिडम बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक स्थानांतरित होने के कारण सिफलिस होता है।
बैक्टीरिया आपकी त्वचा में लगी मामूली चोट अथवा खरोंच या श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। उपदंश अपने प्राथमिक और माध्यमिक चरणों या कभी-कभी प्रारंभिक अवधि (Early latent period) के दौरान संक्रामक का कारण बनता है।
यह गर्भावस्था के दौरान मां से गर्भ तक या प्रसव के दौरान शिशु को भी हस्तांतरित हो सकता है। इस प्रकार के सिफलिस को 'जन्मजात सिफलिस' कहा जाता है।

सिफलिस दरवाजे के हैंडल को संक्रमित व्यक्ति द्वारा छूने और टॉयलेट सीट जैसी वस्तुओं के साझा उपयोग से नहीं फैलता है।
एक बार ठीक हो जाने के बाद उपदंश दुबारा अपने आप नहीं होता है। हालांकि, यदि आप उपदंश से ग्रसित किसी व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं।

उपदंश (सिफलिस) से बचाव: 
उपदंश को रोकने का सबसे अच्छा तरीका सुरक्षित रूप से सेक्स करना है। किसी भी प्रकार के यौन संपर्क के दौरान कंडोम का उपयोग करना एक अच्छा विचार है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित उपाय भी उपयोगी हो सकते हैं –
कई व्यक्तियों के साथ यौन संबंध रखने से बचें।
ओरल सेक्स के दौरान डेंटल डैम (लेटेक्स का एक चौकोर टुकड़ा) या कंडोम का प्रयोग करें।
सेक्स खिलौने साझा (Share) करने से बचें।
यौन संचारित संक्रमण की जांच कराएं और अपने सहयोगियों से उनके परिणामों के बारे में बात करें।
मेडिकल सुई को साझा करने के माध्यम से भी सिफलिस फैल सकता है। यदि आप दवाओं का उपयोग करने जा रहे हैं, तो नयी सुई का उपयोग करें।

सिफलिस का परीक्षण (निदान):
इसके लिए चिकित्सक आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और यौन इतिहास के बारे में पूछेंगे ताकि चिकित्सकीय परीक्षण से पहले उपदंश की पुष्टि की जा सके।
इन परीक्षणों में शामिल हैं –
रक्त परीक्षण – इसके माध्यम से मौजूदा या पिछले संक्रमण का पता लगा सकते हैं, क्योंकि रोग के प्रतिरक्षी (एंटीबॉडीज) कई वर्षों तक शरीर में मौजूद रहते हैं।
शारीरिक द्रव –​ प्राथमिक या माध्यमिक चरणों के दौरान दर्द रहित छाले से रोग का मूल्यांकन किया जा सकता है।
सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ – इसे स्पाइनल टेप के माध्यम से एकत्र किया जाता है और तंत्रिकातंत्र (Nervous System) पर किसी भी प्रभाव के परीक्षण के लिए इसकी जाँच की जाती है।
यदि सिफलिस की पहचान होती है, तो अपने यौन साझेदार को इसके बारे में बताना चाहिए और उसकी जाँच की जानी चाहिए।
यौन साझेदारों को सिफलिस के संभावित जोखिमों के बारे में सूचित करने, परीक्षण को सक्षम बनाने और यदि आवश्यक हो तो इलाज के लिए स्थानीय सेवाएं उपलब्ध हैं।

उपदंश (सिफलिस) का उपचार:
जब प्रारंभिक अवस्था में उपदंश का निदान और उपचार किया जाता है, तो इसे पूर्ण रूप से ठीक करना आसान होता है। सभी चरणों के लिए सबसे मुख्य उपचार पेनिसिलिन है, जो एक एंटीबायोटिक दवा है और उपदंश के लिए उत्तरदायी जीवों को नष्ट कर सकती है। यदि आपको पेनिसिलिन से एलर्जी है तो आपके डॉक्टर अन्य एंटीबायोटिक का सुझाव देते हैं।
यदि आपको सिफलिस से संक्रमित हुए एक वर्ष से भी कम समय हुआ है, तो पेनिसिलिन का एक इंजेक्शन इस बीमारी को बढ़ने से रोक सकती है। अगर आपको सिफलिस से संक्रमित हुए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है, तो आपको पेनिसिलिन की अतिरिक्त मात्रा की आवश्यकता हो सकती है।
उपदंश से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के लिए पेनिसिलिन एकमात्र सुझाया गया उपचार है। जिन महिलाओं को पेनिसिलिन से एलर्जी है, उन्हें 'विसुग्राहीकरण' (Desensitization) की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है, जिसके बाद वे पेनिसिलिन लेने में समर्थ हो सकती हैं। यहां तक कि अगर आप गर्भावस्था के दौरान सिफलिस का इलाज करवा रही हैं, तो आपके नवजात शिशु का भी एंटीबायोटिक उपचार करवाना चाहिए।

पहले दिन के उपचार के बाद आप 'जेरिश-हरक्सहैमेर' प्रतिक्रिया (Jarisch-Herxheimer reaction), जिसे एक अल्पकालिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है – का अनुभव कर सकते हैं। इसके संकेतों और लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, मतली, पीड़ादायक दर्द और सिर दर्द शामिल हैं। यह प्रतिक्रिया आमतौर पर एक दिन से अधिक नहीं रहती है।
उपचार को बाद देखभाल -
सिफलिस के इलाज के बाद आपके डॉक्टर बताएंगे –
पेनिसिलिन की सामान्य खुराक का प्रभाव आपके ऊपर हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर रक्त परीक्षण और जांच करवाएं।
जब तक उपचार पूरा नहीं हो जाता और रक्त परीक्षण से संक्रमण ठीक होने का संकेत नहीं मिल जाता, तब तक यौन संपर्क से बचें।
अपने यौन भागीदारों को सूचित करें ताकि उनका परीक्षण किया जा सके और यदि आवश्यक हो, तो इलाज किया जा सके। 
एचआईवी संक्रमण के लिए भी परीक्षण कराएं।

उपदंश (सिफलिस) के जोखिम कारक:
आपको उपदंश होने का जोखिम हो सकता है, यदि आप;
असुरक्षित यौन संबंध बनातें हैं।
कई व्यक्तियों के साथ सेक्स संबंध रखते हैं।
ऐसे पुरुष, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं।
ऐसा व्यक्ति जो एचआईवी वायरस से संक्रमित हैं या जिसे एड्स है।

उपदंश की जटिलताएं:
यदि उपदंश का उपचार न किया जाये, तो ये आपके संपूर्ण शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। सिफलिस एचआईवी संक्रमण के जोखिम को भी बढ़ाता है और महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दौरान समस्याएं पैदा कर सकता है। इसका उपचार भविष्य में होने वाली क्षति को रोकने में मदद कर सकता है, लेकिन पहले हो चुके क्षति को ठीक नहीं कर सकता है।

उपदंश (सिफलिस) में परहेज़ -
इनसे बचें –
सिफलिस और अन्य एसटीडी (Sexually Transmitted Diseases) से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि एनल सेक्स या मौखिक (ओरल) सेक्स से बचा जाये। चूँकि, ज्यादातर लोग अपने जीवन की  कुछ विशेष अवस्थाओं में यौन संबंध बनाते हैं, इसलिए वह जानते हैं कि सुरक्षित रूप से सेक्स करना कितना महत्वपूर्ण है। सुरक्षित रूप से सेक्स करने से एसटीडी होने की संभावना कम हो सकती है।

शराब और दवाओं के सेवन को कम करके भी उपदंश को रोकने में मदद मिल सकती हैं, क्योंकि इन गतिविधियों से जोखिम भरा यौन व्यवहार हो सकता है।

उपदंश (सिफलिस) में क्या खाना चाहिए? - 
क्या खाएं?
प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले सभी खाद्य पदार्थों में से निम्नलिखित विशेष ध्यान देने योग्य हैं:
लहसुन – लहसुन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत फायदेमंद होता है।
प्याज – लहसुन की तरह प्याज भी जीवाणुरोधी, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल घटकों से भरपूर होते  हैं।
संतरे, नींबू और अन्य खट्टे फल – इनमें भरपूर विटामिन सी के साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी शामिल होते हैं।
खुबानी –  इनमें विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ये बहुत प्रभावकारी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
मिर्च – यह विटामिन सी से समृद्ध खाद्य पदार्थों में से एक हैं।
फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट, पत्तागोभी, ब्रोकली –  गोभी के समूह वाली सब्ज़ियों में विटामिन सी, विटामिन बी और बीटा-कैरोटीन के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट के गुण भी पाए जाते हैं।
गाजर – कैरोटीनॉड्स से भरपूर होने के कारण गाजर सबसे अच्छे बॉडी प्यूरीफायर में शामिल हैं। इनकी एंटी वायरल और जीवाणुनाशक क्षमता साबित हो चुकी है।
पालक – पालक बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी और विटामिन बी का समृद्ध स्रोत है। पालक में प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने की क्षमता होती है।
मशरूम – ये प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाते हैं।
ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी – ये सबसे अच्छे एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों में से एक हैं। इनमें जीवाणु नाशक तत्व उपस्थित होते हैं। बादाम, कद्दू, अखरोट, अंडे, गेहूँ, जई, चावल इत्यादि।